"फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी रिपोर्ट के बिना चालान दाखिल किया गया": पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 1.6 किलोग्राम ड्रग जब्ती मामले में डिफ़ॉल्ट जमानत दी

LiveLaw News Network

1 Nov 2021 7:31 AM GMT

  • फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी रिपोर्ट के बिना चालान दाखिल किया गया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 1.6 किलोग्राम ड्रग जब्ती मामले में डिफ़ॉल्ट जमानत दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को एनडीपीएस आरोपी को सीआरपीसी की धारा 167 (2) के मामले में डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी, इस तथ्य के मद्देनजर कि पुलिस ने उसके खिलाफ एफएसएल रिपोर्ट (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी)के बिना दर्ज मामले में चालान दाखिल किया था।

    न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ 22 दिसंबर, 2020 को गिरफ्तार किए गए भीम सेन के मामले की सुनवाई कर रही थी। इस आरोप में कि उसके पास से 1 किलो 600 ग्राम 'गांजा' बरामद किया गया था।

    इसके बाद, मामले में चालान 11 फरवरी, 2021 को दाखिल किया गया था। हालांकि, चालान के साथ एफएसएल प्रस्तुत नहीं किया गया था।

    याचिकाकर्ता ने इसे देखते हुए सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत सत्र न्यायालय से जमानत मांगी। लेकिन उसकी अर्जी 11 अक्टूबर 2021 को खारिज कर दी गई।

    याचिकाकर्ता ने उस आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    प्रारंभ में, न्यायालय ने उच्च न्यायालय [हरियाणा राज्य बनाम हरियाणा राज्य] के दो निर्णयों का उल्लेख किया- दिलदार राम @ दारी और अजीत सिंह @ जीता और अन्य बनाम पंजाब राज्य]। इन दोनों मामलों में कहा गया था कि एफएसएल रिपोर्ट के बिना चालान दाखिल करना एक पूर्ण चालान नहीं माना जाएगा और ऐसे मामलों में आरोपी 167 (2) सीआरपीसी के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत का हकदार होगा।

    कोर्ट ने महत्वपूर्ण रूप से आगे कहा कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने पहले ही इस प्रश्न को संदर्भित कर दिया है कि क्या एफएसएल की रिपोर्ट के बिना दाखिल किया गया चालान एक अधूरा चालान होगा (एनडीपीएस मामले में)।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि इस मुद्दे को उच्च न्यायालय ने 9 सितंबर, 2020 के अपने आदेश में जुल्फकर बनाम हरियाणा राज्य [2020 (4) लॉ हेराल्ड 3188] मामले में संदर्भित किया था और वही वर्तमान में उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।

    उक्त मामले में न्यायालय निम्नलिखित मुद्दों पर विचार कर रहा था,

    "क्या एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत एक मामले में, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (2) के तहत प्रस्तुत चालान एक पूर्ण चालान है, यदि एफएसएल की रिपोर्ट के बिना प्रस्तुत किया गया है।"

    अदालत ने आरोपी को वर्तमान मामले में जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट के बिना चालान दाखिल करना एक पूर्ण चालान नहीं माना जाएगा और ऐसे मामलों में आरोपी 167 (2) सीआरपीसी के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत का हकदार होगा।

    कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि खंडपीठ की राय है कि एफएसएल रिपोर्ट के बिना दाखिल चालान एक पूर्ण चालान होगा, तो राज्य वर्तमान में अभियुक्तों के संबंध में जमानत रद्द करने के लिए एक आवेदन को प्राथमिकता देने के लिए स्वतंत्र होगा।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि इसी तरह का एक आदेश पिछले साल उच्च न्यायालय द्वारा पारित किया गया था, जिसमें एनडीपीएस के एक आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत दिया गया था क्योंकि एफएसएल रिपोर्ट के बिना चालान दाखिल किया गया था।

    अदालत ने मामले में राज्य को स्वतंत्रता दी थी कि यदि खंडपीठ की राय है कि एफएसएल रिपोर्ट के बिना दाखिल चालान एक पूर्ण चालान होगा, तो राज्य वर्तमान में अभियुक्तों के संबंध में जमानत रद्द करने के लिए एक आवेदन को प्राथमिकता देने के लिए स्वतंत्र होगा [सीआरआर -1135-2020, सुरेश बनाम हरियाणा राज्य]।

    गौरतलब है कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि फॉरेंसिक रिपोर्ट एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) अधिनियम के तहत एक मामले की नींव रखती है।

    केस का शीर्षक - भीम सेन बनाम हरियाणा राज्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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