वर्चुअल गवाही के संबंध में Delhi LG की अधिसूचना पर BCI ने कहा- साक्ष्य अदालत में दर्ज किए जाने चाहिए

Shahadat

26 Aug 2025 10:25 AM IST

  • वर्चुअल गवाही के संबंध में Delhi LG की अधिसूचना पर BCI ने कहा- साक्ष्य अदालत में दर्ज किए जाने चाहिए

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) द्वारा हाल ही में जारी उस अधिसूचना पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें पुलिस अधिकारियों को अपने निर्धारित पुलिस थानों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाही देने की अनुमति दी गई। साथ ही चेतावनी दी कि ऐसा करने से अभियुक्तों के अधिकार और मुकदमे की कार्यवाही की निष्पक्षता खतरे में पड़ जाएगी।

    BCI ने उक्त अधिसूचना को तत्काल वापस लेने और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि सभी पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य अदालत में उनकी प्रत्यक्ष उपस्थिति में दर्ज किए जाएं।

    Delhi LG को संबोधित एक पत्र में BCI ने कहा कि हालांकि वह मुकदमों में तेजी लाने और कानून प्रवर्तन पर बोझ कम करने में तकनीक की भूमिका स्वीकार करता है, लेकिन पुलिस थानों से साक्ष्य दर्ज करना अदालत में गवाहों की प्रत्यक्ष उपस्थिति का विकल्प नहीं हो सकता।

    BCI ने अधिसूचना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,

    "अदालत में साक्ष्य केवल गवाह की प्रत्यक्ष उपस्थिति में ही दर्ज किए जा सकते हैं।"

    परिषद ने तीन प्रमुख जोखिमों पर प्रकाश डाला:

    निष्पक्ष सुनवाई: पुलिस थानों से गवाही देना, जो जांच एजेंसियों द्वारा नियंत्रित स्थान हैं, गवाहों की गवाही की विश्वसनीयता और सहजता को कमज़ोर कर सकता है।

    प्रभावी क्रॉस एक्जामिनेशन: वकीलों को दस्तावेज़ों का सामना करने, शारीरिक भाषा का निरीक्षण करने, या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गवाह के व्यवहार का परीक्षण करने में कठिनाई हो सकती है।

    न्यायिक नियंत्रण: गवाही को अदालत कक्ष से बाहर स्थानांतरित करने से पीठासीन जज का नियंत्रण सीमित हो जाता है और प्रक्रियात्मक चूक की संभावना बढ़ जाती है।

    BCI ने एडवोकेट एक्ट, 1961 के तहत एक वैधानिक निकाय होने के बावजूद, अधिसूचना जारी करने से पहले परामर्श न किए जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की।

    परिषद ने अधिसूचना को तत्काल वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा,

    "हम तकनीकी प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन आपराधिक प्रक्रिया में ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव बार, न्यायपालिका और अन्य हितधारकों की सहयोगात्मक चर्चा के बाद ही किए जाने चाहिए।"

    BCI ने यह दोहराते हुए निष्कर्ष निकाला कि आपराधिक मुकदमों की निष्पक्षता की रक्षा के लिए पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य केवल अदालत में उनकी भौतिक उपस्थिति में ही दर्ज किए जाने चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और दिल्ली के सभी जिला कोर्ट के बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने इस कदम का विरोध किया।

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 265 के अंतर्गत जारी अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी के 226 पुलिस थानों को ऐसे स्थान "नामित" किया गया, जहां से पुलिस अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालतों में गवाही दे सकते हैं और अपने साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।

    BNSS की धारा 265(3) का दूसरा प्रावधान राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किसी निर्दिष्ट स्थान पर ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों की जाँच करने की अनुमति देता है।

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