पीड़िता के हृदय परिवर्तन पर बलात्कार के जघन्य अपराध पर आंख नहीं मूंद सकते: मेघालय हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामला खारिज करने से इनकार किया

Shahadat

7 Feb 2023 8:36 AM GMT

  • पीड़िता के हृदय परिवर्तन पर बलात्कार के जघन्य अपराध पर आंख नहीं मूंद सकते: मेघालय हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामला खारिज करने से इनकार किया

    मेघालय हाईकोर्ट ने सोमवार को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376/506 और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act), 2012 की धारा 4 के तहत दर्ज एफआईआर इस आधार पर रद्द करने की प्रार्थना की गई कि पक्षकारों के बीच समझौता हो गया है।

    अदालत ने कहा,

    "यह सच हो सकता है कि हृदय परिवर्तन या बाहरी परिस्थितियों के बाद याचिकाकर्ता नंबर 2 (पीड़ित) को इस अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता नंबर 1 (आरोपी) के द्वारा वर्तमान याचिका के तहत उक्त एफआईआर और कार्यवाही रद्द करने के लिए राजी किया गया, लेकिन तथ्य यह है कि महिला ने बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का आरोप लगाया गया। साथ ही उसे धमकी दी गई कि अगर उसने किसी के सामने घटना का खुलासा करने की हिम्मत की तो उसे मार डाला जाएगा। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

    मामले के तथ्यों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता नंबर 2 (पीड़ित) ने याचिकाकर्ता नंबर 1 (आरोपी) से निश्चित तारीख को मुलाकात की और उससे मिलने पर उसे उसके द्वारा वाहन में निश्चित स्थान पर जाने के लिए राजी किया गया। आश्वासन दिया कि उसे वहां कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करने हैं। हालांकि, घर पहुंचने पर याचिकाकर्ता नंबर 1 ने उसके साथ बलात्कार किया और धमकी दी कि वह घटना को अपने रिश्तेदारों को न बताए अन्यथा वह उसे मार डालेगा।

    13.11.2022 को पीड़िता के पेट में दर्द की शिकायत के बाद उसकी मां उसे मेडिकल जांच के लिए बेथानी अस्पताल, शिलॉन्ग ले गई। यह पाया गया कि वह गर्भवती है और अंततः पीड़िता ने अपने परिवार के सदस्यों को सूचित किया कि उसके और आरोपी के बीच क्या हुआ है।

    पॉक्सो एक्ट, 2012 की धारा 4 सपठित आईपीसी की धारा 376/506 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया और जांच अधिकारी (I/O) ने सीआरपीसी की धारा 161 के तहत याचिकाकर्ता का बयान दर्ज किया, जिसमें उसने जो कुछ भी किया गया, उसे दोहराया है। वही एफआईआर में कहा गया।

    याचिकाकर्ताओं वकील के. पॉल और बी.एस. गोयल द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि यह तथ्य कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और याचिकाकर्ता नंबर 2 वर्ष 2018 में रिश्ते में हैं। हालांकि यह रिश्ता आपसी प्यार और समझ पर आधारित है। इस रिश्ते के चलते साल 2022 में नवंबर के महीने में याचिकाकर्ता नंबर 2 के यहां बच्चे का जन्म हुआ।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ताओं के बीच अब सौहार्दपूर्ण समझौता हो गया है और उन्होंने अपने भविष्य के साथ-साथ बच्चे के भविष्य को खराब नहीं करने का फैसला किया है। इस प्रकार दर्ज की गई एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी जानी चाहिए।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता नंबर 2 द्वारा 28.02.2022 को हुई बलात्कार की घटना के संबंध में लगाए गए आरोप, याचिकाकर्ता संख्या 2 द्वारा वर्णित उक्त घटना का विवरण स्पष्ट और बिना किसी दोष के है, जो किसी के लिए या उस मामले के लिए I/O के लिए कहानी पर अविश्वास करने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ता है।

    अदालत द्वारा आगे इस बात पर प्रकाश डाला गया कि याचिकाकर्ता नंबर 1 ने उक्त एफआईआर में निर्धारित तथ्यों का खंडन नहीं किया।

    जस्टिस डब्ल्यू डेंगदोह ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

    "अदालत ऐसी स्थिति पर आंख नहीं मूंद सकती है और मामले के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए इस स्तर पर मामले की जांच और सुनवाई को केवल शामिल पक्षों से पूछकर रोका नहीं जा सकता।"

    अदालत ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही सुनावई योग्य न होने पर याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल: भालंग शैला और अन्य बनाम मेघालय राज्य

    कोरम: जस्टिस डब्ल्यू डेंगदोह

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