बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के आवास के अवैध हिस्से को दो सप्ताह के भीतर गिराने का आदेश दिया

Avanish Pathak

20 Sep 2022 6:25 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के जुहू स्थित आवास पर 300% अतिरिक्त निर्माण को नियमित करने पर विचार करने के लिए बीएमसी को निर्देश देने से इनकार कर दिया है।

    जस्टिस आरडी धानुका और जस्टिस कमल खता ने कहा कि निगम कानून के प्रावधानों के बावजूद आवेदन (नियमन के लिए) पर विचार करने पर "झुका" है। हालांकि, याचिका को अनुमति देना अनधिकृत निर्माण को "प्रोत्साहन" देना होगा।

    पीठ ने कहा, "उन्होंने सीआरजेड की अनुमति के बिना भी स्वीकार्य सीमा से तीन गुना अधिक निर्माण किया है।" उक्त टिप्‍पणी के साथ पीठ ने राणे परिवार की स्वामित्व वाली याचिकाकर्ता-कंपनी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

    जुर्माने का भुगतान महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दो सप्ताह के भीतर करना होगा।

    जस्टिस धानुका ने यथास्थिति का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा, "हमने ढांचे को ध्वस्त करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।"

    अदालत कालका रियल एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक दूसरी याचिका पर विचार कर रही थी, जो राणे की एक करीबी पारिवारिक कंपनी थी, जिसमें एमआरटीपी अधिनियम की धारा 44 के तहत दूसरे नियमितीकरण आवेदन पर विचार करने के लिए बीएमी को अनुमति देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने 23 अगस्त, 2022 को याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

    जस्टिस धानुका की अध्यक्षता वाली पीठ ने 23 जून, 2022 को कालका की पिछली याचिका को खारिज कर दिया था और बंगले के भीतर 2/3 अवैध हिस्से को नियमित करने पर बीएमसी के इनकार को बरकरार रखा था। नगर निकाय ने आरोप लगाया कि राणे ने 2065 वर्ग मीटर के निर्मित क्षेत्र का उपयोग किया था, जो 745 वर्ग मीटर के स्वीकृत अनुमेय क्षेत्र का तीन गुना है।

    हालांकि, इस बार बीएमसी ने ही दिखाया कि वह पुराने नियमों के तहत बंगले को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट मिलने के बावजूद नए डेवलपमेंट कंट्रोल एंड प्रमोशन रेगुलेशन (डीसीपीआर) 2034 के तहत राणे के आवेदन पर पुनर्विचार करने की इच्छा रखता है।

    जस्टिस धानुका ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था, "क्या इस अदालत द्वारा पारित आदेश की कोई पवित्रता नहीं है? अन्यथा यह अंतहीन होगा। क्या निगम हाईकोर्ट के ऊपर बैठा है? यह आपका रुख है, हमें इसकी जांच करनी होगी।"

    बीएमसी ने यह भी कहा कि नियमितीकरण तक सभी विध्वंस निर्णयों को निलंबित कर दिया जाएगा। कालका की दूसरी याचिका महाराष्ट्र राज्य में सरकार बदलने के बाद दायर की गई थी।

    पृष्ठभूमि

    मार्च 2022 में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने जुहू में आदिश बंगले के खिलाफ आदेश जारी कर मालिकों / कब्जाधारियों को बंगले के अवैध विस्तार को ध्वस्त करने के लिए कहा था; यदि मालिक/कब्जेदार ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो बीएमसी उक्त विध्वंस को अंजाम देगी और मालिकों/कब्जेदारों से लागत वसूल करेगी।

    मार्च में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जब तक कि परिवर्तन को नियमित करने के लिए दायर एक आवेदन पर फैसला नहीं किया जाता है..मुंबई नागरिक निकाय को उस बंगले के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे अपने परिवार के साथ उसमें रहते हैं।

    कंपनी ने परिसर के भुगतान करके उन हिस्सों के नियमितीकरण के लिए एक आवेदन किया जो कथित रूप से उल्लंघन में थे, यह तर्क देते हुए कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ था। बीएमसी ने 3 जून को आवेदन खारिज कर दिया और कालका रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।

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