अनुच्छेद 226 - हाईकोर्ट को रिट याचिका में उठाए गए आधारों/मुद्दों पर विचार करना होता है और तर्कयुक्त आदेश पारित करना होता है: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

28 March 2022 7:57 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रिट याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों/आधारों का ‌निस्तारण करना और उसके बाद एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करना अदालत का कर्तव्य है।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की टीम ने कहा, "जब संविधान हाईकोर्ट को राहत देने की शक्ति प्रदान करता है तो उचित मामलों में ऐसी राहत देना कोर्ट का कर्तव्य बन जाता है और यदि पर्याप्त कारणों के बिना राहत से इनकार कर दिया जाता है तो अदालतें अपना कर्तव्य निभाने में विफल हो जाएंगी।"

    अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर विचार कर रही थी, जिसमें रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था, जिसमें आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत मूल्यांकन/पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को फिर से खोलने को चुनौती दी गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि, 'हम रिट याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं' को छोड़कर, हाईकोर्ट ने रिट याचिकाओं में उठाए गए किसी भी आधार का निस्तारण नहीं किया है और उठाए गए किसी भी आधार पर कोई चर्चा नहीं हुई है।

    कोर्ट ने कहा, "जिस तरह से हाईकोर्ट ने बिना किसी तर्क के आदेश पारित किए, रिट याचिकाओं का निपटारा किया, यह न्यायालय उसकी सराहना नहीं करता है। जब रिट याचिकाओं में कई मुद्दे/आधार उठाए गए थे तो उन्हें निस्तारित करना और उसके बाद एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करना कोर्ट का कर्तव्य ‌था। जब ​​संविधान हाईकोर्टों को राहत देने की शक्ति प्रदान करता है तो यह न्यायालयों का कर्तव्य बन जाता है कि वे उपयुक्त मामलों में ऐसी राहत दें।"

    अदालत ने अपील को अनुमति देते हुए सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट‌ीज बनाम इंदौर कम्पोजिट प्राइवेट लिमिटेड (2018) 8 एससीसी 443, संघ लोक सेवा आयोग बनाम बिभु प्रसाद सारंगी (2021) 4 एससीसी 516 में दिए निर्णयों का उल्लेख किया।

    कोर्ट ने कहा, उपरोक्त निर्णयों में इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून को मामले के तथ्यों पर लागू करने और जिस तरीके से हाईकोर्ट ने रिट याचिकाओं का निपटारा किया है, संयम के हित में, हम केवल यह नोट कर सकते हैं कि आदेश तर्कहीन हैं। चूंकि पार्टियों द्वारा विविध आधारों का आग्रह/उठाया गया था, जिनकी पहले हाईकोर्ट द्वारा जांच की जानी चाहिए थी और प्रासंगिक दस्तावेजों का विश्लेषण करने पर एक स्पष्ट निष्कर्ष दर्ज करने की आवश्यकता थी।

    मामला

    विशाल अश्विन पटेल बनाम सहायक आयकर आयुक्त सर्कल 25(3) | 2022 लाइव लॉ (एससी) 322 | सीए 2200 ऑफ 2022 | 28 मार्च 2022

    कोरम: जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना

    निर्णय पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story