बैंक पैनल वकीलों को अपनी जेब से कोर्ट फीस का भुगतान करने और बाद में वसूली करने के लिए नहीं कह सकते: बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा
Praveen Mishra
12 April 2024 10:48 AM GMT
बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा की विशेषाधिकार समिति ने एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंकों के अध्यक्षों को कथित तौर पर अपने पैनल वकीलों को डैब्ट रिकवरी त्रिबुनल, चंडीगढ़ में मामले दायर करने के लिए कोर्ट की फीस का भुगतान करने के लिए कहा है।
इसमें कहा गया है कि शुल्क लाखों में है और कहा जाता है कि बैंक महीनों बाद ही इसकी प्रतिपूर्ति करते हैं।
डैब्ट रिकवरी त्रिबुनल बार एसोसिएशन, चंडीगढ़ द्वारा परिषद को एक शिकायत की गई थी जिसमें "अनैतिक अभ्यास" को रोकने के लिए बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था।
डीआरटी बार एसोसिएशन का आरोप है कि कोर्ट की फीस बहुत अधिक है, जो लाखों में है, जिसे सामान्य वकील भुगतान नहीं कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा है कि बैंकों अथवा इसके अधिकारियों को डीआरटी, चंडीगढ़ में मामले दायर करने के लिए अपने पैनल में शामिल वकीलों को अपनी जेब से कोर्ट फीस का भुगतान करने के लिए कहने की कोई शक्ति नहीं है।
डीआरटी बार एसोसिएशन का यह भी मामला है कि यह प्रथा न केवल अनैतिक है, बल्कि एडवोकेट एक्ट, 1961 के तहत प्रदान किए गए अधिवक्ताओं के विशेषाधिकारों, अधिकारों और कर्तव्यों के खिलाफ भी है और यह बीसीआई नियमों के तहत उनके अधिकारों और कर्तव्यों और विशेषाधिकारों का उल्लंघन करती है।
विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष लेख राज शर्मा और सदस्य राजा गौतम और करनजीत सिंह ने कहा कि "प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह की प्रथा निश्चित रूप से अधिवक्ता अधिनियम 1961 के प्रावधान, विशेष रूप से धारा 30 के प्रावधानों का उल्लंघन है, जो वकील के विशेषाधिकार, अधिकारों और कर्तव्यों के खिलाफ है और आम वकीलों विशेष रूप से युवा वकीलों के हित के खिलाफ भी है।"
यह प्रथा अनैतिक है और यह कुछ धनी अधिवक्ताओं के हाथों में पेशेवर कार्य/कानूनी कार्य का एकाधिकार पैदा करेगी जो आम अधिवक्ताओं की प्रतिभा को और खत्म कर देगी।
उपरोक्त के प्रकाश में, समिति ने एचडीएफसी, आईसीआईसी और एक्सिस बैंक के अध्यक्षों को बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा में विधिवत अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से बुलाया।
समिति ने कहा, 'आदेश के असहयोग से यह निष्कर्ष निकाला जाएगा कि अनैतिक व्यवहार जारी है और यह उनकी ओर से एक स्वीकारोक्ति होगी तथा उनकी अनुपस्थिति में कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।'