बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 'नो कॉन्फिडेंस मोशन' नियमों को अधिसूचित किया, पढें अधिसूचना

LiveLaw News Network

22 Aug 2020 11:36 AM GMT

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने नो कॉन्फिडेंस मोशन नियमों को अधिसूचित किया, पढें अधिसूचना

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्यों और स्टेट बार काउंसिल के पदाधिकारियों के खिलाफ ''नो कॉन्फिडेंस ( अविश्वास') नियमों को अधिसूचित कर दिया है।

    बीसीआई का कहना है कि यह नियम इसलिए बनाए गए हैं ताकि सभी राज्य बार काउंसिलों के पदाधिकारियों के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन या अविश्वास प्रस्ताव को पारित करने में एकरूपता प्रदान की जा सके। साथ ही नियमों को इसलिए भी बनाया गया है ताकि सभी बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कामकाज निष्पक्ष, सुचारू और निडरता से चलाया जा सके।

    काउंसिल का कहना है कि इन दिशानिर्देशों की प्रकृति अनिवार्य है और सभी राज्य बार काउंसिल को इनका पालन करने के लिए निर्देश दिया गया है। यदि आवश्यक हो, तो इन नियमों/प्रस्ताव के अनुपालन के लिए राज्य बार काउंसिल अपने नियमों में संशोधन करें।

    परिषद ने जारी अधिसूचना में पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहा कि

    ''बार काउंसिलों में समूहवाद बढ़ने के कारण, कई अवसरों पर इस परिषद को शिकायतें मिलती रहती हैं और कई बार बहुत ही विषम स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

    कुछ राज्यों के अव्यवहारिक नियमों के कारण, कुछ स्टेट बार काउंसिल में अवांछित समूहवाद की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य बार काउंसिलों में अस्वस्थ माहौल बन जाता है और कार्य क्षमता प्रभावित हो जाती है।

    पिछले दिनों ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पता चला था कि ओडिशा में कुछ छोटे-मोटे मुद्दे के कारण लगभग 2 महीने तक अधिवक्ताओं ने अदालतों में काम नहीं किया था। यह स्टेट बार काउंसिल में समूहवाद की राजनीति का परिणाम था। हमें एक राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष से मैनहैंडलिंग या मारपीट की शिकायतें भी मिली हैं और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था।

    स्टेट बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पिछले चुनावों के दौरान, कुछ ईमानदार सदस्यों और पदाधिकारियों को हटाने के लिए भ्रष्ट आचरण अपनाए जाने की रिपोर्ट (जो स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों या बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्यों के अनुचित दबाव के आगे नहीं झुक थे) भी सामने आई थी।

    वहीं ऐसी खबरें भी सामने आई हैं कि जब स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों की कुछ स्वार्थी /लालची गैरकानूनी मांगों के सामने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारी या सदस्य नहीं झुकें तो कुछ सदस्यों द्वारा उनको ब्लैकमेल करने की भी कोशिश की गई थी। इन कारणों की वजह से कुछ स्टेट बार काउंसिलों में बार-बार पदाधिकारियों को बदल दिया गया था और उन्हें केवल ''अविश्वास प्रस्ताव'' के अनुचित और दुर्भावनापूर्ण डर के कारण अपना कार्यकाल (बार काउंसिल के नियमों के अनुसार)पूरा किए बिना ही पद को त्यागने के लिए मजबूर किया गया था। इतना ही नहीं तमिलनाडु के अधिवक्ताओं ने चुनावों में बड़े पैमाने पर सौदेबाजी होने और पदाधिकारियों/ सदस्यों को हटाने की परंपरा की सूचना भी दी है।''

    नए नियमों के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 2/3 सदस्यों को एक मांग-पत्र या अधियाचन प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।

    यह केवल निम्नलिखित आधारों पर लाया जा सकता है

    - 1) बीसीआई के पदाधिकारी या सदस्य का कदाचार साबित हुआ हो। 2) यदि ऐसा पदाधिकारी या सदस्य नैतिक अपराध के संबंध में अपराध का दोषी पाया जाता है और उसे किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाती है। 3) या किसी सदस्य को बार काउंसिल द्वारा किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए दोषी पाया जाता है।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया के जिस पदाधिकारी या सदस्य के खिलाफ इस तरह का अविश्वास प्रस्ताव प्रपोज या पेश किया जाएगा,उसे कम से कम 30 दिन पूर्व इस संबंध में सूचना देनी होगी। नियमों में यह भी कहा गया है कि यदि पहली बैठक में, बार काउंसिल ऑफ इंडिया प्रस्ताव के पक्ष में एक प्रथम दृष्टया मामला पाती है, तो वह इसकी वास्तविकता और सच्चाई का पता करने के लिए जांच करवाएगी। यह जांच भारत के सर्वोच्च न्यायालय या हाईकोर्ट के पूर्व माननीय न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।

    नो कॉन्फिडेंस मोशन, अगर एक बार असफल हो जाता है तो अगले 12 महीनों के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उस पदाधिकारी या सदस्य के खिलाफ इस प्रस्ताव को दोबारा नहीं लाया जा सकता है। यह नियम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सभी स्टेट बार काउंसिलों पर लागू होंगे। हालांकि, अपने अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए, कोई भी राज्य बार काउंसिल बार अपने नियम बना सकती है,परंतु उसके लिए भी काउंसिल ऑफ इंडिया की पूर्व स्वीकृति लेनी होगी।

    नियमों को पढ़ने के लिए यहां डाउनलोड करें।



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