'गैरकानूनी जनसमूह ने किया पीड़ित पर हमला': अदालत ने दिल्ली दंगों के दौरान हुई हत्या के मामले में चार के खिलाफ आरोप तय किए

LiveLaw News Network

13 Nov 2021 6:39 AM GMT

  • गैरकानूनी जनसमूह ने किया पीड़ित पर हमला: अदालत ने दिल्ली दंगों के दौरान हुई हत्या के मामले में चार के खिलाफ आरोप तय किए

    दिल्ली की एक अदालत ने चार लोगों के खिलाफ कथित तौर पर एक गैरकानूनी जनसमूह का हिस्सा होने के मामले में आरोप तय किए हैं। उन्होंने ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के दौरान दंगा करने और दीपक नाम के एक व्यक्ति की हत्या करने के सामान्य इरादे से हिंसा की थी।

    अदालत ने कहा कि पीड़ित पर सुनियोजित हमला किया गया था।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा, "... उनकी लामबंदी के तरीके और इरादे को जैसा उनके आचरण से समझा जाता है, उक्त गैरकानूनी जनसमूह को दंगों और मृतक दीपक की हत्या जैसे अन्य अपराधों के के सामान्य उद्देश्य के लिए जुटा हुआ कहा जा सकता है..।

    अदालत ने अनवर हुसैन, कासिम, शाहरुख और खालिद अंसारी के खिलाफ धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस), 302 (हत्या), धारा 149 (गैरकानूनी सभा), और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए।

    जांच के दौरान, सार्वजनिक गवाहों से पूछताछ की गई जिन्होंने कहा था कि पत्थर, कुदाल, लाठी, चाकू और लोहे की छड़ आदि से लैस लगभग 100 या 200 व्यक्ति सड़क की दूसरी ओर से आ रही भीड़ पर हमला कर रहे थे। यह भी कहा गया कि दंगों के दौरान भीड़ ने, जिनमें आरोपी भी शामिल थे, उन्होंने एक व्यक्ति को पकड़ लिया, उसे बेरहमी से पीटा और अंत में चाकू मार दिया।

    अभियोजन पक्ष की ओर से यह तर्क दिया गया कि जहां कासिम, खालिद अंसारी और अनवर हुसैन ने टीआईपी कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया, वहीं आरोपी शाहरुख ने उसमें भाग लिया था और उसकी सार्वजनिक गवाह ने विधिवत पहचान की थी।

    दूसरी ओर, आरोपी व्यक्तियों की ओर से यह दलील दी गई कि एफआईआर में आरोपियों के नाम नहीं दिए गए थे और गवाह ने उन्हें उनके नाम से पहचाना था और उस गवाह ने आगे कोई टीआईपी कार्यवाही नहीं की थी।

    यह देखते हुए कि अभियोजन पक्ष के पास पर्याप्त मेरिट थी, अदालत का विचार था कि एक प्रत्यक्षदर्शी के बयान से पूरी तस्वीर बनी है कि कैसे मृतक को हथियारबंद भीड़ ने मारा था, जिसमें आरोपी व्यक्ति शामिल थे।

    कोर्ट ने कहा,

    "उसका बयान दर्ज करने में देरी इस कारण से हुई कि वह सदमे में था और अपने गांव गया था। COVID की स्थिति के कारण वह बाद में लौटा था और अपना बयान दिया। सार्वजनिक गवाह/ मृतक के मित्र सुनील ने जो देखा वह भीषण व्यक्तिगत अपराध और दंगों की सामान्य प्रकृति थी, और इसके अलावा देश में व्याप्त COVID की स्थिति को देर से बयान दिया जाना का कारण समझा जा सकता है। गौरतलब है कि ऐसा नहीं है कि सुनील कुमार का बयान जून में अचानक सामने आ गया था।"

    केस शीर्षक: राज्य बनाम अनवर हुसैन और अन्य

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