5.5 साल की बच्‍ची की हत्या और रेप के आरोपी को मृत्युदंड, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पु‌ष्ट‌ि की

LiveLaw News Network

21 Feb 2020 3:30 AM GMT

  • 5.5 साल की बच्‍ची की हत्या और रेप के आरोपी को मृत्युदंड, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पु‌ष्ट‌ि की

    Chhattisgarh High Court

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बिलासपुर खंडपीठ ने माना है कि दुर्लभ से दुर्लभतम अपराधों में मौत की सजा कम करने के कारणों से ज्यादा वजनदार 'अपराध की क्रूरता' और 'गंभीरता' होती है।

    ज‌स्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और ज‌स्टिस गौतम चौरड़िया की खंडपीठ ने नाबालिग की हत्या और बलात्कार के आरोपी की मौत की सजा की पुष्टि करते हुए जोर देकर कहा कि जिस प्रकार से बलात्कार और हत्या की गई है, उससे दुर्लभतम से दुर्लभ मामलों का सिद्धांत ही लागू होगा ।

    खंडपीठ ने कहा, "आरोपी ने मृतक के परिवार और मोहल्ले की उम्‍मीद और भरोसे के साथ विश्वासघात किया है। अभियुक्त रामसोना उसी मोहल्ले का निवासी था और आसपास के लोगों को उस पर शक नहीं हो सकता था कि वह लड़की को कोई नुकसान या अपराध करेगा।"

    एक ओर ऐसे गंभीर कारक हैं, जबकि दूसरी ओर अभियुक्त की उम्र को छोड़, ऐसा कोई कारण नहीं है, जिससे मौत की सजा कम की जाए। हालांकि यह देखते हुए कि जिस क्रूर और शर्मनाक तरीके से अपराध किया गया है, उम्र का कारण इन कारणों से वजनदार नहीं लगता। हम संतुष्ट हैं कि मामला 'दुर्लभ से दुर्लभतम' मामलों के दायरे में आता है।"

    मामले के तथ्य -

    ट्रायलः

    साढ़े पांच की साल की एक लड़की 5 मई 2015 की सुबह, भिलाई में अपने घर के पास खेलते समय गायब हो गई। वह बोल और सुन नहीं सकती थी।

    लड़की के पिता ने मामले में अगले दिन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी (आाईपीसी की धारा 363 के तहत) दर्ज करवाई। उन्हें संदेह था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने बहला-फुसलाकर उनकी बेटी का अपहरण किया है।

    पुलिस द्वारा मामले की जांच किए जाने पर, राम सोना (अभियुक्त नंबर 1) की मां कुंती सोना (अभियुक्त नंबर 2) ने बताया कि उसके किशोर बेटे ने उसे बताया है कि राम सोना ने एक लड़की की हत्या की है और उसका शव घर में रखा है। बाद में अमृत उर्फ ​​केली (आरोपी नंबर 3), राम सोना और कुंती घर पहुंचे थे और उन्होंने नाबालिग के शव को रेलवे स्टेशन के पास एक नाले में छुपा दिया था।

    केली ने अपने बयान में खुलास किया कि 25 मई 2015 को जब वह आरोपी नंबर 1 के घर में टीवी देख रहा था, दोपहर के करीब राम सोना

    लड़की को लेकर आया और उसका मुंह बंद करके उसके साथ बलात्कार किया। इसी अभियुक्त ने बताया कि शव को रेलवे स्टेशन के पास एक नाले में सफेद बैग में रखा गया है।

    मृतक नाबालिग का शव आरोपी के बयानों के आधार पर नाले से बरामद किया गया। लड़की के पिता ने शव की पहचान की।

    मुख्य आरोपी, राम सोना ने बाद में अपने बयान में लड़की का बहला-फुसलाकर अपहरण करने, बलात्कार करने, हत्या करने और अन्‍य आरोपियों के साथ मिलकर शव छिपाने की घटना का क्रमवार खुलासा किया।

    कोर्ट में सभी आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं।

    ट्रायल कोर्ट ने आरोपी राम सोना को आईपीसी की धारा 376 (ए) और 302 के तहत मौत की सजा देने के लिए और अन्य आरोपों में सजा देने के लिए आरोपियों (अपीलकर्ताओं) के उपरोक्‍त बयानों, मृतक के चिकित्सीय साक्ष्य, परिस्थितिजन्य साक्ष्य, अन्य गवाहों के बयान (अभ‌ियोजन पक्ष ने 13 गवाहों का परीक्षण किया) और अभ‌ियुक्त के पिता के मौखिक साक्ष्य पर भरोसा किया। अन्य आरोपियों (व्यक्तियों) को उनपर साबित हुए आरोपों के आधार अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई गई।

    हालांकि अभियुक्त ने ट्रायल कोर्ट की सजा खिलाफ एक आपराधिक अपील दायर की, जबकि दूसरी ओर राज्य सरकार ने सीआरपीसी की धारा 366 के तहत सजा की पुष्टि के लिए संदर्भ दाखिल किया।

    अपील में दी गई दलील-

    अपीलकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि गुमशुदगी की प्राथमिकी में आरोपी व्यक्तियों के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था और अभियोजन पक्ष ने 'वास्तविक' दोषियों को खोजने में असमर्थ रहने के कारण अपीलकर्ताओं को फंसाने के लिए उनका नाम बाद में जोड़ा था।

    दलील दी गई कि चूंकि विभिन्न गवाहों के बयानों में विरोधाभास हैं, बयानों से कई स्‍थानों पर अभियोजन पक्ष के आरोपों की पुष्टि भी नहीं हुई है।

    राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि मात्र में जांच में गैप रह जाने का कारण अपीलकर्ताओं को बरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    उच्च न्यायालय ने क्या कहा:

    हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता की दलीलों को खारिजकरते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा राम सोना के लिए दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा।

    कोर्ट ने माना कि कुंती सोना और अमृत सिंह के मेमोरेंडम बयान आरोपी राम सोना के खिलाफ सबूतों के रूप में स्वीकार्य हैं क्योंकि उन्हें वे मेडिकल रिपोर्ट कर पुष्टि कर रहे थे।

    "इसके अलावा, यह ऐसा मामला नहीं है, जहां राम सोना के बयान के आधार पर तथ्यों की खोज नहीं की गई है।"

    कोर्ट ने कहा-

    "आरोपी कुंती सोना और अमृत ने आईपीसी की धारा 376 और 302 के तहत मुख्य अपराध नहीं किया है, उन्होंन मुख्य आरोपी राम सोना को शव का निस्तारण कर अपराध के सबूत छिपाने में मदद की है, उनके बयान स्वयं अभियोगात्मक हैं।"

    मक्ची सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में उल्‍लेखित "दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों" की अवधारणा का उल्लेख करते हुए अदालत ने मौत की सजा की पुष्टि की और कहा कि एक बोल और सुन न पाने वाली 5 साल की नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और उसकी हत्या करने का अपराध शर्मनाक और क्रूर प्रकृति का है। इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, बहला-फुसलाकर बच्चे का अपहरण यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि बच्चे और मोहल्ले ने अभियुक्त (नंबर 1) पर भरोसा किया था।

    अदालत ने कहा-

    "पीड़िता उसी मोहल्ले का निवासी थी, जहां आरोपी राम सोना रहता है और मृतक के परिवार उसका पूर्व परिचित था। यह किसी भी अजनबी से बलात्कार और हत्या का मामला नहीं है।"

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