क्या डिजिटल हस्ताक्षर के साथ छात्रों को ऑनलाइन डिग्री दी जा सकती है? दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा दिल्ली विश्वविद्यालय इस पर विचार करे

LiveLaw News Network

22 July 2020 12:28 PM GMT

  • क्या डिजिटल हस्ताक्षर के साथ छात्रों को ऑनलाइन डिग्री दी जा सकती है? दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा दिल्ली विश्वविद्यालय इस पर विचार करे

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह छात्रों को डिजिटल हस्ताक्षर के साथ ऑनलाइन मोड के माध्यम से डिग्री प्रदान करने के लिए एक विशेष इंटरफेस बनाने की व्यवहार्यता पर विचार करे।

    न्यायमूर्ति प्रथिबा एम सिंह की एकल पीठ ने कंप्यूटर सेल के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के परीक्षा के डीन को निर्देश दिया है कि वे डिग्री प्रमाणपत्र, मार्कशीट और छात्रों की शिकायतों के समाधान के लिए एक विशेष सेल/ ऑनलाइन पोर्टल बनाने के मुद्दे पर गौर करें।

    पीठ ने कहा कि-

    'जिन पेशेवरों की सेवाओं की इस महामारी में आवश्यकता है,उनको स्नातक या ग्रेजुएट होने के 2 साल बाद भी अपनी डिग्री प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अदालतों का रुख करना पड़ रहा है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि जिसके चलते दिल्ली विश्वविद्यालय तकनीकी रूप से उन्नत तरीके नहीं अपना सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों को असुविधा न हो।'

    कोर्ट ने यह आदेश लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के कुछ एमबीबीएस स्नातकों की तरफ से दायर एक रिट पर दिया है। जिन्होंने 2018 में स्नातक किया था, लेकिन अभी तक उनको डिग्री प्रमाण पत्र नहीं मिले हैं।

    याचिकाकर्ताओं के लिए पेश हुए श्री सार्थक मग्गन ने दलील दी कि डिग्री न मिलने के कारण उक्त स्नातक संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने रेजीडेंस प्रोग्राम के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।

    दूसरी ओर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रस्तुत किया कि उसने निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है और डिग्री प्रमाणपत्रों को प्रिटिंग करने के लिए एक प्रिंटर के साथ समझौते किया जा रहा है,जो अपने अंतिम अंतिम चरण में है।

    विश्वविद्यालय की तरफ से यह भी दलील दी गई कि तीन अगस्त से बोली लगाने का काम शुरू हो जाएगा और अगस्त के पहले सप्ताह में ही अनुबंध को अंतिम रूप दे दिए जाने की संभावना है।

    इस तरह के असंतोषजनक बहाने के लिए विश्वविद्यालय की खिंचाई करते हुए अदालत ने कहा कि-

    'यह इस स्टेज पर हमेशा के लिए चलता रहेगा। डीयू यह नहीं कह सकता कि उसके पास प्रिंटर नहीं है। आपको वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार करना चाहिए। जिसमें डिजिटल हस्ताक्षर के साथ आॅनलाइन डिग्री दी जा सकती हैं। हमें एक वैकल्पिक तंत्र की आवश्यकता है, छात्रों को इस तरह से पीड़ित होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।'

    अदालत ने यह भी कहा कि अगर कोर्ट के आदेश डिजिटल हस्ताक्षर के साथ ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा सकते हैं, तो दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है?

    इन टिप्पणियों के प्रकाश में, अदालत ने कंप्यूटर सेल और परीक्षा के डीन को निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई पर कोर्ट के समक्ष उपस्थित हों।

    इस मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।

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