लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को एक ही विचारधारा का पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, व्यक्ति अपनी राय रखने का हकदार है: मद्रास हाईकोर्ट

Shahadat

8 Sep 2023 6:59 AM GMT

  • लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को एक ही विचारधारा का पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, व्यक्ति अपनी राय रखने का हकदार है: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति किसी विशेष विचारधारा के बारे में अपनी आपत्तियों और राय रखने का हकदार है। किसी को भी एक ही विचारधारा का पालन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि केवल संवाद ही समाज में विकास की गुंजाइश सुनिश्चित कर सकता है।

    अदालत ने कहा,

    “लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह हमेशा संभव है कि किसी विश्वास या विचारधारा के संबंध में उनके विचार भिन्न होंगे। हर किसी को एक ही विचारधारा का पालन करने के लिए मजबूर करना संभव नहीं है। एक व्यक्ति हमेशा एक विचारधारा के संबंध में अपनी आपत्तियां और राय रखने का हकदार है। अगर संवाद होगा तो ही समाज में विकास की गुंजाइश है।”

    जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में राय रखने की स्वतंत्रता भी शामिल है। इसे केवल इस आशंका पर रोका नहीं जा सकता कि कानून और व्यवस्था की समस्या हो सकती है।

    अदालत ने कहा,

    “यह अब बहुत अच्छी तरह से तय हो गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में राय रखने की स्वतंत्रता भी शामिल है। इसे केवल कानून और व्यवस्था की समस्या की आशंका पर रोका नहीं जा सकता है। फिर भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत जो उचित प्रतिबंध प्रदान किया गया है, वह केवल सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने की संभावना के बारे में बात करता है।”

    अदालत पुलिस इंस्पेक्टर (कानून एवं व्यवस्था) द्वारा जारी अस्वीकृति पत्र के खिलाफ दायर चुनौती पर सुनवाई कर रही थी। इस पत्र में सेंथिल मल्लार को द्रविड़ विचारधारा के बारे में विचारों को संबोधित करने के लिए सभा आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।

    मल्लार ने प्रस्तुत किया कि उनका संगठन एक सभा आयोजित करना चाहता था। इस सभा में आयोजक द्रविड़ विचारधारा के बारे में अपने विचार रखना चाहते थे। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने अनुमति मांगने के लिए 8 अगस्त, 2023 को पुलिस को अभ्यावेदन दिया था और जब अभ्यावेदन लंबित था तब अवाडी नागार्जन ने इस आधार पर आपत्ति दर्ज कराई कि मल्लार द्रविड़ों के खिलाफ सभा को संबोधित करने का प्रयास कर रहे है। इससे कानून और व्यवस्था की समस्या हो सकती हैं। इस आपत्ति को देखते हुए पुलिस ने सभा आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार करते हुए अस्वीकृति पत्र जारी कर दिया।

    दूसरी ओर, एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने अदालत को सूचित किया कि मल्लार ने विशेष उद्देश्य के लिए सभा आयोजित करने का अनुरोध किया था। और वह इस इस संक्षिप्त जानकारी के साथ सभा आयोजित करने का प्रयास कर रहा था। इससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती थी। अभियोजक ने कहा कि मल्लार को स्पष्ट एजेंडे के साथ सामने आना चाहिए, जिस पर सभा में चर्चा होनी है। उन्हें उसे छिपाना नहीं चाहिए।

    अदालत ने कहा कि हालांकि यह संभव है कि सभा में व्यक्त की गई राय द्रविड़ विचारधारा के पक्ष में रखे गए बहुमत के दृष्टिकोण के खिलाफ होगी। मगर इसके परिणामस्वरूप मल्लार और उनके संगठन को अपने विचार व्यक्त करने से रोका नहीं जा सकेगा।

    इस प्रकार, अदालत ने पुलिस द्वारा जारी अस्वीकृति पत्र रद्द कर दिया और मल्लार को अनुमति मांगने के लिए नया आवेदन देने को कहा। अदालत ने पुलिस को इस पर विचार करने और आवश्यक अनुमति देने का भी निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता के वकील: पी विजेंद्रन और प्रतिवादियों के वकील: ए दामोदरन, अतिरिक्त लोक अभियोजक

    केस टाइटल: सेंथिल मल्लार बनाम पुलिस आयुक्त और अन्य

    केस नंबर: डब्ल्यूपी नंबर 25907/2023

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