''न्यायालयों तक पहुंचने के अधिकार के बारे में कोई दो राय नहीं'': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट के वीसी वेबलिंक प्रदान करने के लिए चार पत्रकारों की मांग स्वीकार की

LiveLaw News Network

17 Jun 2021 11:15 AM GMT

  • न्यायालयों तक पहुंचने के अधिकार के बारे में कोई दो राय नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट के वीसी वेबलिंक प्रदान करने के लिए चार पत्रकारों की मांग स्वीकार की

    न्यायालय की कार्यवाही तक मीडिया पहुंच की मांग करने वाले 4 पत्रकारों की तरफ से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरूवार को मौखिक रूप से कहा कि हाईकोर्ट प्रशासन ने ''आपको वह देने का फैसला किया है जो आप (पत्रकार) चाहते थे।''

    न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की एक खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि ''आप लोगों ने वास्तव में न्यायालय की सहायता की है और हाईकोर्ट की ई-कमेटी ने अपनी वेबसाइट पर वर्चुअल मोड के माध्यम से आयोजित की जाने वाली सुनवाई के लाइव वेब लिंक प्रदान करने का निर्णय लिया है।''

    हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग सटीक और जिम्मेदार बनी रहनी चाहिए और स्वप्निल त्रिपाठी मामले के तहत दिए गए अपवादों का ध्यान रखा जाना चाहिए।

    न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा किः

    ''स्वप्निल त्रिपाठी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को पूर्ण प्रभाव दिया जाना है और हाईकोर्ट इसके लिए बाध्य है। हालांकि, यह पूर्वोक्त निर्णय में उल्लिखित अपवादों के अधीन है कि जब भी आवश्यक हो तो,उपयुक्त मामलों में कार्यवाही की गोपनीयता बनाए रखी जाए।''

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि लीगल पत्रकार, नुपुर थपलियाल (लीगल संवाददाता, लाइव लाॅ), स्पर्श उपाध्याय (विशेष लीगल संवाददाता, लाइव लाॅ), अरीब उद्दीन अहमद (लीगल संवाददाता, बार एंड बेंच), और राहुल दुबे (लीगल संवाददाता, दैनिक भास्कर) ने एमपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एंड ऑडियो-विजुअल इलेक्ट्रॉनिक लिंकेज रूल्स 2020 को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर कर कहा था कि यह रूल्स ''थर्ड पार्टी'' को कोर्ट की वुर्चअल कार्यवाही तक पहुंचने से रोकते हैं। इसलिए एक सार्वजनिक मंच पर नागरिकों के लिए रीयल-टाइम रिपोर्टिंग करने में मीडियाकर्मियों के लिए कठिनाई का कारण बन रहे हैं।

    हाईकोर्ट प्रशासन की दलील

    हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने बुधवार को एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि ई-कमेटी ने निर्णय किया है कि मीडिया के लिए वेबसाइट पर ज्वाइनिंग लिंक प्रदान किए जाएंगे ताकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाईकोर्ट द्वारा सुने जा रहे किसी भी मामले की कार्यवाही को सार्वजनिक रूप से एक्सेस किया जा सके।

    हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक पक्ष को यह भी सूचित किया है कि लाइव स्ट्रीमिंग और कार्यवाही तक पहुंच से संबंधित नियम बनाए जा रहे हैं और इसलिए इस समय यह रिट याचिका के उद्देश्य को पूरा करते हैं।

    बुधवार को मध्य हाईकोर्ट प्रशासन ने एक हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत किया था कि उन्होंने फैसला किया है कि वह अपनी वेबसाइट पर वेब लिंक प्रदान करना शुरू कर देंगे ताकि उनको एक्सेस किया जा सके और उस अदालती कार्यवाही को देखा जा सके जो वर्तमान में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है।

    हाईकोर्ट प्रशासन द्वारा दायर और लाइव लॉ द्वारा एक्सेस किए गए बयान की प्रति में आगे कहा गया है कि उन्होंने वेबलिंक प्रदान करने के लिए मंजूरी दे दी है और इस आशय का एक प्रस्ताव 15 जून को पारित किया गया था,जो 14 जून को हुई हाईकोर्ट कंप्यूटर और ई-कमेटी की बैठक पर आधारित है।

    गुरूवार की कार्यवाही

    गुरूवार को जब इस मामले की सुनवाई की गई तो याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री निधेश गुप्ता ने किया, जिनकी सहायता अधिवक्ता श्री मनु माहेश्वरी ने की।

    प्रारंभ में श्री निधेश गुप्ता ने ई-कमेटी के पथ-प्रवर्तक निर्णय के लिए हाईकोर्ट संस्थान का आभार व्यक्त करते हुए न्यायालय से अनुरोध किया कि ई-कमेटी के उक्त निर्णय को तत्काल लागू किया जाए।

    श्री गुप्ता ने आगे हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि ई-कमेटी के निर्णय को हाईकोर्ट के सभी कोर्टरूम में बिना किसी अपवाद के लागू किया जाए।

    याचिका पर अपना अंतिम आदेश पारित करते समय डिवीजन बेंच ने कहा कि उक्त अनुरोध को रिकॉर्ड पर लिया जाएगा और इस पर उचित रूप से विचार किया जाएगा।

    याचिकाकर्ता पत्रकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्री निधेश गुप्ता ने कहा कि पत्रकार-याचिकाकर्ता (लाइव लॉ, बार एंड बेंच और दैनिक भास्कर के) मामलों की रिपोर्ट करने के तरीके में सतर्क और जिम्मेदार हैं, हालांकि, उन्होंने कहा कि वह अदालत की भावनाओं को अपने मुविक्कलों तक पहुंचा देंगे।

    महत्वपूर्ण रूप से, न्यायालय ने कहा किः

    ''कार्यवाहियों तक पहुँचने के आपके अधिकार के बारे में कोई दो राय नहीं है और हम एक अंतरिम आदेश सुनाने वाले थे, जिसे हमने पिछली सुनवाई पर सुरक्षित रखा था। चूंकि ई-कमेटी ने उपरोक्त निर्णय लिया है और हाईकोर्ट संस्थान की तरफ से उक्त निर्णय को रिकॉर्ड पर लाया गया है, इसलिए हमने आज यानी गुरूवार को ही मामले पर सुनवाई करने का निर्णय लिया। हमें लगता है कि आपके हित पूरे हो गए हैं और इसलिए आपके मुविक्कलों को दी जाने वाली राहत के साथ पूरे मामले का निपटान करना उचित है। कोर्ट में आपके द्वारा प्रदान की गई सहायता के लिए भी हम आभारी हैं।''

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