बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्रूज शिप ड्रग मामले में आर्यन खान और दो अन्य को जमानत दी

LiveLaw News Network

28 Oct 2021 11:33 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्रूज शिप ड्रग मामले में आर्यन खान और दो अन्य को जमानत दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित क्रूज शिप ड्रग मामले में आर्यन खान को जमानत दे दी।

    जस्टिस एनडब्ल्यू साम्ब्रे ने अर्यान के साथ मामले के सह-आरोपी अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को भी जमानत दे दी।

    जमानत रे विस्तृत आदेश के कल यानी शुक्रवार को जारी होने की संभावना है।

    आर्यन खान के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के एएसजी अनिल सिंह को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत देने का फैसला किया।

    बेंच ने अरबाज मर्चेंट के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई और मुनमुन धमेचा के लिए वकील काशिफ अली को भी सुना।

    एनसीबी ने पिछले दिन अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल पर छापेमारी के बाद तीन अक्टूबर को तीनों को गिरफ्तार किया था। उन्होंने 20 अक्टूबर को विशेष एनडीपीएस कोर्ट द्वारा जमानत खारिज करने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया था।

    एनसीबी ने आरोप लगाया कि आरोपी एक बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। खान के अंतरराष्ट्रीय संबंध हैं और इसलिए सच्चाई का पता लगाने के लिए आगे की पूछताछ की आवश्यकता है।

    एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि खान एक प्रभावशाली व्यक्ति है और गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के प्रयास पहले ही किए जा चुके हैं।

    आर्यन खान का मामला

    वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी द्वारा प्रस्तुत आर्यन खान की ओर से यह तर्क दिया गया कि उनकी गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 22 के सरासर उल्लंघन में की गई, क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी के सही आधार के बारे में सूचित नहीं किया गया।

    खान ने अपने दोस्त अरबाज (छह ग्राम चरस) से बरामद किए गए मादक द्रव्यों के "कब्जे" के आरोपों से भी इनकार किया।

    खान ने कहा,

    "मुझसे कोई बरामदगी नहीं हुई। हालांकि मैं कहता हूं कि मुझे नहीं पता था कि वह क्या ले जा रहा है। लेकिन मुझ पर षडयंत्र के तहत यह थोपा जा रहा है। उनका मामला है कि अगर यह संयोग नहीं है, बल्कि एक साजिश है। एक पार्टी होनी है। अगर सभी आठ (आरोपियों) के बीच एक टेलीफोन कॉल कहें तो अरबाज के अलावा, इनमें से किसी के भी साथ मेरा कुछ लेना देना नहीं है।"

    कथित ड्रग तस्कर आचित कुमार के साथ अपने संबंध पर रोहतगी ने खान की ओर से प्रस्तुत किया,

    "आचित को 2.4 ग्राम के साथ गिरफ्तार किया गया था। डीलरों के पास सिर्फ 2.4 ग्राम ड्रग नहीं हो सकता।"

    उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट मामला है कि कोई बरामदगी नहीं है, कोई खपत नहीं है और ड्रग्स की कोई वसूली नहीं है।

    रोहतगी ने यह भी कहा कि खान के फोन से बरामद व्हाट्सएप चैट में से कोई भी क्रूज पार्टी से संबंधित नहीं है। आगे यह तर्क दिया गया कि व्हाट्सएप मैसेज का कोई स्पष्ट मूल्य नहीं है और एक वर्ष के लिए दंडनीय अपराध के लिए किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को इस आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता।

    यह भी तर्क दिया गया कि एनसीबी का मामला एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत दिए गए "स्वैच्छिक" बयानों पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जो कि टोफन सिंह मामले में पिछले साल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार साक्ष्य में अस्वीकार्य हैं।

    तीनों आरोपियों ने एनडीपीएस एक्ट की धारा 29 के तहत साजिश के आरोप से भी इनकार किया।

    अरबाज मर्चेंट का मामला

    इस संबंध में अरबाज मर्चेंट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि गिरफ्तारी के समय तीनों पर साजिश का मामला दर्ज नहीं किया गया। हालांकि, अब एनसीबी एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत जमानत देने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए "साजिश के अंब्रेला" का उपयोग कर किसी को भी और सभी को फंसा रही है।

    उन्होंने कहा कि मर्चेंट के खिलाफ सबसे ज्यादा मामला ड्रग्स के 'निजी खपत' का है।

    उन्होंने कहा,

    "'उपयोग' के अरेस्ट मेमो में कोई आरोप नहीं है। इसलिए एक स्पष्ट समझ है कि यह व्यक्तिगत खपत से ज्यादा कुछ नहीं है।"

