कट-ऑफ तारीख के बाद पैदा हुए बच्चे के नहीं रहने पर उम्मीदवार को महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

10 Feb 2023 11:51 AM IST

  • कट-ऑफ तारीख के बाद पैदा हुए बच्चे के नहीं रहने पर उम्मीदवार को महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि कट-ऑफ तारीख के बाद पैदा हुआ बच्चा, जिसका नामांकन से पहले निधन हो गया, उसे माता-पिता को महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम, 1959 के तहत पंचायत चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा।

    जस्टिस अरुण आर. पेडनेकर की औरंगाबाद खंडपीठ ने महिला को इस आधार पर अयोग्य ठहराने वाले अधिकारियों का आदेश खारिज कर दिया कि कट-ऑफ तारीख के बाद उसके दो से अधिक बच्चे थे।

    अदालत ने कहा,

    "इस प्रकार बच्चा कट-ऑफ तारीख के बाद पैदा हुआ और नामांकन से पहले निधन हो गया, उसे अयोग्यता के उद्देश्य के लिए नहीं गिना जाना चाहिए... वर्तमान मामले में चूंकि निचले अधिकारियों ने इस आधार पर कार्यवाही की है कि क्या बच्चे का जन्म हुआ है या नहीं कट-ऑफ तारीख समाप्त हो जाने के बाद नामांकन की तारीख सारहीन तथ्य है कि अधिकारियों ने विवादित आदेश पारित करने में कानून में त्रुटि की है।”

    अधिनियम की धारा 14(1)(जे-आई) में प्रावधान है कि दो से अधिक बच्चों वाला व्यक्ति पंचायत का सदस्य नहीं होगा। हालांकि, कट-ऑफ तारीख से पहले दो से अधिक बच्चे रखने वाले उम्मीदवारों को धारा के प्रावधान द्वारा अयोग्यता से बचाया जाता है।

    याचिकाकर्ता को जनवरी 2021 में ग्राम पंचायत निमगांव खालू के सदस्य के रूप में निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। गांव के निवासी ने अतिरिक्त कलेक्टर, अहमदनगर के समक्ष अधिनियम की धारा 14(1)(जे-1) के तहत शिकायत दर्ज की। उसने दावा किया कि उसके दो से अधिक बच्चे हैं और उनमें से एक बच्चे का जन्म 9 सितंबर, 2001 की कट-ऑफ तारीख के बाद हुआ है।

    अपर कलेक्टर ने उसे अयोग्य घोषित कर दिया और अपीलीय प्राधिकारी ने अयोग्यता का आदेश बरकरार रखा।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सुवर्णा जवारे ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि 12 फरवरी, 2002 को जन्मा बच्चा समय से पहले पैदा हुआ बच्चा और 02 अप्रैल, 2002 को जन्म के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।

    शिकायतकर्ता के वकील प्रशांत नांगारे ने याचिकाकर्ता के चौथे बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर विवाद किया, जिसमें जन्म तिथि 10 जून, 2001 (कट-ऑफ तारीख से पहले) दर्ज है। उन्होंने तर्क दिया कि यह बच्चा वास्तव में वह बच्चा है, जिसका जन्म 12 फरवरी, 2002 (कट-ऑफ डेट के बाद) को हुआ, क्योंकि पहले बच्चे के जन्म के आठ महीने के भीतर दूसरा बच्चा होना संभव नहीं है।

    अदालत ने सुभाष सजेसिंह गावित बनाम रिटर्निंग ऑफिसर में पूर्ण पीठ के फैसले पर भरोसा किया और कहा कि बच्चे की मृत्यु के साथ-साथ धारा 14(1)(जे-1) के प्रावधान याचिकाकर्ता की रक्षा करेंगे।

    अदालत ने कहा,

    "चूंकि कट-ऑफ तारीख के बाद पैदा हुए बच्चे की मृत्यु हो चुकी है और कट-ऑफ तारीख से पहले पैदा हुए दो से अधिक बच्चों को महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम, 1959 की धारा 14 (1) (जे-1) के प्रावधान के तहत संरक्षित किया जा रहा है, इससे याचिकाकर्ता अयोग्य नहीं होगी।"

    अदालत ने हालांकि, कहा कि याचिकाकर्ता के बच्चे की मौत का दावा ही विवादित है।

    हाईकोर्ट डिस्पेंसरी के डॉक्टर ने कोर्ट को सूचित किया कि समय से पहले बच्चे का जन्म मेडिकल रूप से संभव है और ऐसा बच्चा बहुत कमजोर होगा। इसलिए याचिकाकर्ता का तर्क कि एक समय से पहले बच्चे का जन्म हुआ और उसकी मृत्यु हो गई।

    अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने सुभाष सजेसिंह गावित मामले पर विचार नहीं किया, जिसमें कहा गया कि बच्चों की संख्या को नामांकन की तिथि के अनुसार माना जाना चाहिए।

    अदालत ने नोट किया,

    "कलेक्टर के साथ-साथ अपीलीय प्राधिकारी-अतिरिक्त आयुक्त ने इस आधार पर कार्यवाही की कि यदि उम्मीदवार के 2 से अधिक बच्चे हैं और उनमें से एक का जन्म 12.09.2001 की कट-ऑफ तारीख के बाद हुआ है तो उम्मीदवार को अयोग्य ठहराया जा सकता है।"

    अदालत ने आगे कहा कि अधिकारियों ने 12 फरवरी, 2002 को पैदा हुए बच्चे की मृत्यु के संबंध में सबूतों पर विचार नहीं किया, जो कि विवादित भी है।

    अत: न्यायालय ने आक्षेपित आदेशों को रद्द करते हुए मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए कलेक्टर के पास वापस भेज दिया। इसने पक्षकारों को इस बात का सबूत देने की अनुमति दी कि बच्चे का निधन हो गया या नहीं।

    अदालत ने कहा कि 12.02.2002 को पैदा हुए बच्चे की मृत्यु दर्ज करने का आवेदन लंबित है। अदालत ने मजिस्ट्रेट को आवेदन पर जल्द फैसला करने की सलाह दी, क्योंकि इसका सीधा असर मामले पर पड़ेगा।

    केस नंबर- रिट याचिका नंबर 8629/2022

    केस टाइटल- वैशाली चाबुराव कटोरे बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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