आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा, क्या अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए जारी किया गया सरकारी अनुदान लोन के रूप में दिया जा सकता है?

LiveLaw News Network

30 Aug 2020 5:57 PM GMT

  • आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा, क्या अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए जारी किया गया सरकारी अनुदान लोन के रूप में दिया जा सकता है?

    आंध्र प्रदेश ने वकील समुदाय के कल्याण के लिए राज्य सरकार की ओर से दिए गए 25 करोड़ रुपए अनुदान के संवितरण के लिए महाधिवक्ता की अध्यक्षता में गठित विशेष समिति को यह विचार करने का निर्देश दिया है कि क्या उक्त राशि को ऋण के रूप में वितरित किया जा सकता है, ब्याज लगाया जा सकता है और पुनर्भुगतान भी प्राप्त किया जा सकता है।

    एडवोकेट सैयद जियाउद्दीन आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल की 10 अगस्त की कार्यवाही को चुनौती दी है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा जारी राशि को जरूरतमंद अधिवक्ताओं को पुनर्भुगतान और ब्याज के साथ ऋण के रूप में देने पर विचार किया गया था। उन्होंने बार काउंसिल की कार्यवाही के खिलाफ याचिका दायर की है और फैसले को गैर कानूनी और मनमाना बताया है। जस्टिस निनाला जयसूर्या ने उक्त याचिका पर विचार किया है।

    एकल न्यायाधीश ने कहा है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने अधिवक्ता समुदाय के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपए का अनुदान देने की घोषणा की थी। उक्त अनुदान में से, 25 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। उक्त राशि को‌ वितर‌ित करने के उद्देश्य से महाधिवक्ता की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया गया है।

    समिति ने जरूरतमंद अधिवक्ताओं को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने और ऋण सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने पहले ही सीओपी आवेदन या घोषणाएं दायर की हैं। समिति ने बार एसोसिएशन सर्टिफिकेट / आईडी कार्ड और स्व-घोषणा के साथ 10 अगस्त शाम 4 बजे से 16 अगस्त शाम 4 बजे तक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल आवेदन के लिए भी मंगाया था। हालांकि समिति का निर्णय बार काउंसिल की 10 अगस्त की कार्यवाही की एक पत्र के माध्यम से सूचित किया गया है।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि उक्त कार्यवाही अधिवक्ताओं के अधिनियम की धारा 6 (2) के खिलाफ है और जुलाई 2018 के सरकार के आदेश के विपरीत है। "अधिनियम की धारा 6 (2) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बार काउंसिल सहायता प्रदान करेगी और ऋण नहीं। वहां इस्तेमाल किया गया शब्द सहायता है, ऋण नहीं है। सहायता के मामले में, कोई पुनर्भुगतान नहीं हो सकता है।"

    आगे बताया गया है कि उक्त अनुदान सरकार ने एक आदेश के जर‌िए 08.07.2020 को जारी किया था। ट्रस्ट ऑफ वेलफेयर ऑफ लार्यस के ‌लिए जारी किए गए 25 करोड़ रुपए के संबंध में जारी सरकारी आदेशा कहता है, "उक्त राशि का उपयोग एडवोकेट जनरल, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की अध्यक्षता में बनी समिति, आंध्र प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन के साथ परामर्श के बाद, उन्हीं द्वारा चुने गए आंध्र प्रदेश बार काउंसिल के चार सदस्यों के साथ द्वारा चुने गए जरूरतमंद अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए किया जाएगा। राशि के वितरण के संबंध में दिशा-निर्देशों को समिति द्वारा निर्धारित किया "

    याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि ब्याज के साथ ऋण का अनुदान नअधिवक्ता समुदाय के लिए कोई लाभ प्रदान करता है।

    एकल जज की बेंच ने कहा, "हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने कई तर्क दिए हैं, और 10 अगस्त की कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की, यह अदालत ने संबंधित उत्तरदाताओं को अपने जवाब दर्ज करने का अवसर दिए बिना, अंतरिम राहत देने की इच्छुक नहीं है।"

    हालांकि, पीठ ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता ने 10 अगस्त को बार काउंसिल को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया था कि जरूरतमंद अधिवक्ताओं को देने के लिए प्रस्तावित ऋण पर कोई ब्याज नहीं लगाना है, और उक्त प्रतिनिधित्व पर विचार किए बिना, बार काउंसिल ऋण आवेदनों की प्रक्रिया पर आगे बढ़ रही है।

    हाईकोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता द्वारा किए गए प्रतिनिधित्व पर उचित कार्रवाई करने की जिम्‍मेदारी उक्त समिति की होगी और उसी को विशेष समिति द्वारा दो सप्ताह की अवधि के भीतर यथाशीघ्र विचार किया जाएगा।

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