'शिकायत करते समय गरिमापूर्ण व्यवहार करें' : रजिस्ट्री को अशिष्ट ईमेल भेजने वाले वकील को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने लगाई फटकार

LiveLaw News Network

12 Sept 2020 11:34 AM IST

  • शिकायत करते समय गरिमापूर्ण व्यवहार करें : रजिस्ट्री को अशिष्ट ईमेल भेजने वाले वकील को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने लगाई फटकार

    कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय एस ओका ने शुक्रवार को उस अधिवक्ता की खिंचाई की, जिसने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को असभ्य ईमेल भेजे थे।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किन्गी की खंडपीठ ने इस अधिवक्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया था, जिसके बाद पीठ ने उसके आचरण पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने कहा कि ''हम आपको नहीं बुलाते, परंतु आपने एक दिन पहले रजिस्ट्रार को जो ईमेल भेजा है, उसके लिए आपको बुलाना पड़ा। क्या आप जानते हैं कि रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल एक जिला न्यायाधीश होता है?''

    मुख्य न्यायाधीश ओका ने कहा ''

    मैं आपको केवल एक ही बात बता रहा हूं कि अगर हाईकोर्ट में कुछ भी गलत होता है, तो मुख्य न्यायाधीश के रूप में, मैं उसके लिए जिम्मेदार हूं। इसलिए यदि आप किसी भी सदस्य को अपशब्द कहना चाहते हैं, तो कृपया मुख्य न्यायाधीश के लिए कहें, न क स्टाफ को। कर्मचारियों की सुरक्षा करना मेरा कर्तव्य है, मैं यहाँ बैठा हूँ कृपया अब मुझे गाली दें या अपशब्द कहें।''

    रजिस्ट्री को ईमेल भेजने वाले वकील ने इसके बाद कोर्ट से माफी मांगना शुरू कर दिया। वकील ने अपने ईमेल के विषय में लिखा था कि, ''हाईकोर्ट अधिकारी न तो ईमेल पर ठीक से विचार करते हैं और न ही उनका उचित जवाब देते हैं।'' वकील ने कहा कि ''मुझे प्राधिकरण, हाईकोर्ट या मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। मिलाॅर्ड मुझे इसके लिए खेद है। मैं माफी मांगता हूं।''

    जिस पर न्यायमूर्ति ओका ने कहा ''कृपया गरिमापूर्ण तरीके से व्यवहार करें, आज भी हमने आपके मैमो को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि यह मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है।''

    न्यायाधीश ने कहा, ''इसके बाद भी, मैं आपको कुछ बातें बता रहा हूं। पहली बात यह है कि यदि आपके पास मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ कोई शिकायत है, तो इसे मुख्य न्यायाधीश के सचिव को संबोधित न करें, इसे भारत के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करें। दूसरी बात यह है कि, अगर आपकी कोई शिकायत है तो आपको वकील के पेशे की गरिमा के अनुरूप ही उसे उठाना होना चाहिए। तीसरा, सभी पत्राचार में उनको अदालत के अधिकारी के रूप में संबोधित किया जाए, न कि आपके मुवक्किल के मुखपत्र के रूप में। यह सब बातें सुप्रीम कोर्ट ने कही हैं, हम नहीं कह रहे हैं।''

    पीठ ने अधिवक्ता को इस बात से भी अवगत कराया कि हाईकोर्ट इस समय किन परिस्थितियों में काम कर रही है। ''पहले यह पता करें कि आप कहाँ गलत कर रहे हैं,उसके बाद ही दूसरों को दोष देना शुरू करें। यह अब हर दिन हो रहा है,परंतु वकील यह नहीं समझ रहे हैं कि यहां काम करना कितना मुश्किल हो रहा है। कृपया हमें बताएं कि बैंगलोर में कौन सा ऐसा संस्थान है,जिसके 100 से अधिक कर्मचारी पाॅजिटिव पाए गए हैं। परंतु उसके बाद भी यह संस्थान काम कर रहा है। इस सप्ताह कई केस सामने आए हैं,उसके बावजूद भी 12 बेंच ने फिजिकल हियरिंग शुरू कर दी है।''

    अधिवक्ता ने बार-बार दोहराया कि ''मिलाॅर्ड ,मुझे खेद है। मैं केवल यह चाहता हूं कि मेरा मैमो कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।''

    जिस पर जस्टिस ओका ने कहा ''कृपया समझें, यदि आप माफी मांगना चाहते हैं, तो उसे ईमेल के जरिए भेजें। कृपया एसओपी का पालन करें। कृपया यह धारणा न बनाएं कि यदि आप आवेदन कर रहे हैं तो आपको (सुनवाई की तारीख) मिल ही जाएगी। ऐसा केवल तभी होगा,जब मामले में तात्कालिकता होगी,अन्यथा आपको कतार में अपनी बार का इंतजार करना होगा।''

    बाद में, एक अन्य मामले में कोर्ट के समक्ष पेश होते हुए महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी ने कहा था कि '' लाॅर्डशिप को क्षुब्ध या दुखी होने जरूरत नहीं है। आमतौर पर ऐसा नहीं होता है, इस तरह के किसी अकेले मामले को लाॅर्डशिप कृपया अनदेखा कर सकते हैं।''

    न्यायमूर्ति ओका ने कहा,

    ''मैं उद्विग्र या पर्टब्र्ड नहीं हूं, लेकिन बार के सदस्यों को एक संकेत देना होगा। इसका कारण यह है कि जब तक वे मेरी आलोचना कर रहे हैं, मैं परेशान नहीं हूं, लेकिन अगर वे कर्मचारी सदस्यों को अपमानजनक कॉल करना शुरू कर देते हैं, तो...''

    उन्होंने यह भी कहा, ''यह बार के कुछ चुनिंदा सदस्यों तक ही सीमित है और आम तौर पर अन्य कोई कठिनाई नहीं है। लेकिन अगर मामला इस हद तक चला जाता है कि आपने मुख्य न्यायाधीश के बारे में शिकायत करते हुए सचिव को एक ईमेल भेजा है, वो भी यह कहते हुए कि आप तुरंत जवाब भेंजे ,तो यह एक संस्थागत मुद्दा है।''

    उन्होंने एक मराठी कहावत का हवाला देते हुए कहा कि, ''यदि आप बहू की आलोचना करना चाहते हैं, तो आपको बेटी की आलोचना करनी चाहिए। इसलिए यह सभी को एक संकेत भेजने का मामला है।''

    9 जुलाई को भी, मुख्य न्यायाधीश ने एक अधिवक्ता को फटकार लगाई थी क्योंकि उस अधिवक्ता ने भी अपने मामले की तत्काल लिस्टिंग कराने के लिए रजिस्ट्री को हत्तोसाहित करने वाला एक ईमेल भेजा था।

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