बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेप केस को इस शर्त पर रद्द किया कि आरोपी और कथित पीड़िता को 6 महीने तक समाज सेवा करनी होगी

LiveLaw News Network

6 April 2022 1:30 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार के एक मामले को इस शर्त पर खारिज कर दिया कि आरोपी और कथित पीड़िता को 6 महीने के लिए समाज सेवा करनी होगी।

    जस्टिस प्रसन्ना बी वरले और जस्टिस एसएम मोदक की पीठ ने आवेदक और कथित पीड़िता (प्रतिवादी संख्या 2) को संबंधित संस्थानों से प्रमाण पत्र प्राप्त करने का निर्देश दिया, जहां उन्हें सामाजिक सेवाओं देने का निर्देश दिया गया है। उन्हें 6 महीने सामाजिक सेवा देने का निर्देश दिया गया है।

    न्यायालय ने आवेदक-अभियुक्त और प्रतिवादी क्रमांक 2/कथित पीड़ित द्वारा संबंधित संस्थानों से प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने और आदेश की तारीख से 9 महीने के भीतर न्यायालय के रिकॉर्ड पर रखने की शर्त के अधीन एफआई रद्द करने का आदेश दिया।

    पृष्ठभूमि

    मार्च 2020 में आईपीसी की धारा 376 (2) (एन), 354, 354 (डी), 500, 504, 506 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दर्ज मामले में आवेदक आरोपी बनाया गया।

    उसके द्वारा की गई शिकायत पर अभियोक्ता/कथित पीड़िता के कहने पर मामला दर्ज किया गया। हालांकि, बाद में फरवरी 2022 में, उसने एक एनओसी हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया था कि उसने सुसंगतत के मुद्दे और अपने और आरोपी/आवेदक के बीच की गलतफहमी के कारण शिकायत दर्ज कराई थी।

    उसने आगे कहा कि अब दोनों सहमत हो गए हैं और अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है और इसलिए सहमति से एफआईआर को रद्द करने के लिए अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी।

    गौरतलब है कि अपने एनओसी हलफनामे में उसने कहा था कि दोनों (आरोपी-पीड़ित) एक बार शादी की संभावनाओं के लिए एक-दूसरे को देख रहे थे और उनमें रोमांटिक भावनाएं पैदा हो गईं और ऐसा अंततः उनके बीच यौन संबंधों का कारण बना।

    हालांकि, समय के साथ, पीड़िता को पता चला कि वे दोनों अत्यधिक असंगत हैं और उनके लिए शादी करना नासमझी होगी और इसलिए, उसने रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाने के अपने फैसले से अवगत कराया और जिससे उनके बीच विवाद हुआ।

    इसके बाद, आवेदक/आरोपी ने लड़की के परिवार को कुछ अंतरंग तस्वीरें दिखाईं और इसलिए, पीड़िता ने स्वीकार किया कि गुस्से में आकर उसने आवेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। हालांकि, बाद में कथित पीड़िता ने किसी और से शादी कर ली और एक संतुष्ट जीवन जीने लगी। इसलिए, आवेदक और कथित पीड़ित ने मामले को समाप्त करने और अपने जीवन के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया।

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने मामले को रद्द करने की मांग करने वाले आपराधिक आवेदन को इस शर्त के अधीन अनुमति दी कि आवेदक-अभियुक्त हर पखवाड़े यानी हर महीने के हर दूसरे और चौथे शनिवार को चेंबूर में बाल कल्याण बाल ट्रस्ट में 6 महीने की अवधि के लिए सामाजिक सेवाओं देंगे।

    दूसरी ओर, प्रतिवादी संख्या 2/कथित पीड़िता को मारू घाल, गोराई, बोरीवली (पश्चिम) में हर पखवाड़े यानी हर महीने के हर दूसरे और चौथे शनिवार को 6 महीने की अवधि के लिए सामाजिक सेवाओं देने का निर्देश दिया गया था।

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