गांजा पीने के आरोप में निष्कासित छात्रा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतर‌िम राहत दी, इंटर्नल एग्जाम में बैठने की अनुमति

LiveLaw News Network

9 April 2020 10:30 AM GMT

  • गांजा पीने के आरोप में निष्कासित छात्रा को बॉम्बे  हाईकोर्ट ने अंतर‌िम राहत दी, इंटर्नल एग्जाम में बैठने की अनुमति

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को गांजा पीने के आरोप में लॉ कॉलेज से रस्टिकेट की गई एक छात्रा को अंतरिम राहत प्रदान की और उसे आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति दी। कोर्ट ने जूम ऐप के जरिए की गई सुनवाई में यह आदेश पारित किया।

    जस्टिस जीएस पटेल ने छात्रा की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने दलील दी थी कि कॉलेज ने उस पर असंगत कार्रवाई की है और केस की प्रासंगिक सामग्र‌ियों पर विचार करने में विफल रहा है। मामले की सुनवाई में छात्रा की ओर से एडवोकेट मोहित भारद्वाज और लॉ कॉलेज की ओर से एडवोकेट मनोरमा मोहंती पेश हुईं।

    एडवोकेट भारद्वाज ने कहा कि छात्रा को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया, और संबंधित सामग्री पर विचार करने के बजाय, उसके खिलाफ गैरआनुपातिक कार्रवाई की गई। ज‌स्टिस पटेल ने कहा कि कोर्ट फैसले की मेरिट पर नहीं, बल्कि फैसला लेने की प्रक्रिया पर विचार करेगा। उन्होंने छात्रा के रस्टिकेशन के संबंध में एडवोकेट भारद्वाज से जिरह की।

    एडवोकेट मोहंती ने अपनी दलील में कहा- "हमे नहीं पता कि छात्र को किस कारण रस्टीकेट किया गया था, हालांकि उन्होंने (कॉलेज प्रशासन ने) स्टूडेंट की सोशल मीडिया पोस्ट्स पर भरोसा किया है, साथ ही एक और स्टूडेंट की सोशल मीडिया पोस्‍ट पर भरोसा किया गया है, जिसे रस्टीकेट किया गया है।"

    एडवोकेट मोहंती ने कहा कि कॉलेज ने छात्रा द्वारा इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई तस्वीरों पर भरोसा किया, जिसमें छात्रों को कॉलेज परिसर में गांजा पीते देखा जा सकता है। हालांकि, लॉकडाउन के कारण कॉलेज प्रशासन फोटो और अन्य दस्तावेजों को प्राप्त नहीं कर पा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता मामले के सभी तथ्यों का खुलासा नहीं कर रही हैं, जबकि जिन सामग्र‌ियों के आधार पर उन पर कार्रवाई की गई, वो उन्हें दिखाई जा चुकी हैं।

    मामले में याचिकाकर्ता के अलावा, एक और स्टूडेंट को रस्टिकेट किया गया है और 18 अन्य को निलंबित किया गया है। जस्टिस पटेल ने कहा कि कॉलेज प्रशासन ने कार्रवाई के ‌लिए जिन सामग्र‌ियों पर भरोसा किया, वो इस समय अप्राप्य हैं, इसलिए मेरिट पर निर्णय संभव नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि छात्रा को अंतरिम रहत दी जाए। कोर्ट ने अंतरिम राहत के तहत याचिकाकर्ता की आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने की की अनुमति दी है।

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