बॉम्बे हाईकोर्ट ने कॉट्रेक्टर्स के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का आरोप बरकरार रखा, आरसीसी कॉलम की नंगी सरिया पर गिरने के बाद श्रमिक की मौत हो गई थी
Avanish Pathak
31 May 2023 8:38 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में गोरेगांव में एक निर्माण स्थल के दो सब- कॉन्ट्रैक्टर्स के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (सदोष मानव हत्या)के मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया, जहां एक आरसीसी कॉलम की नंगी सरिया पर गिरने के बाद एक श्रमिक की मौत हो गई थी।
जस्टिस सुनील बी शुकरे और जस्टिस एमएम साथाये की खंडपीठ ने कहा कि लोहे की खड़ी छड़ों को खुला छोड़ना प्रथम दृष्टया गैर इरादतन हत्या का मामला बनाता है क्योंकि अभियुक्तों को पता था कि हवा में मौजूद क्रेन पर कर्मचारी काम कर रहे हैं।
मामले में गोरेगांव की एक साइट पर एक निर्माण श्रमिक अमितकुमार गौंड एक आरसीसी कॉलम की नंगी सरिया पर एक क्रेन से गिर गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। उसकी पत्नी ने आरोप लगाया कि बिल्डर और कांट्रेक्टर ने उन्हें सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, सेफ्टी जैकेट आदि नहीं दिया था और वे उनकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं।
पुलिस ने दो सब-कांट्रेक्टर पिंकेश धीरज पटेल और हिरेन कीर्तिकुमार रंगानी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
पिछले महीने जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने इस मामले में रंगानी को अग्रिम जमानत दे दी थी।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने मामले को गैर इरादतन हत्या के मुकदमे के लिए सत्र न्यायालय को सुपुर्द किया। इसलिए आरोपी ने मामले को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
आरोपी की ओर से पेश वकील प्रशांत अहेर ने दलील दी कि इस मामले में गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं बनता है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि मौत का कारण बनने का इरादा एफआईआर में अनुपस्थित है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि श्रम आयुक्त ने माना है कि घटना एक दुर्घटना थी।
राज्य की ओर से पेश एपीपी जेपी याग्निक ने प्रस्तुत किया कि कॉलम में खड़ी लोहे की सलाखों को खुला छोड़ने से गौंड की मृत्यु हो गई। इसके अलावा, कोई इरादा था या नहीं, यह परीक्षण का विषय है।
अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि इस बात की संभावना है कि आरोपी को बरी किया जा सकता है, इसका मतलब यह नहीं है कि मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
अदालत ने कहा कि चार्जशीट में आरोप काफी विशिष्ट हैं। अदालत ने कहा कि आरोपों का एक हिस्सा अपने कर्तव्य के पालन में घोर लापरवाही से संबंधित है और दूसरा हिस्सा खतरनाक कार्य करने से संबंधित है।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं के साथ इस हद तक सहमति व्यक्त की कि जहां तक कृत्य की चूक का संबंध है, गैर इरादतन हत्या का अपराध नहीं बनता है।
हालांकि, अदालत ने कहा कि गैर इरादतन हत्या के अपराध के लिए मौत का कारण बनने के इरादे से एक प्रत्यक्ष कार्य होना चाहिए या यह ज्ञान होना चाहिए कि इस तरह के कृत्य से मौत होने की संभावना है।
कोर्ट ने कहा, इस प्रकार भले ही अभियुक्त को यह ज्ञान हो कि उसके कृत्य से मृत्यु हो सकती है, गैर इरादतन हत्या का अपराध पूर्ण होगा।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, निर्माण स्थल पर आरसीसी कॉलम में खड़ी नंगी सरिया को खतरनाक रूप से छोड़ने का प्रथम दृष्टया प्रत्यक्ष कार्य आरोपी की ओर से किया गया है। इसके अलावा, उन्हें प्रथम दृष्टया यह ज्ञान था कि सलाखों को खुला छोड़ना आपदा को निमंत्रण था।
कोर्ट ने कहा, इसलिए, इस मामले में प्रथम दृष्टया गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है।
अदालत ने कहा कि श्रम आयुक्त ने घटना के आपराधिक पहलू पर कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया। सिर्फ इसलिए कि आयुक्त ने गौंड की विधवा को मुआवजा दिया, इसका मतलब यह नहीं होगा कि मौत केवल आकस्मिक रूप से हुई और बिना किसी आपराधिक इरादे या आपराधिक ज्ञान के दर्ज की गई।
केस टाइटलः पिंकेश धीरज पटेल और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य
केस नंबर– क्रिमिनल रिट पिटीशन नंबर 2879/2022
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