'मामूली त्रुटियों' के लिए उम्मीदवारी रद्द नहीं की जा सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आवेदन में गलत जन्म तिथि दर्ज करने वाली महिला के नौकरी का ऑफर बहाल किया
LiveLaw News Network
23 March 2022 7:45 AM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में एक सरकारी बैंक को जन्म तिथि में टाइपोग्राफिक त्रुटि के कारण कार्यालय सहायक (बहुउद्देश्यीय) के पद के लिए एक सफल उम्मीदवार की उम्मीदवारी को रद्द करने के अपने निर्णय को वापस लेने और उसके पक्ष में नियुक्ति आदेश जारी करने का निर्देश दिया।
जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा,
"यह स्वयं प्रतिवादी का मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता ने आवेदन में गलत जन्म तिथि दर्ज करके कोई लाभ प्राप्त किया है। याचिकाकर्ता की ओर से कोई जानबूझकर गलत बयानी नहीं की गई थी क्योंकि उसने अपना स्कूल प्रमाण पत्र जमा किया था। अनजाने में हुई एक त्रुटि और गलत बयानी या जानकारी छुपाने में के बीच अंतर है। याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को उसके आवेदन पत्र में टाइपिंग त्रुटि के आधार पर रद्द करना इसलिए मनमाना है और उसकी चूक की गंभीरता के लिए घोर अनुपातहीन है।"
याचिकाकर्ता का मामला यह था कि उसने प्रतिवादी बैंक में कार्यालय सहायक (बहुउद्देश्यीय) के पद के लिए लिखित परीक्षा में भाग लिया था और उसे सफलतापूर्वक पास कर लिया था।
हालांकि, उक्त परीक्षा के लिए अपना आवेदन जमा करते समय, उसने एक टाइपोग्राफिकल त्रुटि की और अपनी जन्म तिथि 04.11.1991 के बजाय 02.11.1991 बताई। जबकि बैंक ने शुरू में उसे ऑफर लेटर दिया था, बाद में उन्होंने दस्तावेजों के सत्यापन के चरण में उसकी उम्मीदवारी को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसने अपनी जन्मतिथि का गलत उल्लेख किया था। याचिकाकर्ता ने बैंक को एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उसने अपने फॉर्म में आवश्यक परिवर्तन करने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्होंने उस पर निर्णय नहीं लिया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसने गलत जन्मतिथि का उल्लेख करने से कुछ हासिल नहीं किया था और वह किसी भी तरह से उक्त पद के लिए योग्य थी। उसने प्रस्तुत किया कि उसे योग्यता के आधार पर विधिवत चुना गया था और यह उसकी ओर से एक अनजाने में टाइपोग्राफिक गलती थी जिसे माफ कर दिया जाना चाहिए था।
कोर्ट ने कहा कि जब आवेदन पत्र में भौतिक विसंगति देखी जाती है तो आवेदन संसाधित होने के बाद भी उम्मीदवारी रद्द की जा सकती है, और उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी गई है। लेकिन जब किसी उम्मीदवार ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया हो और सभी चरणों को सफलतापूर्वक पास कर लिया हो, तो चूक की गंभीरता की सावधानीपूर्वक जांच के बिना उम्मीदवारी रद्द नहीं की जानी चाहिए। हालांकि, यह नोट किया गया है कि मामूली चूक या त्रुटियों के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है।
मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने कहा कि यह न तो याचिकाकर्ता की ओर से जानबूझकर गलत बयानी का मामला था और न ही उसे अपनी गलती से कोई फायदा हुआ। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, न्यायालय ने याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी पर विचार करने और उसके पक्ष में नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए प्रतिवादी बैंक को निर्देश देते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया।
केस शीर्षक: पूनम पाल पुत्री लक्ष्मण सिंह पाल बनाम मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक