'चरसी गंजेड़ी' ट्वीट| मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मनोज बाजपेयी द्वारा दायर मानहानि के मामले को रद्द करने की केआरके की याचिका को खारिज किया
Avanish Pathak
19 Dec 2022 9:11 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कमाल राशिद खान (केआरके) की एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अभिनेता मनोज बाजपेयी की ओर से दायर मानहानि की याचिका को रद्द करने की मांग की थी।
केआरके ने बाजपेयी ट्विटर पर 'चरसी गंजेड़ी' कहा था, जिसके बाद उन्होंने आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था।
खान को राहत देने से इनकार करते हुए जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की पीठ ने प्रथम दृष्टया कहा कि बाजपेयी, जो एक अभिनेता हैं, को 'चरसी गंजेड़ी' के रूप में संबोधित करना उनकी छवि और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त है।
कोर्ट ने कहा, "किसी को 'चरसी गंजेड़ी' कहना/संबोधित करना आईपीसी की धारा 499 के 6वें अपवाद के उदाहरण 'डी' के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है, जैसा कि आवेदक के विद्वान वकील ने तर्क दिया है।"
मामला
बाजपेयी ने खाान के खिलाफ कथित तौर पर धारा 499 और 500 के तहत किए गए अपराध के लिए सीआरपीसी की धारा 200 के तहत एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी।
यह उनका निवेदन था कि खान ने अपने दो ट्विटर हैंडल यानी (केआरके बॉक्सऑफिस" और केआरके @ kamaalRK) का इस्तेमाल उन्हें बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया था। 26 जुलाई, 2021 को उन्होंने दो अपमानजनक ट्वीट किए और उन्हें "चारसी गंजेड़ी" कहा।
अदालत ने खान के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध दर्ज करने वाली आपराधिक शिकायत (सीआरपीसी की धारा 204) का संज्ञान लिया।
इंदौर कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए खान ने यह तर्क देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि जिस ट्विटर हैंडल से ट्वीट किए गए थे, उन्हें 22 अक्टूबर, 2020 को उन्होंने बेच दिया था, और इसलिए, उन्हें ट्वीट्स के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।
दूसरी ओर, बाजपेयी के वकील ने तर्क दिया कि खान के ट्विटर हैंडल केआरके बॉक्सऑफिस को बेचने संबंधी घोषण पर इस स्तर पर विचार नहीं किया जा सकता है।
यह आगे प्रस्तुत किया गया था कि क्या ट्वीट्स में इस्तेमाल किए गए शब्द प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए लिखे गए थे या नहीं, यह सबूत का मामला था और इस स्तर पर तय नहीं किया जा सकता है और इसलिए योग्यता से रहित होने वाली याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
शुरुआत में, अदालत ने कहा कि खान ने कहीं भी याचिका में यह नहीं कहा था कि "केआरके बॉक्सऑफिस" और केआरके @ KamalRK नाम के ट्विटर हैंडल उनके स्वामित्व और उपयोग में नहीं थे।
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि यह मुद्दा कि क्या ट्विटर हैंडल 26.07.2021 (जब कथित ट्वीट किया गया था) से पहले बेचा गया था, सबूत का मामला है और इसलिए, अदालत ने कहा, प्रथम दृष्टया यह तथ्य स्थापित किया गया था कि घटना के समय उपरोक्त दोनों ट्विटर हैंडल का उपयोग आवेदक द्वारा किया गया था।
महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने केआरके के वकील के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि किसी को 'चरसी गंजेड़ी' कहना/संबोधित करना आईपीसी की धारा 499 के 6वें अपवाद के उदाहरण 'डी' के बराबर हो सकता है।
नतीजतन सीआरपीसी की धारा 204 के तहत संज्ञान लेने वाले न्यायालय के आदेश में कोई दोष नहीं पाया गया और आवेदक के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध दर्ज करते हुए कोर्ट ने केआरके की याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल- कमाल आर. खान बनाम मनोज वाजपेयी [MISC. CRIMINAL CASE No. 48819 of 2022]