कलकत्ता हाईकोर्ट ने दीवाली, काली पूजा, छठ पूजा के दौरान पूरे राज्य में पटाखों की बिक्री और जलाने पर लगाया प्रतिबंध

LiveLaw News Network

6 Nov 2020 4:30 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने दीवाली, काली पूजा, छठ पूजा के दौरान पूरे राज्य में पटाखों की बिक्री और जलाने पर लगाया प्रतिबंध

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार (05 अक्टूबर) को COVID-19 के प्रकोप के मद्देनजर काली पूजा पर पटाखों के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।

    जस्ट‌िस संजीब बनर्जी और जस्ट‌िस अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने आदेश दिया, "राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि काली पूजा और दीवाली पर पटाखों का कोई उपयोग, प्रदर्शन या विस्फोट न हो।"

    इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया,"इस मौके के लिए, नागरिकों भी भलाई और व्यापक सार्वजनिक हित के लिए, मोम या तेल का दीया पर्याप्त होगा। पटाखों के संबंध में यह दिशा पूरे राज्य में प्रभावी होगा और न केवल काली पूजा और दीवाली पर लागू होगा, बल्‍कि इसके बाद छठ पूजा, जगधात्री पूजा और गुरु नानक जयंती समारोह पर भी लागू रहेगा।"

    मामला

    आगामी त्योहारों के संबंध में, दो जनहित याचिकाएं दायर की गईं थीं। दूसरी याचिका में क्रिसमस से काली पूजा से लेकर क्रिसमस तक के लिए प्रार्थनाएं की गईं थीं।

    इसके अलावा, एक अपंजीकृत संगठन, जिसे लोकल फायरक्रैकर्स एसोसिएशन कहा जा सकता है, ने भी याचिका दायर की थी। यह पटाखों में निर्माण या व्यापार में लगे व्यक्तियों का एक संगठन है।

    राज्य के निर्देश

    न्यायालय ने कहा कि राज्य ने पहले ही काली पूजा और दीवाली पर पटाखों के संबंध में मौखिक सलाह जारी कर चुका है। अदालत ने आगे कहा कि इस साल महामारी और फेफड़े पर वायरस दुष्‍प्रभावों के देखते हुए, राज्य की ओर से सभी प्रकार के पटाखों का उपयोग नहीं करने की अपील की गई है।

    न्यायालय ने भी टिप्पणी की, "यह स्पष्ट है कि वायु की गुणवत्ता की रक्षा के लिए राज्य की ओर से प्रयास किया गया है ताकि पटाखों से होने वाले हानिकारक धुएं के कारण संक्रमण से श्वसन समस्याएं बढ़ न जाएं।"

    कोर्ट ने दूर्गा पूजा के दौरान राज्य सरकार और पुलिस की भूमिकाओं की सराहना की।

    राज्य की दलील

    राज्य ने न्यायालय के समक्ष कहा कि पटाखों से संबंधित मामला नेशनल ग्रीन ट्र‌िब्यूनल के समक्ष लंबित है और आदेश सुरक्षित रखे गए हैं।

    राज्य ने सुझाव दिया कि, "पूरे देश में पटाखों से संबंधित मामले को इस विशेष निकाय द्वारा उठाए जाने की रोशनी में, इस तरह के पहलू को ट्रिब्यूनल पर छोड़ा जा सकता है और वर्तमान कार्यवाही में नहीं जाना चाहिए।"

    राज्य ने कहा कि अब जारी किए जाने वाले निर्देश काली पूजा और काली पूजा पंडालों से संबंधित मामलों तक सीमित हो सकते हैं, क्योंकि जगधात्री पूजा और छठ पूजा से पहले पर्याप्त समय उपलब्ध है।

    इस संदर्भ में, न्यायालय ने कहा कि छठ पूजा से संबंधित मामलों पर 10 नवंबर, 2020 को विचार किया जाएगा।

    काली पूजा, जगधात्री पूजा और कार्तिक पूजा से संबंधित न्यायालय के निर्देश

    न्यायालय का मत था कि चूंकि सार्वजनिक स्तर पर काली पूजा, दुर्गा पूजा से कई गुना अधिक होती है, और कुछ पंडाल बहुत छोटे होते हैं, इसलिए दुर्गा पूजा पंडालों के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों को कुछ हद तक संशोधित किया जाना चाहिए।

