छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा, 2019 में जारी सर्कुलर के बावजूद में शारीरिक अशक्तता प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया?

Avanish Pathak

25 April 2023 8:03 AM GMT

  • छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा, 2019 में जारी सर्कुलर के बावजूद में शारीरिक अशक्तता प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया?

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव से पूछा है कि 2019 में उन्होंने शारीरिक अशक्तता प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए एक सर्कुलर जारी किया था, इसके बावजूद उस दिशा मे कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया? हाईकोर्ट ने इस संबंध में मुख्य सचिव को व्य‌क्तिगत हलफनामा दायर करने के ल‌िए कहा है।

    मौजूदा याचिकाकर्ता ने इससे पहले 2019 में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उसने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act, 2016) के तहत जारी 'प्रमाण पत्र' के निरंतर दुरुपयोग पर प्रकाश डाला था।

    कोर्ट ने तब मुख्य सचिव को संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने के लिए कहा था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दिव्यांगजनों के अलावा अन्य व्यक्ति अधिनियम का लाभ ना उठा पाएं।

    कोर्ट ने तब नोट किया था,

    "ऐसे कई आरोप सामने आ रहे हैं कि अशक्तता प्रमाण पत्र का दुरुपयोग किया जा रहा है और फर्जी लोग रोजगार या अन्य लाभों के ल‌िए इसे आसानी से पा जा रहे हैं, इसलिए यह आदेश पारित किया गया है।"

    न्यायालय के आदेश के बाद मुख्य सचिव ने मई, 2019 में एक सर्कुलर जारी कर सभी संबंधित अधिकारियों को किसी व्यक्ति को सरकारी योजनाओं और रोजगार का लाभ देने से पहले अधिनियम के तहत जारी किए गए प्रमाण पत्रों को सत्यापित करने का निर्देश दिया था।

    उन्हें यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया था कि केवल असली व्यक्तियों को ही लाभ दिए जाएं।

    हालांकि, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष दोबारा याचिका दायर कर आरोप लगाया कि सर्कुलर जारी होने के बावजूद, संबंधित अधिकारियों ने ऐसे प्रमाणपत्रों की सत्यता को सत्यापित करने के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।

    दलीलों का उचित संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस संजय के अग्रवाल की खंडपीठ ने आदेश दिया,

    "इस मामले के मद्देनजर, मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ सरकार को अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जाता है कि मई, 2019 में जारी परिपत्र के अनुसार शारीरिक अशक्तता प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए कोई सकारात्मक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। ।”

    मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

    केस टाइटल: छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ बनाम छत्तीसगढ़ राज्य व अन्य।

    केस नंबर: WPPIL NO 36 Of 2023

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