नियमित नियुक्ति के बिना बड़े पैमाने पर गेस्ट लेक्चरर की नियुक्ति से शिक्षा की गुणवत्ता में 'भारी सेंध' लगने की आशंका: उड़ीसा हाईकोर्ट
Avanish Pathak
1 Jun 2022 2:25 PM IST
उड़ीसा हाईकोर्ट ने तदर्थ कर्मचारियों पर दिए एक आदेश में शिक्षण संस्थानों में रेगुलर फैकल्टी को नियुक्त न करने के बजाय बड़े पैमाने पर गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति करने के मौजूदा चलन के खिलाफ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की सिंगल जज बेंच ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था में शिक्षा की गुणवत्ता में भारी 'सेंधमारी' करने की पूरी क्षमता है।
पीठ ने कहा कि गेस्ट लेक्चरर नियुक्ति नीतियों के कारण अपने कर्तव्यों का स्वतंत्र रूप से निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि उन्हें हमेशा 'टर्मिनेशन' का डर रहता है।
कोर्ट ने कहा,
"इस कोर्ट का विचार है कि शिक्षकों की नियमित नियुक्ति के बिना बड़े पैमाने पर गेस्ट लेक्चरर्स की नियुक्ति से शिक्षण की गुणवत्ता में भारी सेंध लगने की संभावना है और छात्रों के हितों को भारी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, गेस्ट फैकल्टी/अस्थायी शिक्षक स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाते, उन्हें हमेशा डर रहता है कि प्रधानाध्यापक या कुलपति उन्हें कभी बर्खास्त कर सकते हैं।"
जस्टिस पाणिग्रही ने आगे कहा कि गेस्ट फैकल्टियों को अनावश्यक रूप से मनमानी नियुक्ति नीतियों के अधीन किया जाता है। उन्होंने कहा, इनमें से अधिकतर फैकल्टी शिक्षित हैं, लेकिन उपयुक्त रोजगार प्राप्त करने में विफल रहे। इस प्रकार, वे इन नौकरियों को बहुत कम पारिश्रमिक और अनुचित सेवा शर्तों के साथ स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं।
उन्होंने गेस्ट फैकल्टी के लिए उचित भर्ती नीतियों के अभाव में स्थिति का फायदा उठाने के लिए सरकार को दोषी ठहराया, जो स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
उन्होंने देखा,
"दूसरी ओर, ये तदर्थ शिक्षक अनावश्यक रूप से मनमानी 'भर्ती और बर्खास्तगी' नीति के अधीन हैं। अधिकांश तदर्थ शिक्षक शिक्षित बेरोजगार हैं और वे इन नौकरियों को बहुत कम वेतन और दयनीय सेवा शर्तों पर स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं। तदर्थ शिक्षक और शिक्षण व्यवस्था इस तथ्य की ओर संकेत करती है कि सरकार एक सुदृढ़ कार्मिक नीति के बिना स्थिति का शोषण कर रही है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन कर रही है।
इस प्रकार का यथास्थितिवादी दृष्टिकोण सीधे राज्य के चरित्र के विपरीत है। यह आवश्यक है कि राज्य सरकार राज्य के शिक्षण संस्थानों में अधिक से अधिक नियमित शिक्षकों की नियुक्ति करे..।"
केस टाइटल: सिबा प्रसन्ना पथी बनाम उड़ीसा राज्य और अन्य।
केस नंबर: W.P.(C) No. 3617 of 2022
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Ori) 94