'वकील होने के नाते तुच्छ जनहित याचिका दायर नहीं करनी चाहिए': उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यूजीसी फंड कुप्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज की
LiveLaw News Network
10 Jan 2022 5:08 PM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक वकील होने के नाते, याचिकाकर्ता को यूजीसी फंड के कुप्रबंधन पर कोई विशेष उदाहरण बताए बिना एक तुच्छ जनहित याचिका दायर नहीं करनी चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस.के. मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक कुमार ने याचिकाकर्ता को आगे कोई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के बिना जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति दी।
अधिवक्ता एम.सी. पंत, याचिकाकर्ता ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग [यूजीसी] को निजी प्रतिवादियों और प्रायोजक समितियों के खिलाफ उचित कदम उठाने, यूजीसी फंड के दुरुपयोग और प्रायोजक समितियों या किसी भी तरह के कुप्रबंधन को रोकने के लिए निर्देश देने के लिए परमादेश की एक रिट जारी करने की प्रार्थना की थी।
इस मामले में जहां याचिकाकर्ता देहरादून में वकालत कर रहा है, अदालत ने कहा कि,
"रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को, एक वकील होने के नाते तुच्छ जनहित याचिका दायर नहीं करनी चाहिए। आरोप लगाया है कि यूजीसी फंड का दुरुपयोग किया गया है और रिट याचिका के किसी भी पैराग्राफ में यूजीसी फंड के कुप्रबंधन का एक भी उदाहरण नहीं बताया गया है।"
याचिकाकर्ता ने एक नई रिट याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ मामले को वापस लेने की मांग की। हालांकि कोर्ट ने वापसी की अनुमति दी, लेकिन नई याचिका दायर करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
केस का शीर्षक: WP PIL 226/ 2021