बॉम्बे हाईकोर्ट ने नक्सल विस्फोट मामले में गंभीर रूप से बीमार विचाराधीन महिला कैदी को उपशामक देखभाल के लिए धर्मशाला में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

9 Sep 2021 9:24 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कैंसर से गंभीर रूप से पीड़ित एक बीमार कैदी को मुंबई की एक धर्मशाला में उपशामक देखभाल या दर्द प्रबंधन की अनुमति दी।

    जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि 2019 गढ़चिरौली आईईडी धमाकों की आरोपी निर्मला कुमारी उप्पनगंती (59) को भायखला महिला जेल से बांद्रा के शांति अवेदना सदन धर्मशाला में 15 सितंबर तक स्थानांतरित कर दिया जाए।

    ऐसे रोगियों, जिनका कोई इलाज नहीं है, के लिए बनी संस्था ने बीमार की देखभाल के लिए सहमति दे दी है। संस्‍था ने कहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो मृत्यु तक देखभाल की जाएगी।

    जस्टिस शिंदे ने मंगलवार को कहा ‌था, "पहले हम इंसान हैं, फिर हम जज या वकील। जब कोई हमारे सामने आएगा तो हम सभी पहलुओं पर विचार करेंगे। अनुच्छेद 21 [जीवन का अधिकार] दोषियों और विचाराधीन कैदियों पर समान रूप से लागू होता है। बस आदेश न्यायिक ढांचे के भीतर होना चाहिए …"

    उप्पंगंती जिस कैंसर से पीड़ित है, उसने उसके पूरे शरीर को प्रभावित किया है, जिसमें उसके फेफड़े, खोपड़ी और यकृत भी शामिल हैं। मंगलवार को एक रिपोर्ट से पता चला था कि वह स्तन कैंसर के चौथे चरण में है, और उसके दिल का बायां निलय अपनी क्षमता से केवल 35% रक्त पंप कर रहा है।

    याचिका के अनुसार , 2016 में एक जांच में उप्पंगंती के शरीर में कैंसर का पता चला था। 2019 में कैद के बाद से उसका टाटा मेमोरियल अस्पताल में इलाज चल रहा है।

    एडवोकेट युग चौधरी और पायोशी रॉय ने कोर्ट में उप्पंगंती का प्रतिनिधित्व किया, जबकि लोक अभियोजक संगीता शिंदे ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। शिंदे ने याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि उप्पंगंती को जेल में रहना चाहिए और जब भी आवश्यकता हो टाटा में इलाज कराना चाहिए।

    खाने या सोने में असमर्थ उप्पंगंती ने 7 जुलाई, 2021 को रॉय से कहा था कि "... जीवन प्रत्येक क्षण एक नरक जैसा है, और वह अब दर्द को सहन नहीं की पा रही है।"

    रॉय ने तर्क दिया कि टाटा मेमोरियल में उन्हें दर्द प्रबंधन के लिए विकिरण दिया गया था। उन्होंने तर्क दिया था, "तथ्य यह है कि वह मर रही है। जेल के अंदर उसमें अन्य बीमारियां पनप रही हैं।"

    उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उप्पंगंती हड्डी के कैंसर के कारण असहनीय दर्द में थी लेकिन उसे जेल में बिस्तर या गर्म पानी की थैली उपलब्ध नहीं कराई गई थी।

    रॉय ने कहा कि वह मेडिकल जमानत की मांग नहीं कर रही हैं क्योंकि उनके मुवक्किल की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। "उसका पति भी जेल में है।"

    याचिका में कहा गया, "भायखला जेल में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, जो गरिमा के साथ एक सामान्य जीवन के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं हैं... याचिकाकर्ता, जो गंभीर रूप से बीमार है और कष्टदायी दर्द में है, को विशेष देखभाल आवश्यकता है ताकि उसका शेष जीवन सहनीय हो और बरकरार रहे।"

    एक आईईडी विस्फोट के एक महीने बाद पुलिस ने प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दो वरिष्ठ सदस्यों उप्पंगंती (58) और उनके पति सत्यनारायण (70) को गिरफ्तार किया था। एनआईए ने दोनों पर हमले की योजना बनाने में 'प्रमुख भूमिका' निभाने का आरोप लगाया था।

    केस शीर्षक: निर्मला कुमारी उप्पगंती बनाम महाराष्ट्र राज्य

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