क्या इरादे की कमी आचरण को मिटा सकती है?: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बीयर मग के साथ दिखे सीनियर एडवोकेट से हाईकोर्ट का सवाल

Shahadat

14 July 2025 6:47 PM IST

  • क्या इरादे की कमी आचरण को मिटा सकती है?: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बीयर मग के साथ दिखे सीनियर एडवोकेट से हाईकोर्ट का सवाल

    सीनियर एडवोकेट भास्कर तन्ना के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार (14 जुलाई) को गुजरात हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि उसे पता है कि सीनियर एडवोकेट का ऐसा आचरण करने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन उसे आश्चर्य है कि क्या इरादे की कमी अवमाननापूर्ण आचरण को मिटा सकती है।

    बता दें, यह घटना 26 जून को जस्टिस संदीप भट्ट की पीठ के समक्ष हुई थी। उसके बाद इसका एक वीडियो क्लिप व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था।

    जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस आर.टी. वच्चानी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा:

    "हमारे 1 जुलाई के आदेश के अनुसार, रजिस्ट्री ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। रिपोर्ट को रिकॉर्ड में रखा गया। इससे पता चलता है कि प्रतिभागी मिस्टर भास्कर तन्ना के यूजर्स लॉग से पता चलता है कि वह 26 जून, 2025 को कुल 26 मिनट की अवधि के लिए बैठक में शामिल हुए थे। रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया कि लाइव स्ट्रीमिंग देखने पर यह देखा जा सकता है कि प्रतिभागी 01:59:14 से 02:07:48 के बीच फ़ोन पर बात करते और बीयर मग में ड्रिंक लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।"

    हाईकोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट शालीन मेहता ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा।

    तन्ना ने कहा कि वह बिना शर्त माफ़ी मांगते हुए अपना हलफनामा भी दाखिल करना चाहेंगे।

    उन्होंने आगे कहा,

    "मैं अपना बचाव नहीं कर रहा हूं और मैं सिर्फ़ इसलिए बता रहा हूं ताकि इसका समाधान किया जा सके। अगर नियंत्रण वकीलों के पास होता तो यह समस्या उत्पन्न हो सकती थी। मेरे मामले में यह पूरी तरह से ग़लती थी। अगर नियंत्रण अदालत के अधिकारी के पास होता तो अदालत में हमारा प्रवेश ही नहीं होता... मैं यह क्यों कह रहा हूं कि यह ग़लती इसलिए होती है, क्योंकि नियंत्रण हमें नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि अदालत के पास होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट यही करता है।"

    अदालत ने तन्ना के इस तर्क पर गौर किया कि उनका इस तरह पेश होने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन सिस्टम के संचालन में उनकी ग़लती के कारण इस तरह की लाइव स्ट्रीमिंग और आचरण हुआ।

    मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऐसी ही व्यवस्था का पालन कर रहा है। वकीलों और वादियों को वर्चुअल पेशी की अनुमति तभी दी जाती है, जब अदालत इसकी अनुमति देती है। हालांकि, मेहता ने यह भी कहा कि जब आपका नंबर आता है तो कोर्ट मास्टर आपकी आवाज़ अनम्यूट कर देते हैं। आपका वीडियो खोल देते हैं, लेकिन कभी-कभी एक और समस्या आ जाती है, जिसमें उन्होंने कहा कि जिस मामले में वे पेश हो रहे थे, उसमें उनकी आवाज़ कभी अनम्यूट नहीं की गई और वीडियो भी चालू नहीं किया गया।

    इस स्तर पर न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा,

    "हमें केवल न्यायालय की पवित्रता और गरिमा की चिंता है... एक सीनियर एडवोकेट के रूप में हम जानते हैं कि ऐसा कोई इरादा नहीं होगा, लेकिन क्या इरादे की कमी भी अवमाननापूर्ण आचरण को मिटा सकती है, यही मुद्दा होगा।"

    1 जुलाई को इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए खंडपीठ ने टिप्पणी की थी कि ऐसा व्यवहार "अपमानजनक और स्पष्ट" है, जिसके न्यायिक प्रणाली और कानून के शासन पर व्यापक और गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।

    इस बीच बाद में तन्ना पीठ के समक्ष उपस्थित हुए और बिना शर्त माफ़ी मांगी थी।

    अब इस मामले की सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

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