हाईकोर्ट ने नरेश गोयल को राहत, लोन अकाउंट को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत करने वाला आदेश रद्द
Shahadat
1 Oct 2025 9:38 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में जेट एयरवेज़ के संस्थापक नरेश गोयल को जारी कारण बताओ नोटिस रद्द किया, जिसके तहत बैंक ऑफ इंडिया (BoI) ने उनके लोन अकाउंट को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत किया था।
जस्टिस रियाज़ छागला और जस्टिस फरहान दुबाश की खंडपीठ ने कहा कि बैंक ने गोयल को 1 जुलाई, 2025 को उनके खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने वाले कारण बताओ नोटिस के खिलाफ पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया।
खंडपीठ ने 25 सितंबर को पारित आदेश में कहा,
"याचिकाकर्ता के खाते को "धोखाधड़ी" के रूप में वर्गीकृत करने से पहले याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता के खाते को धोखाधड़ी के रूप में पूर्व में वर्गीकृत करने की मात्र पुनः जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार, "ऑडी अल्टरम पार्टम" के नियम के अनुरूप नहीं है। 1 जुलाई, 2025 के विवादित कारण बताओ नोटिस के पैराग्राफ 2 में याचिकाकर्ता के खाते को "धोखाधड़ी" के रूप में वर्गीकृत करने वाला आदेश तदनुसार रद्द और अपास्त किया जाता है।"
गोयल के अनुसार, उन्हें 1 जुलाई को एक कारण बताओ नोटिस दिया गया, जिसमें 30 दिसंबर, 2024 को पारित पूर्व आदेश का हवाला दिया गया, जिसके द्वारा उनके लोन अकाउंट को 'धोखाधड़ी' घोषित किया गया। नवीनतम कारण बताओ नोटिस के माध्यम से बैंक उस खाते की पुनः जांच करना चाहता था, जिसे 30 दिसंबर, 2024 के आदेश द्वारा धोखाधड़ी घोषित किया गया था।
जजों ने गोयल द्वारा उठाए गए इस तर्क पर विचार किया कि बैंक किसी भी खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले सुप्रीम कोर्ट और RBI के मास्टर सर्कुलर द्वारा निर्धारित प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने में विफल रहा। खंडपीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को बैंक द्वारा तैयार की गई फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई।
नवीनतम कारण बताओ नोटिस में बैंक ने 30 दिसंबर के आदेश (उनके खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने) और उक्त फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला दिया।
गोयल ने तर्क दिया कि बैंक की कार्रवाई मनमानी है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, क्योंकि उनके खाते को धोखाधड़ी घोषित करने वाला आदेश उन्हें कभी नहीं दिया गया।
इसलिए खंडपीठ ने उनके लोन अकाउंट को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने वाले 30 दिसंबर, 2024 के आदेश और उन्हें जारी किए गए 1 जुलाई के कारण बताओ नोटिस को भी रद्द कर दिया।
हालांकि, जजों ने बैंक को गोयल को नया कारण बताओ नोटिस जारी करने की स्वतंत्रता दी, लेकिन कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए।
खंडपीठ ने कहा,
"बैंक को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और ऑडी अल्टरम पार्टम के नियमों का पालन करते हुए ताजा कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए कार्रवाई करनी होगी, यदि वे यह निर्धारित करने के लिए ऐसा करना चाहते हैं कि याचिकाकर्ता के खाते को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत किया जाए या नहीं।"
Case Title: Naresh Jagdishrai Goyal vs Bank of India [Writ Petition (L) 26973 of 2025]

