कलकत्ता हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किया, यातना के आरोपी महिला के ससुराल वालों की जमानत रद्द की
Avanish Pathak
21 Feb 2023 10:10 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग किया और एक महिला के ससुराल वालों को दी गई जमानत को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उन्होंने महिला को प्रताड़ित किया था।
पीड़िता की ओर से दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए, जस्टिस राजशेखर मंथा की सिंगल जज पीठ ने कहा, "इस न्यायालय का विचार है कि यह मामला वास्तव में असाधारण प्रकृति का है और असाधारण उपायों की मांग करता है। याचिकाकर्ता स्पष्ट रूप से निरंतर प्रताड़ना और उत्पीड़न का शिकार हुई है। भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 354 के तहत आरोप पुलिस द्वारा जांच में प्रथम दृष्टया स्थापित किए गए हैं।
याचिकाकर्ता/पीड़िता ने कांडी पुलिस स्टेशन में अपने ससुराल वालों और कई अन्य व्यक्तियों के खिलाफ बलात्कार, चोट, शील भंग, क्रूरता और आपराधिक धमकी सहित अन्य अपराधों में 11 एफआईआर दर्ज करवाई थी।
अदालत ने कहा कि 10 एफआईआर में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। अदालत ने कहा कि आरोपी प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ लगातार अपराध करने के दोषी हैं।
अदालत ने आगे कहा,
"यह ध्यान देने योग्य बात है कि कांडी पुलिस स्टेशन ने संबंधित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोपी व्यक्तियों की जमानत का विरोध क्यों नहीं किया और उक्त आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पहले से दायर दस चार्जशीट को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष क्यों नहीं रखा गया।
"ऐसे व्यक्तियों को किसी भी स्वतंत्रता का आनंद लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि वे याचिकाकर्ता के लिए खतरा बने हुए हैं। ऐसे लोगों के मन में कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं होता है। 6 फरवरी, 2023 को संबंधित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हें दी गई जमानत इस न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए रद्द की जाती है।"
अदालत ने कांडी थाना पुलिस को आरोपी व्यक्तियों को तत्काल हिरासत में लेने का निर्देश दिया।
अदालत ने आगे आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के आवास के बाहर कांडी पुलिस स्टेशन एक पुरुष और महिला कांस्टेबल की पुलिस पिकेट तैनात करे ताकि वह किसी भी व्यक्ति के धमकी के बिना वहां शांति से रह सके।
केस टाइटल: केबी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य।