बॉम्बे हाईकोर्ट ने RTI Act के तहत दूसरी अपील के निपटान के लिए समय-सीमा तय करने का निर्देश दिया

Shahadat

14 Dec 2023 5:24 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने RTI Act के तहत दूसरी अपील के निपटान के लिए समय-सीमा तय करने का निर्देश दिया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग (SIC) से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 9RTI Act) के तहत दायर दूसरी अपील और शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए उचित समय सीमा स्थापित करने का आग्रह किया।

    जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने एसआईसी को फरवरी 2024 के पहले सप्ताह तक रिक्तियां भरने के बाद अधिक कुशल कामकाज के लिए मानदंड विकसित करने को कहा।

    अदालत ने कहा,

    “एक बार जब आयोग मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य आयुक्तों सहित पूर्ण रोस्टर के साथ काम करना शुरू कर देता है तो अधिक कुशल कामकाज के लिए कुछ मानदंडों को विकसित करना और काम करना उचित होगा, जिसमें RTI के तहत दूसरी अपील के निपटान के लिए कुछ उचित समय सीमा तय करनी शामिल होगी। तदनुसार, हम निर्देश देते हैं कि इस आदेश की प्रति SIC के समक्ष रखी जाएगी, जो कुछ उचित समय सीमा तैयार करने के लिए उचित कदम उठाएगी और दूसरी अपीलों और शिकायतों के शीघ्र निपटान के लिए इसे निर्धारित करेगी।”

    अदालत पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गांधी और आरटीआई एक्टिविस्ट के एक समूह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें SIC की अधिक कुशल कार्यप्रणाली की मांग की गई है।

    जनहित याचिका में उन उदाहरणों का हवाला देते हुए दूसरी अपीलों के निपटान में लगने वाली लंबी अवधि पर जोर दिया गया, जहां देरी के कारण सूचना चाहने वालों में निराशा हुई। याचिकाकर्ताओं ने RTI Act के तहत जानकारी मांगने वालों की शिकायतों के समाधान के लिए संरचित और समयबद्ध समाधान तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया।

    याचिकाकर्ता ने कलकत्ता हाईकोर्ट के रुख का हवाला दिया, जिसने पहली अपील के निपटान के समान दूसरी अपील के निपटान के लिए 45 दिनों की उचित समय सीमा का सुझाव दिया था।उन्होंने आगे कहा कि मद्रास हाईकोर्ट, बॉम्बे हाईकोर्ट और जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पहले दूसरी अपील के निपटान के लिए एक रोडमैप मांगा।

    अदालत ने कहा कि जहां पहली अपील के लिए 45 दिनों की वैधानिक समय सीमा मौजूद है, वहीं दूसरी अपील के निपटारे के लिए ऐसी कोई समय सीमा नहीं है।

    चीफ जस्टिस उपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि वैधानिक समय सीमा के अभाव में भी कुछ उचित समय सीमा होनी चाहिए।

    अदालत को सूचित किया गया कि SIC में मुख्य आयुक्त और अन्य आयुक्तों सहित सभी रिक्तियां फरवरी 2024 के पहले सप्ताह तक भर दी जाएंगी, जिसके बाद आयोग पूर्ण रोस्टर के साथ काम करेगा।

    अदालत ने आयोग के कुशल कामकाज और अपीलों और शिकायतों के शीघ्र निपटान की वांछनीयता स्वीकार की और SIC को दूसरी अपीलों और शिकायतों के शीघ्र निपटान के लिए उचित समय सीमा बनाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।

    अदालत ने SIC के वकील को 6 मार्च, 2024 को होने वाली अगली सुनवाई तक इस आदेश के अनुपालन में उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

    केस नबंर- पीआईएल(एल)/3143/2020 [मूल]

    केस टाइटल- शैलेश गांधी और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग

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