भारतीय करेंसी नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छापने की मांग वाली याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

14 Dec 2021 7:20 AM GMT

  • भारतीय करेंसी नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छापने की मांग वाली याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) में केंद्र सरकार से जवाब मांगा। इसमें भारतीय करेंसी नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छापने का निर्देश देने की मांग की गई।

    94 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी हरेन बागची विश्वास द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि महात्मा गांधी जैसे नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर क्यों नहीं छापी जा सकती। याचिकाकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि भारत सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को उचित मान्यता नहीं दी है।

    मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर द्वारा हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगने के बाद आठ सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करे।

    मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी, 2022 को होगी।

    आदेश में कहा गया,

    "अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने विपक्ष में हलफनामा दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा। 21 फरवरी, 2022 को सूची बनाएं।"

    कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष इसी तरह की एक जनहित याचिका 2017 में पृथ्वी दासगुप्ता द्वारा दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि देश में करेंसी नोटों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस या किसी अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व की तस्वीरें क्यों नहीं हो सकती हैं। इस संबंध में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश निशिता म्हार्टे और न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से जवाब मांगा था।

    मद्रास हाईकोर्ट ने एक संबंधित मामले में सितंबर, 2021 में एक याचिका को खारिज कर दिया था। इसमें केंद्र सरकार ने नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छापने के लिए एक प्रतिनिधित्व की अस्वीकृति को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर के अलावा किसी अन्य व्यक्ति की तस्वीर की नहीं छापने में केंद्र सरकार और आरबीआई के फैसले में कोई गलती नहीं है।

    मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति एम. दुरईस्वामी की खंडपीठ ने टिप्पणी की थी,

    "यह न्यायालय इस देश की स्वतंत्रता के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस और अन्य महान नेताओं द्वारा की गई लड़ाई और बलिदान को कम करके नहीं आंक रहा है। कई जाने-माने नायक और गुमनाम नायक हैं। अगर हर कोई ऐसा दावा करना शुरू कर देता है तो इसका अंत नहीं होगा।"

    केस शीर्षक: हरेन बागची विश्वास उर्फ ​​हरेंद्रनाथ विश्वास बनाम भारत संघ

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