जातिवादी टिप्पणी का मामलाः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, जांच में शामिल होने पर गिरफ्तारी की स्थिति में युवराज सिंह को अंतरिम जमानत पर रिहा करें

LiveLaw News Network

12 Oct 2021 7:42 AM GMT

  • जातिवादी टिप्पणी का मामलाः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, जांच में शामिल होने पर गिरफ्तारी की स्थिति में युवराज सिंह को अंतरिम जमानत पर रिहा करें

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि कथित जातिवादी टिप्पणी के मामले में हरियाणा पुलिस क्रिकेटर युवराज सिंह की "केवल औपचारिक गिरफ्तारी" की मांग कर रही है, पिछले सप्ताह निर्देश दिया कि उन्हें जांच में शामिल होने पर अगर गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें अंतरिम जमानत और जमानती बांड प्रस्तुत करने पर रिहा किया जाना चाहिए।

    जस्टिस अमोल रतन सिंह की पीठ पिछले साल एक इंस्टाग्राम चैट के दौरान एक अन्य क्रिकेटर के खिलाफ कथित जातिवादी टिप्पणी के मामले में युवराज खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    संक्षेप में मामला

    हांसी के रजत कलसन ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 153 बी (राष्ट्रीय-एकता के लिए हानिकारक दावे) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति जनजाति रोकथाम और अत्याचार अधिनियम, 1989 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई थी। युवराज सिंह ने एफआईआर को रद्द कराने के लिए याचिका दायर की थी।

    सीन‌ियर एडवोकेट पुनीत बाली ने कोर्ट में दलील दी कि युवराज सिंह का किसी भी प्रकार से अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ शत्रुता, घृणा या द्वेष को बढ़ावा देने का इरादा नहीं था बल्कि इस्तेमाल किए गए शब्द का निहितार्थ नशे में धुत व्यक्ति (भांग का सेवन करने वाला) के संदर्भ में था।

    दूसरी ओर शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि यह विशेष तर्क याचिका दायर होने के बाद दिया गया है, इसलिए यह वरिष्ठ वकील द्वारा दिया गया एक "चतुर तर्क" है।

    कोर्ट का आदेश

    कोर्ट ने कहा कि इससे पहले, 15 सितंबर को उसने अंतरिम उपाय के रूप में निर्देश दिया था कि सिंह के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए, हालांकि एसपी ने खुद सिंह की 1989 के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 18-ए(बी) के तहत केवल "औपचारिक गिरफ्तारी" की मांग की थी।

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "...अंतरिम आदेश को इस हद तक संशोधित किया जाता है कि जांच में शामिल होने पर यदि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने की मांग की जाती है तो उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा..."

    उपरोक्त आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मेसर्स निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य, एलएल 2021 एससी 211 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'कोई कठोर कदम नहीं' उठाने के आदेश ‌‌दिए जाने चाहिए और आरोपी को अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने के लिए कहना चाहिए।

    हालांकि इस मामले में भले ही सिंह ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन नहीं किया था और एसपी ने भी उनकी उचित गिरफ्तारी नहीं बल्कि केवल 'औपचारिक गिरफ्तारी' की मांग की थी, अदालत ने जांच में शामिल होने पर उन्हें जमानत देने का उपरोक्त आदेश जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

    केस शीर्षक- युवराज सिंह बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

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