कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

3 Nov 2021 1:41 PM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को आगामी त्योहारों के दौरान पटाखों के नियमन पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेशों के उचित कार्यान्वयन के लिए निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका का निपटारा किया। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करने के मद्देनजर आया जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य में पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

    जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस केसांग डोमा भूटिया की खंडपीठ ने बुधवार को कहा,

    "इस न्यायालय का विचार है कि राज्य के लिए किसी भी निर्देश को लागू करना असंभव नहीं तो यह अत्यंत कठिन होगा, क्योंकि दिवाली का त्योहार कल (गुरुवार) है। कोर्ट नोट करता है कि अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश ऐसा प्रतीत होता है कि आक्षेपित आदेश में पर्याप्त रूप से अनुपालन किया गया है।"

    पीठ ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने त्योहार के दिनों में पटाखों के इस्तेमाल के लिए निश्चित समय निर्धारित किया है। आगे यह भी ध्यान में रखा गया कि राज्य ने अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार केवल 'ग्रीन क्रैकर्स' के उपयोग और निर्माण के लिए निर्देश जारी किए।

    बेंच ने आगे दर्ज किया,

    "यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जाने चाहिए कि केवल ग्रीन पटाखों का उपयोग किया जाए। स्वच्छ वातावरण और स्वच्छ हवा के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है।"

    अदालत ने हालांकि याचिकाकर्ता को एक नई रिट याचिका दायर करने की अनुमति दी। इसमें अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए और निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिका मूल याचिकाकर्ता यानी पर्यावरण कार्यकर्ता रोशनी अली द्वारा स्थानांतरित की गई है। उनकी जनहित याचिका (पीआईएल) पर जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने ग्रीन पटाखों सहित सभी प्रकार के पटाखों के उपयोग और बिक्री पर इस वर्ष आने वाले त्योहारों के दौरान पूरे पश्चिम बंगाल राज्य में पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया था और इसके बजाय पश्चिम बंगाल राज्य में केवल 'ग्रीन पटाखों' के उपयोग और निर्माण की अनुमति दी थी। हालांकि, याचिकाकर्ता को आगे के निर्देश के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी गई थी।

    कोर्ट ने बुधवार को अपने आदेश में दर्ज किया कि अधिवक्ता श्रीजीब चक्रवर्ती द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए पटाखा निर्माताओं के संघ ने एक उपक्रम लिया कि उनके मुवक्किल द्वारा ग्रीन पटाखों को छोड़कर कोई अन्य पटाखा नहीं बेचा जाएगा।

    कोर्ट रूम एक्सचेंज

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता रचित लखमनी ने पीठ से अस्पतालों और आवासीय क्षेत्रों से दूर ग्रीन पटाखे फोड़ने के लिए क्षेत्रों के सीमांकन के लिए निर्देश प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने आगे अदालत को अवगत कराया कि पश्चिम बंगाल राज्य या पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ऐसे किसी भी सीमांकित क्षेत्र को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।

    हालांकि, बेंच ने वकील से सवाल किया कि उत्सव की शुरुआत से 24 घंटे पहले ही राज्य को अतिरिक्त निर्देशों का पालन करने के लिए कैसे कहा जा सकता है।

    न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने टिप्पणी की,

    "आप त्योहार से एक दिन पहले आ रहे हैं। देश के अधिकांश हिस्सों में त्योहार शुरू हो चुका है। क्या आप राज्य से 24 घंटे से कम समय में निर्देशों का पालन करने की उम्मीद कर रहे हैं?"

    इसके अलावा अधिवक्ता लखमनी ने अदालत के समक्ष यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया कि सड़कों पर पटाखे न फोड़ें और यह सुनिश्चित करें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार कोई 'सामुदायिक आतिशबाजी' न हो।

    एडवोकेट जनरल एसएन मुखर्जी ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि राज्य 'स्वास्थ्य खतरों से अवगत' है और यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा कि केवल ग्रीन पटाखों का उपयोग और निर्माण हो।

    दूसरी ओर पटाखा निर्माताओं के संघ की ओर से पेश अधिवक्ता श्रीजीब चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि वर्तमान याचिका केवल प्रचार पाने के लिए दायर की गई है।

    उन्होंने पीठ के समक्ष टिप्पणी की,

    "याचिकाकर्ता सोशल मीडिया का उपयोग कर रही है। इंटरव्यू दे रही हैं, जहां वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना कर रही हैं। यह बिल्कुल निंदनीय है।"

    उन्होंने आगे याचिकाकर्ता के एक सोशल मीडिया पोस्ट का उल्लेख किया जिसमें उसने कथित तौर पर लोगों से इंटरव्यू के लिए उससे संपर्क करने के लिए कहा था। तदनुसार वकील ने आगे टिप्पणी की कि उन्हें पता कि कि क्या वह इस तरह के इंटरव्यू के लिए पारिश्रमिक ले रही है।

    न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने इस तरह के आरोपों पर विचार करने से इनकार कर दिया और इस तरह टिप्पणी की,

    "मैं प्रचार के आरोपों पर ध्यान नहीं दे रहा हूं।"

    उन्होंने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि बड़े पैमाने पर नागरिकों के हितों और पटाखा निर्माताओं के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।

    पृष्ठभूमि

    कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने आगामी उत्सवों के दौरान पूरे पश्चिम बंगाल राज्य में ग्रीन पटाखों सहित सभी प्रकार के पटाखों के उपयोग और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।

    जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के 29 अक्टूबर, 2021 को काली पूजा, दिवाली, छठ पूजा, जगधात्री पूजा, गुरु नानक का जन्मदिन, क्रिसमस की पूर्व संध्या और इस साल नए साल की पूर्व संध्या जैसे आगामी उत्सवों के दौरान पश्चिम बंगाल में पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को दी गई चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

    "पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं हो सकता। दुरुपयोग को रोकने के लिए तंत्र को मजबूत करें।"

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट ने तंत्र की कमी से प्रभावित होने पर पटाखों पर इसलिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल ग्रीन पटाखों का उपयोग किया जा रहा है।

    हालांकि बहस के दौरान इस पहलू पर कभी बहस नहीं हुई। पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने प्रस्तुत किया कि यदि हाईकोर्ट ने राज्य को अवसर दिया होता तो अधिकारियों ने प्रवर्तन तंत्र के बारे में विवरण रिकॉर्ड में रखा होता। अवकाश पीठ ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट पटाखों के मुद्दे पर विचार कर रहा है और 29 अक्टूबर को पारित आदेश में स्पष्ट किया गया कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।

    केस शीर्षक: रोशनी अली बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

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