'अदालत से देरी से संपर्क किया': कलकत्ता हाईकोर्ट ने गणतंत्र दिवस के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की नेताजी की झांकी को बाहर करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

25 Jan 2022 9:55 AM GMT

  • अदालत से देरी से संपर्क किया: कलकत्ता हाईकोर्ट ने गणतंत्र दिवस के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की नेताजी की झांकी को बाहर करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज की

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को गणतंत्र दिवस परेड के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से प्रस्तावित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की झांकी को खारिज करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका को खारिज कर दिया।

    एडवोकेट रामप्रसाद सरकार द्वारा दायर जनहित याचिका में 26 जनवरी, 2022 को होने वाली आगामी गणतंत्र दिवस परेड में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पश्चिम बंगाल की झांकी को अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश जारी करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी।

    चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने में देरी पर आपत्ति व्यक्त की और तदनुसार कहा,

    ".. रिट याचिकाकर्ता ने इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। चूंकि गणतंत्र दिवस का उत्सव परसों है, इसलिए, इस स्तर पर, कोई प्रभावी निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है। इसलिए, वर्तमान रिट याचिका में हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है, जो तदनुसार खारिज किया जाता है।"

    पीठ ने मौजूदा जनहित याचिका दायर करने में विभिन्न दोषों पर ध्यान दिया, जैसा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने बताया था।

    बहस

    कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ता ने पीठ को अवगत कराया कि इस वर्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती समारोह होने वाला है और केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस परेड के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस और इं‌डियन नेशनल आर्मी की पश्चिम बंगाल की झांकी को गलत तरीके से खारिज कर दिया है।

    दूसरी ओर, केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर तर्क दिया कि मौजूदा याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आवेदन से संबंधित कलकत्ता हाईकोर्ट के नियमों के नियम 20 का पालन नहीं किया गया है क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा मौजूदा याचिका दायर करने से पहले न्याय की कोई मांग नहीं की गई है।

    एएसजी ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने एक गलत हलफनामा प्रस्तुत किया है जिसमें कहा गया है कि याचिका में बताए गए तथ्य उसकी जानकारी में सही हैं, भले ही जनहित याचिका अखबार की कटिंग और उससे प्राप्त जानकारी के आधार पर दायर की गई हो।

    एएसजी ने आगे कहा कि हालांकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पहले की सरकारों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन वर्तमान सरकार नेताजी को एक आइकन के रूप में मान रही है और स्वतंत्रता की प्रक्रिया को तेज करने में योगदान को पहचान रही है। कोर्ट को आगे बताया गया कि नेताजी के सम्मान में नेताजी की जयंती 23 जनवरी को "पराक्रम दिवस" ​​घोषित किया जा चुका है और केंद्र ने 23 जनवरी से 30 जनवरी तक नेताजी की 125 वीं जयंती पर सप्ताह के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया है।

    उन्होंने आगे कहा कि इंडिया गेट पर नेताजी का एक होलोग्राम लगाया गया है, जिसे अगस्त 2022 तक नेताजी की प्रतिमा से बदल दिया जाएगा। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया है कि जहां तक ​​अस्वीकृति के कारणों का संबंध है, यदि राज्य चाहता है तो उसे केंद्र द्वारा विधिवत आपूर्ति किया जा सकता है और एक झांकी को बाहर करने का निर्णय मौजूदा नियमों के अनुसार लिया जाता है।

    इसके अलावा, महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने पीठ को अवगत कराया कि उनके पास इस बारे में कोई निर्देश नहीं है कि क्या अस्वीकृति के कारणों के बारे में पश्चिम बंगाल राज्य को सूचित किया गया है।

    केस शीर्षक: रामप्रसाद सरकार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

    सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 13

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