"जानवरों को समाज की क्रूरता से बचाना है": कलकत्ता हाईकोर्ट ने एसपी को न्यायालय परिसर से चोरी हुए 'सुअर' का पता लगाने का आदेश दिया

Shahadat

19 July 2022 8:31 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में कल्याणी कोर्ट परिसर से जबरन ले जाए गए 'लापता सुअर' से संबंधित मामले की जांच में पुलिस अधिकारियों के उदासीन रवैये पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।

    जस्टिस शंपा सरकार की एकल न्यायाधीश खंडपीठ ने कहा,

    "इस जांच में सर्वोपरि विचार न्यायालय परिसर की सुरक्षा के अलावा पशु के हितों की रक्षा करना होना चाहिए। जानवरों की भलाई को वैधानिक रूप से मान्यता दी गई है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 51-ए(जी) और (एच) के साथ पठित पीसीए अधिनियम की धारा 3 और धारा 11 के तहत जानवरों को अनावश्यक दर्द या पीड़ा से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।

    मामले के तथ्य:

    याचिकाकर्ता कल्याणी बार एसोसिएशन के कुछ सदस्य हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके द्वारा बचाए गए और पाले गए सुअर को कुछ बदमाशों जबरन उठा ले गए। सुअर कोर्ट परिसर में था। 25 मार्च, 2022 की दोपहर में चार अज्ञात व्यक्ति कोर्ट परिसर में घुसे और कार में जानवर को जबरदस्ती ले गए। पूरी घटना को सुरक्षा गार्ड द्वारा मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया गया और पुलिस को भेज दिया गया। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने 2 अप्रैल, 2022 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 379 के तहत मामला दर्ज किया।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि जानवर को उसके परिचित परिवेश से और उसकी देखभाल करने वाले व्यक्तियों की हिरासत से जबरन हटाना क्रूरता के समान है। उन्होंने आग्रह किया कि मामले में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों को लागू किया जाना चाहिए था।

    न्यायालय की टिप्पणियां:

    न्यायालय ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए नागराज में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि जानवरों के मामले में भय और संकट से मुक्ति एक अधिकार है। इस सिद्धांत को लागू करते हुए न्यायालय ने कहा कि जब अज्ञात व्यक्तियों द्वारा सुअर को उसके परिचित स्थान से जबरदस्ती हटा दिया गया था तो उसे दिए गए अधिकारों का उल्लंघन किया गया।

    पुलिस के लापरवाह व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने टिप्पणी की,

    "प्रथम दृष्टया यह न्यायालय याचिकाकर्ता की दलीलों में सार पाता है। पुलिस अधिकारियों को अधिक गंभीरता से जांच करनी चाहिए। हालांकि, सुरक्षा गार्डों के बयान आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए है। रिपोर्ट से यह भी पता नहीं चलता कि आरोपी व्यक्तियों का पता लगाने के लिए क्या ट्रैक बनाए गए हैं। सुरक्षा गार्डों द्वारा क्लिक की गई तस्वीरों से बदमाशों की पहचान का पता लगाया जा सकता है।"

    इसके बाद अदालत ने राणाघाट पुलिस जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को जांच की निगरानी करने और इस संबंध में उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।

    इसके अलावा यह देखा गया,

    "यह ध्यान में रखना होगा कि जानवरों की समाज की क्रूरता से रक्षा करनी है। यह मौलिक कर्तव्य है। मामला यह नहीं है कि नागरिक निकाय ने स्वच्छता आदि के लिए पशु को हटा दिया था।"

    न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि अज्ञात व्यक्ति न्यायालय परिसर में प्रवेश कर गए और बिना किसी प्रतिरोध के जानवर को ले गए। यह देखा गया कि न्यायालय परिसर की सुरक्षा भी एक मुद्दा है, जिस पर गौर किया जाना चाहिए। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पुलिस अधिकारियों को कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए।

    केस टाइटल: अतसी चक्रवर्ती (मजूमदार) और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।

    केस नंबर: 2022 का डब्ल्यूपीए नंबर 11566

    आदेश दिनांक: 15 जुलाई 2022

    कोरम: शम्पा सरकार, जे.

    याचिकाकर्ताओं के वकील: एडवोकेट शिबाजी कुमार दास

    प्रतिवादियों के लिए वकील: एडवोकेट भास्कर प्रसाद वैश्य और एडवोकेट मृणाल कांति घोष

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