    देसाई ने आगे कहा कि चूंकि आरोपियों के खिलाफ आरोपित अपराध एक वर्ष से कम समय के लिए दंडनीय हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत पेश होने का नोटिस जारी किया जाना चाहिए था, जिसमें उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कहा गया हो।

    उन्होंने तर्क दिया,

    "मामूली अपराधों में गिरफ्तारी अपवाद है। यह अर्नेश कुमार मामले में दिए गए फैसले का आदेश है।"

    कथित रूप से आपत्तिजनक व्हाट्सएप चैट के मुद्दे पर देसाई ने प्रस्तुत किया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के अनुसार जारी किए गए प्रमाण पत्र के बिना व्हाट्सएप चैट अस्वीकार्य हैं।

    उन्होंने कहा,

    "डिजिटल साक्ष्य को सत्यापित किया जाना है।"

    मुनमुन धमेचा का मामला

    मुनमुन धमेचा की ओर से पेश हुए वकील अली काशिफ खान ने हाईकोर्ट के समक्ष दावा किया कि उन्हें क्रूज पर आमंत्रित किया गया था और जब एनसीबी कथित तलाशी के लिए आई तो सोमिया और बलदेव के साथ कमरे में थीं।

    अली ने दावा किया कि व्यक्तिगत तलाशी के दौरान उसके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ ,जबकि रोलिंग पेपर से धुआं निकलता है और सोमिया से बरामद किया गया। हालांकि, सोमिया और बलदेव को जाने दिया गया।

    उन्होंने कहा कि मुनमुन के खिलाफ मामला जानबूझकर बरामदगी का है, जबकि उन्हें ड्रग्स से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि एनसीबी द्वारा साजिश के लिए एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 का दुरूपयोग उन लोगों के साथ कम मात्रा में शामिल करके किया गया है, जिनसे मध्यस्थ और वाणिज्यिक मात्रा बरामद की गई थी।

    एनसीबी का मामला

    एनसीबी की ओर से एएसजी अनिल सिंह ने तर्क दिया कि आरोपी के व्हाट्सएप चैट में बल्क मात्रा का एक विशिष्ट संदर्भ है और खान पहली बार उपभोक्ता नहीं है। चैट की स्वीकार्यता के संबंध में एएसजी ने कहा कि उनके पास भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत आवश्यक 65B प्रमाणपत्र है और इस प्रकार चैट स्वीकार्य हैं।

    उन्होंने बताया कि जब खान को पकड़ा गया तो आठ लोगों (एजेंसी द्वारा प्राप्त गुप्त नोट में नामित 11 लोगों में से) से ड्रग्स मिलीं। इस प्रकार, एक संचयी प्रभाव देखा जाना है।

    एएसजी अनिल सिंह ने कहा,

    "इसकी जांच होनी चाहिए... ड्रग्स की मात्रा व्यावसायिक मात्रा की थी।"

    उन्होंने तर्क दिया कि गिरफ्तारी में कोई त्रुटि नहीं है और एनडीपीएस मामलों में, "हिरासत का नियम है, जमानत अपवाद है।"

    स्वैच्छिक बयानों की स्वीकार्यता के बिंदु पर एएसजी ने तर्क दिया कि धारा 67 बयान की स्वीकार्यता का प्रश्न केवल ट्रायल के समय पर लागू होगा, जांच के समय नहीं।

    हालांकि इसका जवाब देते हुए रोहतगी ने संजीव चंद्र अग्रवाल बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि धारा 67 के बयानों की स्वीकार्यता पर जमानत के स्तर पर विचार किया जा सकता है।

    एनसीबी ने यह भी आरोप लगाया कि जांच को पटरी से उतारने के प्रयास में आरोपी ने पंच गवाह प्रभाकर सईल को प्रभावित किया। इससे एनसीबी अधिकारियों पर रंगदारी के आरोप लगे।

    मुंबई पुलिस ने अब इस संबंध में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

    इस बीच, खान ने सईल या उसके सहयोगियों के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया।

    पृष्ठभूमि

    न्यायाधीश वीवी पाटिल की एक विशेष एनडीपीएस अदालत ने इससे पहले उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसमें कहा गया था कि साजिश और अवैध ड्रग व्यापार का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

    विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि व्हाट्सएप चैट से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी आर्यन खान नियमित रूप से मादक पदार्थों के लिए अवैध नशीली पदार्थों की गतिविधियों में शामिल है।

    कथित तौर पर अरबाज मर्चेंट के जूते से छह ग्राम और मुनमुन धमेचा के कमरे से पांच ग्राम चरस बरामद की गई। आर्यन खान से कोई वसूली नहीं हुई।

    हालांकि, एनसीबी ने खान और धमेचा पर जानबूझकर कब्जा करने का आरोप लगाया।

    उन पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 8(सी) सपठित 20बी, 27, 28, 29 और 35 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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