सरकारी अस्पतालों में इलाज उपलब्ध होने पर निजी अस्पताल उपचार की मांग नहीं की जा सकती: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अंडरट्रायल से कहा

Avanish Pathak

10 Jan 2023 2:07 PM GMT

  • Gauhati High Court

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक ऐसी या‌चिका को खारिज़ कर दिया, जिसमें निजी अस्पताल में इलाज के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी।

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि चिकित्सा पाने के मौलिक अधिकार अपनी पसंद के निजी अस्पताल में इलाज कराने तक विस्तारित नहीं किया जा सकता है, जबकि इस प्रकार का उपचार सरकारी अस्पतालों में बहुत अधिक उपलब्ध है।

    जस्टिस रॉबिन फूकन ने कहा,

    "इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि वह सीबीआई की ओर से दर्ज एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

    अदालत ने आगे कहा कि जब गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) में जेल प्राधिकरण उसे आवश्यक उपचार ‌दिला रहा है और आवश्यक उपचार वहां उपलब्ध भी है और जबकि इस प्रकार के उपचार के बाद उसकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हुआ है, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।"

    तथ्य

    भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी याचिकाकर्ता ने केंद्रीय जेल, गुवाहाटी के जेल अधिकारियों को निर्देश देने के लिए परमादेश की प्रकृति की एक रिट जारी करने के लिए प्रार्थना की थी। उसने मांग की थी उसे जीएमसीएच से रिलीज के बाद, आगे के इलाज के लिए गुवाहाटी के इलाके में उसी के खर्च पर पसंद के निजी अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दी जाए।

    निष्कर्ष

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सेंट्रल जेल, गुवाहाटी के जेल डॉक्टर की ओर से प्रस्तुत मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठाया है। यह नोट किया गया कि रिपोर्ट यह बताती है कि उसे दवा दी जा रही है और उसके हेल्‍थ पैरामीटर सामान्य सीमा के भीतर हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "जीएमसीएच में उस बीमारी, जिससे याचिकाकर्ता पीड़ित है, का इलाज ना हो पाने की स्थिति में, उसे पसंद के निजी अस्पताल में, जहां ऐसा इलाज उपलब्ध हो, रेफर करने के लिए एक अच्छा मामला हो सकता था। फिर भी, यह याचिकाकर्ता का मामला यह नहीं है कि उसके इलाज के लिए आवश्यक उपचार जीएमसीएच में उपलब्ध नहीं है।"

    पीठ ने यह भी नोट किया कि यह रेस-इंटेग्रस नहीं है कि चिकित्सा उपचार का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत परिकल्पित मौलिक अधिकार है। गौतम नवलखा और बंधुआ मुक्ति मोर्चा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य के फैसले सहित कई फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही स्थिति दोहराई है।

    हालांकि, अदालत ने कहा कि जीएमसीएच में याचिकाकर्ता को जरूरी इलाज मुहैया कराया जा रहा है। इसने जेल प्राधिकरण को जीएमसीएच या किसी अन्य सरकारी अस्पताल में, जब भी आवश्यकता हो, आवश्यक उपचार प्रदान करने के लिए सभी कदम उठाने का निर्देश दिया।

    परिणामस्वरूप, रिट याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: चिंतन जैन बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो

    केस नंबर: W.P.(Crl.) No. 42 of 2022

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (गुवाहाटी) 2

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