बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल के आधार पर ताजा मामलों की ऑटो-लिस्टिंग की शुरुआत की

Shahadat

7 Dec 2023 7:39 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल के आधार पर ताजा मामलों की ऑटो-लिस्टिंग की शुरुआत की

    बॉम्बे हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच (मुंबई में) 11 दिसंबर, 2023 से विशिष्ट बेंचों के समक्ष नए दायर मामलों के लिए ऑटो-लिस्टिंग शुरू करेगी। हाईकोर्ट रजिस्ट्रार ने 5 दिसंबर को नोटिस जारी किया, जिसमें इस नए प्रोटोकॉल के विवरण की रूपरेखा दी गई।

    नोटिस के अनुसार, नए दायर किए गए मामलों को ट्रायल के आधार पर विशिष्ट न्यायाधीशों के समक्ष पूरक वाद सूची में सुनवाई के लिए स्वचालित रूप से सूचीबद्ध किया जाएगा। संबंधित पीठों के समक्ष इन मामलों का उल्लेख करने की अनुमति केवल असाधारण तात्कालिकता के मामलों में ही दी जाएगी, जो ऑटो-लिस्टिंग शेड्यूल से पहले लिस्टिंग को उचित ठहराते हैं।

    नया प्रोटोकॉल शुरू में बॉम्बे हाईकोर्ट की प्रिंसिपल सीट पर 2 डिवीजन बेंच और 3 सिंगल जज बेंच पर लागू होगा। प्रथम डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस आरिफ एस डॉक्टर शामिल हैं, जो जनहित याचिकाओं, मध्यस्थता अपीलों, वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम की धारा 13 के तहत अपील और न्यायालय की प्रिंसिपल सीट के बुनियादी ढांचे से संबंधित मामलों को संभाल रहे हैं। दूसरी डिवीजन बेंच में जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस कमल खट्टा शामिल हैं, जो नगर निगमों, चुनाव याचिकाओं और अन्य से जुड़ी रिट याचिकाओं से निपटते हैं।

    इस ऑटो-लिस्टिंग प्रोटोकॉल में शामिल तीन एकल न्यायाधीश पीठ 2023 में दायर जमानत आवेदनों के लिए जस्टिस एमएस कार्णिक, अग्रिम जमानत आवेदनों के लिए जस्टिस एनजे जमादार और वर्ष 2022 तक दायर जमानत आवेदनों के लिए जस्टिस जीए सनप हैं।

    डिवीजन बेंच के समक्ष मामलों की ऑटो-लिस्टिंग नए दायर मामलों की अंतिम नंबरिंग के 1 सप्ताह बाद होगी, जबकि एकल जजों के लिए यह अंतिम नंबरिंग के 3 दिन बाद होगी। अंतिम क्रमांकन उस बिंदु को दर्शाता है, जिस पर याचिका में अदालत रजिस्ट्री द्वारा उजागर की गई सभी आपत्तियों या दोषों का संतोषजनक ढंग से समाधान किया गया।

    अब तक, पक्षकार संबंधित पीठों से संपर्क कर सकते हैं और तत्काल लिस्टिंग का अनुरोध कर सकते हैं। नोटिस में इस बात पर जोर दिया गया कि हाल ही में दायर किए गए मामले, जो ऑटो लिस्टिंग हैं, उनका उल्लेख संबंधित जजों के समक्ष नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि असाधारण तात्कालिकता पहले की लिस्ट को उचित न ठहरा दे।

    नोटिस में यह भी कहा गया कि इस प्रोटोकॉल को उचित समय में हाईकोर्ट की अन्य सभी पीठों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव है।

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