बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को विभिन्न केंद्रीय और राज्य सेवाओं से सेवानिवृत्त कुत्तों की 'दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति' पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

27 Sep 2021 9:49 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को विभिन्न केंद्रीय और राज्य सेवाओं से सेवानिवृत्त कुत्तों की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर नोटिस जारी किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेलवे सुरक्षा बल में काम करने वाले लैब्राडोर 'रेनो' नाम के एक कुत्ते की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2016 में शुरू की गई स्वत: संज्ञान अदालत की कार्यवाही में दायर दो दीवानी आवेदनों पर सुनवाई करते हुए पिछले सप्ताह केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

    दो आवेदन दाखिल करते हुए न्यायालय और समाज का ध्यान सामान्य रूप से कुछ कुत्तों की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की ओर आकर्षित किया गया था। ये कुत्ते विभिन्न केंद्रीय और राज्य सेवाओं से मेधावी सेवा प्रदान करने के बाद सेवानिवृत्त हो गए हैं।

    एक उदाहरण के रूप में अनुप्रयोगों ने 'लकी' नामक एक कुत्ते के मामले की ओर इशारा किया।

    मामले में एमिक्स क्यूरी एडवोकेट एसएस सान्याल ने प्रस्तुत किया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा दायर जवाब के बावजूद कि बूढ़े और कमजोर हो चुके कुत्तों की देखभाल करने की एक नीति है। मगर इस नीति को ज़मीन पर कोई असर नज़र नहीं आ रहा है।

    एमिक्स क्यूरी ने आगे 'लकी' के मामले का हवाला दिया। लकी कथित तौर पर साउनेर शहर की किसी गली के कोने में बैठे हुए बुरी हालत में पाया गया था। इसलिए इन आवेदनों के माध्यम से उपयुक्त दिशा-निर्देश मांगे गए।

    न्यायमूर्ति सुनील बी शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल एस किलोर की खंडपीठ ने इसे देखते हुए प्रतिवादियों को प्रवेश चरण में अंतिम निपटान के लिए नोटिस जारी किया। इसे चार सप्ताह के बाद वापस किया जा सकता है।

    महत्वपूर्ण रूप से वर्ष 2018 में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि सेवानिवृत्ति के बाद कुत्तों, घोड़ों आदि जैसे जानवरों को लावारिस छोड़ दिया जाता है, तो संबंधित विभाग को एक तदर्थ नीति तैयार करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि जानवरों की अच्छी देखभाल की जा सके।

    यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से पेश हुए एएसजी ने भी एक बयान दिया था कि बूढ़े और कमजोर हो चुके सेना के जानवरों की इच्छामृत्यु को खत्म करने और उनके जीवनकाल के दौरान उनके उपयुक्त पुनर्वास के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव सक्रिय रूप से विचाराधीन था।

    केस का शीर्षक - कोर्ट अपने प्रस्ताव पर बनाम भारत संघ और अन्य

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