बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में सर्पदंश के सभी पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए राज्य को निर्देश देने से इनकार किया, कहा- इस पर सरकार को विचार करना है

Shahadat

4 Feb 2023 5:04 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में सर्पदंश के सभी पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए राज्य को निर्देश देने से इनकार किया, कहा- इस पर सरकार को विचार करना है

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में सांप और बिच्छू के काटने वाले सभी पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह देखते हुए यह निर्देश दिया कि यह नीतिगत निर्णय है और इस तरह का निर्देश राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करेगा।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस एस. वी. गंगापुरवाला और जस्टििस संदीप वी. मार्ने की खंडपीठ ने जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए कहा,

    "सांप के काटने के कारण मरने वाले अन्य व्यक्तियों को मुआवजा प्रदान करने के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा रखी गई शिकायतों पर विचार करना राज्य सरकार का काम है। यह न्यायालय सरकार को किसी विशेष तरीके से नीति बनाने का निर्देश नहीं देगा, क्योंकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 162 द्वारा प्रदत्त राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने जैसा होगा।

    जनहित याचिका में प्रार्थना की गई कि राज्य को बिना किसी भेदभाव के महाराष्ट्र में रहने वाले सांप और बिच्छू के काटने के सभी पीड़ितों को वित्तीय सहायता देने के लिए कहा जाए।

    याचिकाकर्ता के वकील अनुराग कुलकर्णी ने कहा कि सरकार गोपीनाथ मुंधे बीमा योजना के तहत सांप और बिच्छू के काटने के शिकार लोगों को वित्तीय सहायता केवल किसानों और उनके रिश्तेदार को देती है। अदालत को बताया गया कि सर्पदंश के कई शिकार जरूरी नहीं कि किसान ही हों।

    यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता जैसे व्यक्ति जो सांप और बिच्छू को पकड़ते हैं और काटते हैं, उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जाती है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है।

    कुलकर्णी ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य के पास किसानों को दिए जाने वाले लाभों को हर किसी तक नहीं पहुंचाने का कोई कारण नहीं है।

    सरकारी वकील पी पी काकड़े ने कहा कि पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य विभाग ने किसानों और उनके परिवार के सदस्यों को सांप के काटने के जोखिम के खिलाफ मुआवजा देने के लिए नीतिगत निर्णय लिया है।

    अदालत ने कहा कि वित्तीय सहायता देना संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत राज्य सरकार द्वारा लिए जाने वाले नीतिगत निर्णय का मामला है।

    अदालत ने कहा कि किसान और उनके परिवार के सदस्य अलग वर्ग बनाते हैं और उनके लिए अलग प्रावधान किया जाता है, क्योंकि वे मैदान में होते हैं। अदालत ने कहा कि राज्य ने "अपने ज्ञान के तहत" किसानों को अलग वर्ग माना है और योजना बनाई है।

    अदालत ने कहा कि जंगली जानवरों की वजह से हुई मौत या चोट के कारण किसानों को मुआवजे का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। अदालत ने कहा कि सांप के काटने पर मिलने वाले लाभ को बढ़ाने का फैसला किया गया है।

    इस प्रकार, अदालत ने राज्य की राजकोषीय नीतियों के संबंध में निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया।

    अदालत ने कहा,

    "यह अदालत राज्य सरकार की वित्तीय नीतियों के संबंध में निर्देश देने में धीमी होगी। किसी विशेष समूह के व्यक्तियों के लिए विशेष योजना लागू की जानी है या नहीं, यह नीतिगत निर्णय है, जिसे सरकार द्वारा लिया जाना है।”

    केस नंबर- जनहित याचिका नंबर 107/2022

    केस टाइटल- वैभव पद्माकर कुलकर्णी बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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