    इस संदर्भ में, न्यायालय ने निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए

    ·सभी पंडाल नो-एंट्री जोन बने रहेंगे, जिसमें सभी खुले किनारों पर पंडालों से पांच-मीटर का एरिया भी शामिल होगा। केवल 5 ढाकियों को पंडालों और उसके बाद पांच मीटर के दायरे की जगह में जाने की अनुमति होगी। ढाकियों को छोड़कर, पांच-मीटर जोन को हर समय खाली रखा जाना है।

    ·छोटे पंडालों के लिए, जहां मंचको छोड़कर कवर एरिया 150 वर्ग मीटर तक है, केवल 10 व्यक्ति किसी भी समय ऐसे कवर एरिया में हो सकते हैं। मंच को छोड़कर 150 वर्ग मीटर से 300 वर्ग मीटर के कवर एरिया वाले पंडालों में किसी भी समय में 15 व्यक्ति हो सकते हैं।

    ·बड़े पंडालों, जिनका मंच को छोड़कर, 300 वर्ग मीटर से अधिक एरिया हो, अधिकतम 45 व्यक्ति किसी भी समय पंडालों के भीतर हो सकते हैं।

    · पंडाल के भीतर और आसपास मास्क पहनना अनिवार्य होगा और वहां सैनेटाइजर्स जरूर होने चाहिए। पंडालों के भीतर और आसपास, सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंड को बनाए रखना है।

    · विसर्जन सामान्य होना चाहिए और इसके लिए जुलूस की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के समय बैंड और लाइट का उपयोग भी प्रतिबंधित रहेगा। स्थानीय पुलिस पर होगा कि वह अलग-अलग पांडालों को अलग-अलग समय की व्यवस्था करे ताकि विसर्जन घाटों पर भीड़भाड़ न हो।

    पटाखों पर बैन से संबंधित कोर्ट के निर्देश

    न्यायालय ने निर्देश दिया कि पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी रखनी चाहिए कि आज से लेकर महीने के अंत तक राज्य में किसी भी रूप में पटाखों की बिक्री या खरीद नहीं हो।

    साथ ही, पुलिस को पटाखे और किसी भी तरह की सामग्री को जब्त करने का हरसंभव प्रयास करने को कहा गया है, जिसमें हवा को प्रदूषित करने की क्षमता हो। इन निर्देशों के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस द्वारा तत्काल उचित उपाय किए जाने चाहिए।

    राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि किसी भी प्रकार का कोई पटाखा राज्य में नहीं लाया जाए, केवल वही पाटाखा राज्य से होकर गुजरे जिसे दूसरे राज्य में जाना है। इस क्रम में "पटाखे" शब्द का प्रयोग सभी प्रकार की फुलझड़ियों और जिनके जलाने से कोई ध्वनि या प्रकाश उत्पन्न होता है, के लिए किया जाता है।

    ​​फायरक्रैकर्स एसोसिएशन द्वारा दिए गए आवेदन पर कोर्ट ने कहा, "यह राज्य के लिए विचार करना होगा कि क्या उचित मुआवजा या अन्य उपाय किए जा सकते हैं"।

    कोर्ट ने आगे कहा, "सभी की भलाई के लिए, पटाखे के कारोबार में शामिल लोगों की एक छोटी सी संख्या को नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारी जनहित से समझौता नहीं किया जा सकता है।"

    जहां तक ​​राज्य में मंदिरों का सवाल है, कोर्ट ने आदेश दिया, "स्थानीय पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि COVID प्रोटोकॉल को बनाए रखा जाए, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंड शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि मंदिर के भीतर या बाहर कोई भीड़भाड़ न हो। यह विशेष रूप से दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कालीघाट मंदिर, तारापीठ मंदिर, रूपनारायणपुर, कल्याणेश्वरी मंदिर और राज्य भर में काली और शक्ति के अन्य मंदिरों पर लागू होगा, जब तक कि लॉकडाउन पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता है।"

    अन्य पहलुओं के लिए, विशेष रूप से, छठ पूजा आद‌ि का मामला 10 नवंबर, 2020 को सुना जाएगा।

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