सबूतों की चैन गायब: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट के तहत 10 साल की कैद के दोषी व्यक्ति को बरी किया

Shahadat

1 Sep 2023 7:47 AM GMT

  • सबूतों की चैन गायब: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट के तहत 10 साल की कैद के दोषी व्यक्ति को बरी किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित तौर पर 520 ग्राम प्रतिबंधित पदार्थ रखने के लिए एनडीपीएस एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी कर दिया। कोर्ट ने उक्त आदेश यह देखते हुए दिया कि अभियोजन में कमी आत्मविश्वास को प्रेरित नहीं करती है।

    जस्टिस अरुण मोंगा ने साक्ष्यों में कमियों की ओर इशारा करते हुए कहा,

    “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों में कमियां और विसंगतियां विश्वास को प्रेरित नहीं करतीं, जैसा कि पिछले पैराग्राफ में पहले ही चर्चा की जा चुकी है। यहां महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत लिंक साक्ष्य की असंतोषजनक प्रकृति है। लिंक साक्ष्य किसी मामले के विभिन्न तत्वों को साथ जोड़ता है और इस संदर्भ में जब्त किए गए लेखों और उनके बाद के प्रबंधन के बीच यह बहुत महत्वपूर्ण संबंध है।

    अदालत ने कहा कि हालांकि अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि जब्त पाउडर को विशिष्ट तिथि पर मालखाने में रखा गया, लेकिन इस दावे के समर्थन में मालखाना रजिस्टर को सबूत के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया। इस प्रकार दस्तावेजी साक्ष्य का अभाव अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर करता है। इसमें आगे कहा गया कि ट्रायल कोर्ट जब्त किए गए पदार्थ को मालखाने में रखने की प्रामाणिकता और समय की पुष्टि नहीं कर सका।

    ये टिप्पणियां गुरदासपुर की विशेष अदालत द्वारा पारित दोषसिद्धि आदेश के खिलाफ गुरप्रीत सिंह द्वारा दायर अपील में आईं। सिंह को गश्त के दौरान कथित तौर पर 520 ग्राम प्रतिबंधित पदार्थ के साथ पकड़ा गया था। उसके बाद 2015 में उसे दोषी ठहराया गया और 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।

    एमिक्स क्यूरी वकील अमित शर्मा ने कहा कि यह स्वीकार की गई स्थिति है कि अधिनियम की धारा 52-ए (2) के अनिवार्य प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया। यहां तक कि अधिनियम के तहत अनिवार्य प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का भी पालन नहीं किया गया। कोई स्वतंत्र गवाह शामिल नहीं हुआ। अभियोजन पक्ष इसके लिए कोई भी प्रशंसनीय स्पष्टीकरण देने में विफल रहा।

    शर्मा ने आगे बताया कि एफएसएल को नमूने भेजने में 12 दिनों की देरी हुई।

    दलीलों पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि सबूतों में अंतराल के आलोक में यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि सैंपल पार्सल पर लगी सीलें जब्ती के समय लगाई गई मूल सीलें हैं। यह गंभीर मुद्दा बन जाता है, क्योंकि साक्ष्य की अखंडता बनाए रखने के लिए उचित सीलिंग आवश्यक है।

    अदालत ने कहा,

    “अभियोजन पक्ष के मामले में यह कमज़ोरियां अपीलकर्ता के पक्ष में बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं। इस प्रकार अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य इस मामले में उचित संदेह से परे अपराध स्थापित करने के लिए अपर्याप्त है।”

    नतीजतन, अपील की अनुमति दी गई।

    कोर्ट ने यह कहते हुए सजा रद्द कर दी,

    “जिस अपीलकर्ता की सजा दिनांक 27.05.2021 के आदेश द्वारा निलंबित कर दी गई थी, उसको उसके खिलाफ लगाए गए आरोप से बरी किया जाता है। उनके जमानत बांड और ज़मानत बांड खारिज हो गए हैं। अपीलकर्ता अगर वर्तमान मामले में हिरासत में है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए, अगर किसी अन्य मामले में उस हिरासत की आवश्यकता न हो।''

    केस टाइटल: गुरप्रीत सिंह बनाम पंजाब राज्य

    अपीयरेंस: अमित शर्मा, वकील एमिकस क्यूरी के रूप में और मोहित ठाकुर, एएजी, पंजाब।

    आदेश को डाउनलोड/पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।




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