हाईकोर्ट ने सिविक ऑफिसर और वकील द्वारा कोर्ट के चपरासी के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट का संज्ञान लिया
Shahadat
25 Nov 2024 3:53 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कोर्ट परिसर में हुई "दुर्भाग्यपूर्ण घटना" का स्वतः संज्ञान लिया, जिसमें वकील और नासिक नगर निगम (NMC) के अधिकारी ने कोर्ट के चपरासी के साथ गंदी भाषा में दुर्व्यवहार किया, जब उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस कमल खता की खंडपीठ ने इस घटना पर ध्यान दिया। इसलिए अपने चपरासी अतुल तायडे को वकील दिनेश कदम और NMC के डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर मयूर पाटिल के खिलाफ़ दुर्व्यवहार करने और उन्हें नौकरी से हटाने की धमकी देने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने को कहा।
जजों ने 14 नवंबर के अपने आदेश में कहा कि वर्तमान कार्यभार (नगरपालिकाओं आदि से संबंधित मामलों) के कारण उनके कोर्ट रूम में बहुत से वादी उपस्थित होते हैं, इसलिए पीठ ने अपने चपरासियों और ड्यूटी पर तैनात पुलिस कांस्टेबलों को निर्देश दिया कि वे वादियों को न केवल कोर्ट रूम के भीतर बल्कि न्यायालय के बाहर यानी न्यायालय के गलियारों में भी शांति बनाए रखने का निर्देश दें।
14 नवंबर को दोपहर 1.30 बजे से 1.40 बजे के बीच चपरासी तायडे ने जजों को उनके रूम में सूचित किया और गलियारों में हुई घटना के बारे में बताया।
खंडपीठ ने अपने आदेश में दर्ज किया,
"उसने हमें सूचित किया कि जब वह हमारे निर्देशों के तहत न्यायालय के गलियारों में शांति बनाए रखने का प्रयास कर रहा था तो मयूर पाटिल नामक व्यक्ति ने वकील दिनेश कदम के साथ मिलकर उसे गंदी भाषा में गाली दी और उसके साथ मारपीट करने की कोशिश की।"
जजों ने आगे कहा कि पाटिल ने तायडे को नासिक नगर निगम के उपायुक्त होने का अपना पहचान पत्र दिखाया था।
खंडपीठ ने कहा,
"वकील कदम ने पाटिल के साथ हमारे चपरासी को धमकाते हुए कहा कि वह उनके खिलाफ नियुक्ति प्राधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराएगा और शाम तक उसकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। हम शालीनता और गरिमा बनाए रखने के लिए जानबूझकर वकील कदम और पाटिल द्वारा इस्तेमाल की गई गंदी और असंसदीय भाषा को दोहराने से बचते हैं।"
इसलिए कोर्ट ने तायडे को भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत पाटिल और वकील कदम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का सुझाव दिया, जो उन्होंने अदालत के परिसर में किया था।
जजों ने कहा,
"उस समय सीनियर वकील राम आप्टे और वकील सुभाष झा ने हस्तक्षेप किया और इस अदालत से अनुरोध किया कि वह कोई सख्त कार्रवाई न करे या मामले को और आगे न बढ़ाए, क्योंकि इससे वकील कदम का पेशेवर करियर बर्बाद हो सकता है।"
इसके बाद कदम और पाटिल दोनों ने अपने-अपने व्यक्तिगत हलफनामे प्रस्तुत किए और न केवल अदालत से बल्कि तायडे से भी "बिना शर्त माफी" मांगी। इसलिए जजों ने उक्त माफी स्वीकार कर ली।
जजों ने मामले को बंद करते हुए कहा,
"हालांकि, हम कदम और पाटिल दोनों को भविष्य में सतर्क और सावधान रहने तथा महाराष्ट्र राज्य के किसी भी न्यायालय के परिसर में इस तरह के कृत्य और/या गतिविधि में शामिल न होने की चेतावनी देते हैं।"