बाल भिक्षावृत्ति: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रभावित बच्चों के पुनर्वास की मांग करने वाली याचिका पर डीसीपीसीआर और अन्य को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

13 Aug 2021 10:38 AM GMT

  • बाल भिक्षावृत्ति: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रभावित बच्चों के पुनर्वास की मांग करने वाली याचिका पर डीसीपीसीआर और अन्य को नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बाल भिक्षावृत्ति की समस्या और इससे संबंधित अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर 27 सितंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा।

    याचिका अधिवक्ता अजय गौतम ने दायर की है।

    याचिका में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 में निहित प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है।

    याचिका में कहा गया है,

    "बच्चों द्वारा भीख मांगने के इस खतरे के पीछे भीख माफिया सक्रिय है और वे वास्तव में भीख मांगने के लिए निर्दोष बच्चों का अपहरण, प्रशिक्षण, बल प्रयोग और उन पर अत्याचार करते हैं। हालांकि, इस खतरे को रोकने के लिए जिम्मेदार विभाग कोई भी प्रभावात्मक कदम उठाने में विफल रहा है।"

    तदनुसार, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत संघ, दिल्ली पुलिस, समाज कल्याण विभाग (एनसीटी दिल्ली) और शिक्षा विभाग (एनसीटी दिल्ली) को नोटिस जारी किए गए।

    अपनी याचिका में गौतम ने संबंधित प्रतिवादियों को भीख मांगने के धंधे में धकेले जाने वाले बेसहारा बच्चों की पहचान करने और उनका पुनर्वास करने का निर्देश दिए जाने की मांग की है।

    उन्होंने सभी पुलिस थानों के थानाध्यक्षों (एसएचओ) को अपने अधिकार क्षेत्र में बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की है। इसके साथ ही इस संबंध में एक बीट अधिकारी I डिवीजन अधिकारी नियुक्त करने की भी मांग की गई है।

    उन्होंने अदालत के समक्ष आरोप लगाया,

    "कोई भी बच्चा खुद के लिए भीख नहीं मांगता है। संगठित अपराधों के एक हिस्से के रूप में उन्हें इस काम के लिए मजबूर किया जाता है। इन बच्चों को डेली टारगेट दिया जाता है। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। इसमें वे हिंसा का शिकार भी होते हैं।"

    उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी गतिविधियां न केवल बंधुआ मुक्ति मोर्चा के फैसले के खिलाफ हैं। इसके साथ ही यह अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार), 39 (ई), 39 (एफ), 41 और 42 के तहत संवैधानिक प्रावधानों का भी उल्लंघन है।

    केस शीर्षक: अजय गौतम बनाम दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अन्य।

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