अगर समाज तरक्की कर रहा है तो कानून क्यों नहीं तरक्की कर सकते? बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं पर सरकार की खिंचाई की
Shahadat
9 Dec 2022 10:57 AM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को पुलिस विभाग में भर्ती के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए प्रावधान नहीं करने और 'नींद' में रहने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की।
पीठ ने कहा,
''सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बावजूद आपकी सरकार ने सात साल तक कुछ नहीं किया। हमें ऐसा क्यों करना पड़ रहा है?
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अभय आहूजा की खंडपीठ गृह विभाग के सभी भर्ती आवेदनों में 'अन्य लिंग' विकल्प जोड़ने के लिए महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा जारी निर्देशों के खिलाफ राज्य की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
एमएटी ने राज्य को ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों के लिए फिजिकल मानकों और जांच के मानदंड तय करने का भी निर्देश दिया।
राज्य सरकार ने 14 नवंबर, 2022 और 18 नवंबर, 2022 के एमएटी के आदेशों को चुनौती देते हुए दावा किया कि उन्हें लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि राज्य ने अभी तक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की भर्ती के संबंध में कोई नीति नहीं बनाई है, खासकर पुलिस बल में।
राज्य के एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने अंतरिम आदेश में एमएटी द्वारा इस तरह के निर्देश दिए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि भर्ती नियम ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों पर विचार नहीं करते और गृह विभाग के सभी पदों के लिए प्रावधान किए जाने से पहले इसमें संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य रिजर्व पुलिस बल केवल पुरुष उम्मीदवारों को ही आवेदन करने की अनुमति देता है।
कोर्ट ने कहा कि सरकार नियमों में संशोधन नहीं कर रही है। इसने यह भी नोट किया कि 11 अन्य राज्यों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के रोजगार के प्रावधान हैं।
अदालत ने कहा,
"अगर समाज प्रगति कर रहा है तो कानून भी प्रगति क्यों नहीं कर सकते? ऐसी चीजों के कारण ही अदालतें और न्यायाधिकरण हस्तक्षेप करते हैं। इसका स्वागत क्यों नहीं करते?"
एजी ने कहा कि सरकार ट्रांसजेंडरों के खिलाफ नहीं है। हालांकि, एमएटी के आदेशों को लागू करने में कुछ कानूनी कठिनाइयां हैं।
दो ट्रांसजेंडर उम्मीदवार राज्य द्वारा विज्ञापित पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्होंने पहले एमएटी से संपर्क किया। ट्रिब्यूनल ने अपने आवेदनों में उपरोक्त निर्देश दिए।
कोर्ट ने कहा कि इन उम्मीदवारों के लिए दो पद खाली रखे जा सकते हैं और सरकार भविष्य में होने वाली भर्तियों के लिए नियम बना सकती है। पीठ ने कुंभकोनी को उसी के संबंध में निर्देश मांगने को कहा और मामले को शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022 तक के लिए रख दिया।
अदालत ने कहा कि राज्य न तो नियम बना रहा है और न ही भर्ती में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शामिल कर रहा है। बेंच ने कहा कि वह पूरी भर्ती पर रोक लगा देगी। अदालत ने कहा कि इसके बाद सरकार को नियम बनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
केस टाइटल- महाराष्ट्र राज्य बनाम आर्य पुजारी