मजिस्ट्रेट के अंतरिम आदेश के खिलाफ डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत अपील सुनवाई योग्य, अपीलीय अदालत अंतरिम राहत दे सकती है: पीएंड एच हाईकोर्ट

Avanish Pathak

15 March 2023 4:18 PM GMT

  • मजिस्ट्रेट के अंतरिम आदेश के खिलाफ डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत अपील सुनवाई योग्य, अपीलीय अदालत अंतरिम राहत दे सकती है: पीएंड एच हाईकोर्ट

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि घरेलू हिंसा कानून, 2005 की धारा 29 (अपील) के तहत एक अपील उक्त कानून की धारा 23 (अंतरिम और एक्स पार्टे ऑर्डर की शक्ति) के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ सुनवाई योग्य है, और डीवी एक्ट और अपीलीय अदालत के पास डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति है।

    ज‌स्टिस जगमोहन बंसल की सिंगल जज बेंच ने कहा,

    "अपीलीय अदालत अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति का प्रयोग कर सकती है या नहीं कर सकती है, हालांकि, अगर यह माना जाता है कि धारा 29 के संदर्भ में अपीलीय अदालत के पास अंतरिम आदेश पारित करने की कोई शक्ति नहीं है, तो यह अपीलीय अदालत की शक्तियों को कम करने के समान होगा। यह कानून के तय सिद्धांतों के विपरीत प्रतीत होता है कि अपील प्राधिकरण या अदालत जब तक कि विशेष रूप से वर्जित न हो, उन सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं, जो अधीनस्थ प्राधिकरण में निहित हैं। यह मंजूर नहीं किया जा सकता कि मजिस्ट्रेट के पास अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति है, हालांकि, अपीलीय अदालत के पास अंतरिम आदेश पारित करने की कोई शक्ति नहीं है।”

    तथ्य

    याचिकाकर्ता-पत्नी ने डीवी एक्‍ट की धारा 12 (मजिस्ट्रेट को आवेदन) के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष भरण-पोषण और अन्य राहत की मांग करते हुए एक याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने डीवी एक्ट की धारा 23 के तहत अंतरिम भरण-पोषण के लिए एक आवेदन दायर किया।

    मजिस्ट्रेट ने 22 सितंबर, 2022 के आदेश में प्रतिवादी-पति को याचिकाकर्ता और नाबालिग बच्चे को अंतरिम भरण-पोषण के रूप में 60,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। प्रतिवादी-पति ने सत्र न्यायालय के समक्ष डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत अपील दायर कर मजिस्ट्रेट की ओर से पारित अंतरिम आदेश को रद्द करने की मांग की।

    सत्र न्यायालय ने 18 अक्टूबर, 2022 के आक्षेपित आदेश के तहत मजिस्ट्रेट के अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के क्रियान्वयन पर आंशिक रूप से रोक लगा दी और प्रतिवादी-पति को रुपये मामले के अंतिम निस्तारण तक अंतरिम भरण-पोषण के रूप में 15,000/- प्रति माह देने का निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता ने सेशन कोर्ट के आक्षेपित आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत अंतिम आदेश के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है न कि डीवी एक्ट की धारा 23 के संदर्भ में पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ।

    याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया गया कि डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत विशिष्ट शक्ति के अभाव में अपीलीय अदालत के पास मजिस्ट्रेट के आदेश के संचालन पर रोक लगाने की कोई शक्ति नहीं है।

    प्रतिवादी-पति के वकील ने तर्क दिया कि धारा 29 डीवी एक्ट में प्रयुक्त अभिव्यक्ति 'आदेश' में अंतरिम आदेश शामिल है और अपील सुनने की शक्ति में अपीलीय न्यायालय द्वारा अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति शामिल है।

    निष्कर्ष

    न्यायालय के समक्ष विचार के लिए दो प्रश्न थे-

    -क्या डीवी एक्ट की धारा 23 के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ डीवी एक्ट की धारा 29 के संदर्भ में अपील सुनवाई योग्य है?

    -क्या डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत अपील की सुनवाई करते हुए अपीलीय अदालत अंतरिम आदेश पारित कर सकती है?

    पहले प्रश्न का उत्तर देते हुए, अदालत ने कहा कि डीवी एक्ट एक विशेष कानून है और धारा 28 और 29 को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि सीआरपीसी के प्रावधान डीवी एक्ट के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील पर लागू नहीं होते हैं।

    अदालत ने आगे कहा कि विधायिका जहां भी अंतरिम आदेशों के खिलाफ अपील का इरादा नहीं रखती है, उसने विशेष रूप से उसमें प्रावधान किया है।

    अदालत ने कहा,

    "डीवी एक्ट के मामले में अंतरिम आदेश के साथ-साथ अपील पारित करने का प्रावधान है, हालांकि, अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए कोई विशेष निषेध नहीं है।"

    इस प्रकार, न्यायालय ने माना कि डीवी एक्ट की धारा 23 के तहत पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील सत्र न्यायालय के समक्ष डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत सुनवाई योग्य है। दूसरे प्रश्न का उत्तर देते हुए, अदालत ने कहा कि अदालतों/न्यायाधिकरणों के पास हमेशा प्रासंगिक और सहायक शक्तियां होती हैं जो विवाद को सुलझाने के लिए आवश्यक होती हैं।

    अदालत ने कहा,

    "अगर यह माना जाता है कि धारा 29 के तहत अपीलीय अदालत को अंतरिम आदेश के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति नहीं दी गई है क्योंकि धारा 29 के तहत कोई विशिष्ट शक्ति नहीं है, तो अपीलीय अदालत को अंतिम आदेश के खिलाफ भी अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति से वंचित कर दिया जाएगा क्योंकि अंतिम आदेश के लिए ऐसी कोई विशिष्ट शक्ति नहीं है। शक्ति का अस्तित्व और शक्ति का उपयोग कानूनी न्यायशास्त्र के दो अलग-अलग आयाम हैं।"

    इस प्रकार, अदालत ने कहा कि डीवी एक्ट की धारा 29 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए अपीलीय अदालत के पास अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति है। हालांकि, कोर्ट ने सेशन कोर्ट को 2 महीने के भीतर अपील का फैसला करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: भानु किरण बनाम राहुल खोसला व अन्य।


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