क्या ट्रांसजेंडर महिला आईपीसी की धारा 498-ए के तहत शिकायतकर्ता हो सकती है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट जांच करेगा

Shahadat

13 Sep 2022 7:35 AM GMT

  • क्या ट्रांसजेंडर महिला आईपीसी की धारा 498-ए के तहत शिकायतकर्ता हो सकती है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट जांच करेगा

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में आपराधिक शिकायत रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट इस बात की जांच करेगा क्या ट्रांसजेंडर महिला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए के तहत दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करा सकती है।

    याचिका वीके मूर्ति नामक व्यक्ति ने दायर की। इसमें कहा गया कि आईपीसी की धारा 498ए को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस धारा के तहत की गई शिकायत 'महिला' द्वारा की जानी चाहिए। इस प्रावधान के तहत ट्रांसजेंडर महिला शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत नहीं की जाती है।

    याचिका में याचिकाकर्ता के खिलाफ ट्रांसजेंडर महिला द्वारा उसकी पत्नी होने का दावा करने वाली आपराधिक शिकायत रद्द करने की मांग की गई।

    एकल पीठ ने मामले का संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुंसिफ मजिस्ट्रेट कोर्ट की फाइल पर लंबित आपराधिक शिकायत की सभी कार्यवाही पर आठ (8) सप्ताह के लिए रोक लगाने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "मामले पर विचार करने की आवश्यकता है।"

    आईपीसी की धारा 498ए निर्दिष्ट करती है कि यदि किसी विवाहित महिला पर उसके पति या उसके पति के किसी रिश्तेदार द्वारा क्रूरता और उत्पीड़न किया जाता है तो ऐसे पति या पति के ऐसे रिश्तेदारों को दंडित किया जाएगा। सजा एक अवधि के लिए कारावास है, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और इसमें जुर्माना भी लगाया जा सकता है। क़ानून में परिभाषा की प्रकृति ऐसी है कि इसे केवल पति और पति के रिश्तेदारों के खिलाफ ही लागू किया जा सकता है, क्योंकि यह अपराध की लिंग प्रकृति को पहचानता है।

    इस मामले में ट्रांसजेंडर महिला ने शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि उसके साथी के माता-पिता ने उस पर झूठे आरोप लगाकर उसे परेशान किया। टेस्ट-ट्यूब बेबी की योजना बनाते समय उसका साथी एक दिन उसके माता-पिता के पास गया और फिर कभी नहीं लौटा। शिकायतकर्ता ने उससे उसके फोन पर और उसके माता-पिता के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं कर सकी। शिकायत में कहा गया कि उसके ठिकाने की पूछताछ के बाद उसे पता चला कि उसके माता-पिता ने उसे घर में बंद कर दिया। इसके साथ ही उसे शिकायतकर्ता से दूर रखने के लिए भारत से बाहर भेजने की कोशिश कर रहे हैं।

    आरोप है कि कुछ दिनों बाद उसे अपने साथी का संदेश मिला कि वह उसे भाग जाने की सलाह दे रहा है; नहीं तो उसके माता-पिता उसकी हत्या कर सकते हैं। दावा किया गया कि उसे गाली-गलौज और अश्लील टिप्पणियां और अपहरण की धमकी भी मिली। उसने पुलिस स्टेशन में शिकायत की, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के सपठित धारा 34 और दहेज (निषेध) अधिनियम की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की।

    इस रद्द करने वाली याचिका में याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि शिकायतकर्ता के अनुसार, याचिकाकर्ता ने उसे छोड़ दिया और ऐसी परिस्थितियों में आईपीसी की धारा 498-ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के प्रावधान आकर्षित नहीं होते।

    यह भी प्रस्तुत किया जाता है कि शिकायत आईपीसी की धारा 498ए और डीपीए की धारा 4 के तहत कोई अपराध नहीं है, क्योंकि दहेज और क्रूरता से संबंधित कोई प्रथम दृष्टया आरोप नहीं हैं।

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