अपीलीय अदालत मुख्य अपील का निस्तारण करने के बाद निषेधाज्ञा आवेदन पर फैसला नहीं कर सकती: गुवाहाटी हाईकोर्ट

Shahadat

23 March 2023 6:29 AM GMT

  • अपीलीय अदालत मुख्य अपील का निस्तारण करने के बाद निषेधाज्ञा आवेदन पर फैसला नहीं कर सकती: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में मुख्य टाइटल अपील के निपटारे के 5 दिन बाद एक जिला न्यायाधीश द्वारा निषेधाज्ञा आवेदन खारिज कर दिया गया, जो कानून की दृष्टि से खराब है।

    जस्टिस पार्थिव ज्योति सैकिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने देखा,

    “टाइटल अपील का निस्तारण 23.02.2022 को किया गया और संबंधित निषेधाज्ञा याचिका का निस्तारण 5 दिन बाद यानी 28.02.2022 को किया गया। 23.02.2022 को फैसले के वितरण के साथ जिला न्यायाधीश की पहली अपीलीय अदालत फंकटस ऑफ़िसियो बन गई। इसलिए पांच दिन की निषेधाज्ञा याचिका का निपटान कानून की दृष्टि से खराब है।

    याचिकाकर्ता ने सीपीसी के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत याचिका के साथ प्रतिवादी के खिलाफ टाइटल सूट दायर किया। उक्त निषेधाज्ञा आवेदन को विचारण न्यायालय द्वारा प्रतिवादी के विरुद्ध स्वीकार किया गया।

    हालांकि, टाइटल सूट को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया।

    याचिकाकर्ता ने सीपीसी के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत याचिका के साथ जिला न्यायाधीश के समक्ष अपील दायर की, जिसमें अस्थायी निषेधाज्ञा प्रदान करने की प्रार्थना की गई।

    जिला न्यायाधीश ने दिनांक 23 फरवरी, 2022 के आदेश द्वारा मामले को कुछ निश्चित निर्देशों के साथ निचली अदालत में भेजकर टाइटल अपील का निस्तारण कर दिया।

    हालांकि, टाइटल अपील के निस्तारण के 5 दिनों के बाद यानी 28 फरवरी, 2022 को जिला न्यायाधीश द्वारा निषेधाज्ञा याचिका खारिज कर दी गई।

    याचिकाकर्ता ए. इकबाल की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि फैसला पारित होने के बाद जिला न्यायाधीश की अपीलीय अदालत फंकटस ऑफिसियो हो गई। इसलिए उन्हें पांच दिन बाद निषेधाज्ञा याचिका का निस्तारण नहीं करना चाहिए।

    प्रतिवादी की ओर से पेश एडवोकेट आर. चौधरी ने तर्क दिया कि दिनांक 28 फरवरी, 2022 का उक्त आदेश सीपीसी के आदेश 43(आर) के तहत अपील योग्य आदेश है और हाईकोर्ट को भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

    कोर्ट ने जिला जज द्वारा टाइटल अपील के निस्तारण के 5 दिनों के बाद निषेधाज्ञा याचिका को खारिज करना कानून की दृष्टि से गलत माना।

    इस प्रकार अदालत ने कहा,

    "यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट की पर्यवेक्षी शक्ति का प्रयोग करने के लिए उपयुक्त मामला है। अत: विविध में जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.02.2022 (जे) टाइटल अपील नंबर 01/2021 से उत्पन्न मामला नंबर 16/2021 को अलग रखा जाता है।

    हालांकि, अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता निचली अदालत में सीपीसी के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत नई याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है।

    केस टाइटल: बिमल चंद्र बिस्वास बनाम अरूप कर्मकार

    कोरम: जस्टिस पार्थिव ज्योति सैकिया

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story