मॉब वॉयलेंस | आरोपी व्यक्ति को क्षतिग्रस्त संपत्ति दिखाने के लिए सामग्री के अभाव में बिना जुर्माना के जमानत दी जा सकती है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Shahadat

26 Aug 2022 5:25 AM GMT

  • मॉब वॉयलेंस | आरोपी व्यक्ति को क्षतिग्रस्त संपत्ति दिखाने के लिए सामग्री के अभाव में बिना जुर्माना के जमानत दी जा सकती है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले में भीड़ की हिंसा में आरोपी याचिकाकर्ताओं को जमानत दे दी, क्योंकि यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि याचिकाकर्ताओं ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।

    मामले के तथ्य

    मामले का तथ्य यह है कि सीआरपीसी की धारा 144 एवं पुलिस अधिनियम की धारा 30 के तहत आदेश का उल्लंघन कर कोनसीमा जिले के नाम परिवर्तन के संबंध में गजट अधिसूचना जारी करने के संबंध में आपत्ति दर्ज कराने के लिए भारी संख्या में लोग एकत्रित हुए थे। भीड़ कलेक्ट्रेट चली गई और कलेक्ट्रेट के रास्ते में जब पुलिस अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थी, भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और बीवीसी कॉलेज बस को भी जला दिया। बीवीसी को पुलिस के लिए परिवहन वाहन के रूप में इस्तेमाल किया गया। भीड़ ने माननीय मंत्री जी के घर को और नुकसान पहुंचाया।

    विशेष लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ताओं की संलिप्तता अपराध स्थल पर ली गई तस्वीरों से स्पष्ट है और जांच अभी भी लंबित है। पीड़ित पक्ष के अनुसार, याचिकाकर्ता सोशल मीडिया के माध्यम से योजना बनाने में सक्रिय भागीदार है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इसके अलावा, कोडुंगल्ला फिल्म सोसाइटी बनाम भारत संघ (2018) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में अभियोजक ने तर्क दिया कि अगर अदालत ने याचिकाकर्ताओं को जमानत देने पर विचार किया तो अदालत राज्य को हुए नुकसान के लिए जुर्माना लगा सकती है।

    न्यायालय का अवलोकन

    जस्टिस रवि चीमालापति ने शिकायत के अवलोकन पर पाया कि शुरू में शिकायतकर्ता के नाम शिकायत में नहीं दर्शाए गए। बेशक, भीड़ में 1,000 से अधिक लोग शामिल थे। किसी भी शिकायत ने आईपीसी की धारा 307 के तहत दंडनीय अपराध करने के सामान्य इरादे या सामान्य उद्देश्य का संकेत नहीं दिया। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ विशिष्ट स्पष्ट कृत्यों को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। इसके अलावा, पीड़ितों द्वारा दायर की गई तस्वीरों से यह नहीं पता चला कि भीड़ हथियारों से लैस थी।

    उपरोक्त तथ्यों पर, याचिकाकर्ताओं को जमानत दी गई। साथ ही यह माना गया कि इस स्तर पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि याचिकाकर्ताओं ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।

    तदनुसार, आपराधिक याचिकाओं की अनुमति दी गई।

    केस टाइटल: यारा श्रीनु बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

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