बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार पूर्व ब्रह्मोस इंजीनियर को जमानत दी

Shahadat

15 April 2023 5:22 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार पूर्व ब्रह्मोस इंजीनियर को जमानत दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पाकिस्तान की आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोपी पूर्व ब्रह्मोस इंजीनियर निशांत अग्रवाल को जमानत दे दी।

    नागपुर खंडपीठ के जस्टिस अनिल एस किलोर ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा कुछ भी नहीं है कि अग्रवाल ने इरादे से कथित कृत्यों को अंजाम दिया।

    अदालत ने कहा,

    “यह अभियोजन पक्ष का मामला है कि यह एक प्रकार का हनी ट्रैप है। इसके अलावा, प्रथम दृष्टया, यह सुझाव देने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि कथित कार्य आवेदक द्वारा इरादे से किया गया।"

    अदालत ने कहा कि अग्रवाल 4 साल 6 महीने से अधिक समय से जेल में हैं और इस मामले में अधिकतम सजा 14 साल होगी।

    अग्रवाल ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीनियर सिस्टम इंजीनियर है और मिसाइल परियोजनाओं में शामिल थे। आईएसआई को परियोजनाओं के बारे में वर्गीकृत जानकारी देने के आरोप में उसे एटीएस और मिलिट्री इंटेलिजेंस द्वारा 2018 में नागपुर के पास गिरफ्तार किया गया।

    उस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की धारा 3, 4, 5 और धारा 9 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    चार्जशीट के मुताबिक अग्रवाल के लैपटॉप से गोपनीय और प्रतिबंधित फाइलें मिली थीं। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर भी पाया गया, जिसके उपयोग से उसके लैपटॉप में वर्गीकृत जानकारी को विदेशों और असामाजिक तत्वों को स्थानांतरित कर दिया गया।

    हाईकोर्ट ने 2022 में छह महीने में मुकदमे की प्रगति नहीं होने पर एक और दायर करने की स्वतंत्रता के साथ उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। इस प्रकार, उन्होंने ट्रायल में कोई प्रगति नहीं होने का हवाला देते हुए वर्तमान आवेदन दायर किया।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह हनी ट्रैप का मामला है, जहां अधिकारियों को अवैध जासूसी गतिविधियों में शामिल होने का लालच दिया जाता है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह आरोप नहीं लगाया कि अगर अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है तो राज्य की सुरक्षा को खतरा है।

    अदालत ने कहा कि नौ महीने की अवधि में केवल छह गवाहों की जांच की गई, क्योंकि अधिकांश गवाह गवाही देने के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं।

    अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि 11 गवाहों की जांच बाकी है और अदालत ने कहा कि प्रत्येक स्थगन न्यूनतम एक महीने का होता है, क्योंकि गवाह उत्तर प्रदेश से हैं।

    इस प्रकार, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रायल निकट भविष्य में शुरू होने की संभावना नहीं है।

    अदालत ने कहा कि यह सुझाव देने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि अभियुक्त ने इरादे से कथित कृत्य किया।

    इस प्रकार, अदालत ने उन्हें 25,000 रुपये के पीआर बॉन्ड पर इतनी ही राशि के सॉल्वेंट ज़मानत पर जमानत दे दी।

    केस नंबर- क्रिमिनल एप्लीकेशन (बीए) नंबर 161 ऑफ 2023

    केस टाइटल- निशांत पुत्र प्रदीप अग्रवाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

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