AP Civil Services Rules | यदि विवाह से पहले सरकारी अनुमति नहीं ली गई तो सरकारी कर्मचारी की दूसरी पत्नी उसकी मृत्यु लाभ की हकदार नहीं: तेलंगाना हाईकोर्ट

Shahadat

30 Oct 2023 5:34 AM GMT

  • AP Civil Services Rules | यदि विवाह से पहले सरकारी अनुमति नहीं ली गई तो सरकारी कर्मचारी की दूसरी पत्नी उसकी मृत्यु लाभ की हकदार नहीं: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने माना कि यदि पति ने दूसरी शादी करने से पहले सरकार से अनुमति नहीं ली तो दूसरी पत्नी सरकारी कर्मचारी के रूप में काम करने वाले अपने अपने मृत पति की मृत्यु पर मिलने वाले वेतन की हकदार नहीं है।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई दस्तावेज़ नहीं है कि मृतक ने दूसरी शादी करने से पहले सरकार से कोई अनुमति ली थी या नहीं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुस्लिम व्यक्ति समय में चार पत्नियों से शादी कर सकता है। लेकिन, सर्विस रूल्स के अनुसार, चूंकि मृतक सरकारी कर्मचारी था तो उसे दूसरी शादी करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी।”

    जस्टिस पी. श्री सुधा ट्रायल कोर्ट और एजेंट टू गवर्नमेंट द्वारा पारित समवर्ती निर्णयों के खिलाफ दायर दूसरी अपील पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें यह माना गया कि अपीलकर्ता ने अपने पति को खुला (पत्नी द्वारा शुरू किया गया तलाक) दिया, इसलिए वह मुस्लिम कानून के अनुसार भविष्य में किसी भी अधिकार की हकदार नहीं है, जिससे दूसरी और विधिपूर्वक विवाहित पत्नी को पेंशन लाभ दिया गया।

    जस्टिस सुधा ने आगे कहा कि मुस्लिम कानून के अनुसार, जब एक पत्नी अपने पति को खुला देती है तो वह भविष्य के भरण-पोषण और लाभों का अधिकार खो देती है। इस प्रकार, पहली पत्नी, जिसने वर्तमान मामले में अपने पति को खुला दिया था, वह किसी भी पेंशन लाभ की हकदार नहीं थी।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "जैसा कि पहले ही बताया गया कि प्रतिवादी नंबर 1 ने स्वेच्छा से मृतक को 'खुला' दिया था, वह मृत्यु परिलब्धियों या लाभों की भी हकदार नहीं है।"

    यह निर्विवाद है कि मोहम्मद जलील अहमद ने अपीलकर्ता से शादी की थी और उनकी शादी से उनके दो बच्चे हैं। इसके बाद अपीलकर्ता ने उसे खुला दे दिया, जिसके बाद जलील अहमद ने अपनी दूसरी पत्नी से शादी की और उसकी दूसरी शादी से उसके दो और बच्चे हुए।

    जलील अहमद के निधन के बाद उनकी दूसरी पत्नी ने अपने मृत पति के मृत्यु लाभ के लिए आवेदन किया, जिस पर अपीलकर्ता ने इस आधार पर आपत्ति जताई कि मृतक सरकारी कर्मचारी था, उसे दूसरी शादी करने से पहले पेंशन नियम, 1980त के अनुसार सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी।

    दोनों निचली अदालतों ने माना कि चूंकि अपीलकर्ता ने खुला लिया गया, इसलिए उसे मृत्यु लाभ पर कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने दूसरी पत्नी के पक्ष में लाभ दे दिया।

    जस्टिस सुधा ने कहा कि पहली पत्नी खुला देने के कारण और दूसरी सरकार से पूर्व मंजूरी के अभाव के कारण अस्वीकार्यता के कारण न तो पहली और न ही दूसरी पत्नी मृत्यु लाभ का दावा करने की हकदार है।

    कोर्ट ने इस संबंध में कहा,

    "वादी नंबर 1 (दूसरी पत्नी) ने यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज़ दायर नहीं किया कि मृतक ने उसके साथ शादी करने से पहले सरकार से अनुमति ली थी। इस तरह उसे मृतक की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के रूप में पहचाना नहीं जा सकता है और वह मृत्यु लाभ, यदि कोई हो तो, उसकी हकदार नहीं है।"

    निचली दोनों अदालतों द्वारा पारित आदेशों को संशोधित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक के पास उसकी दोनों शादियों से वारिस है, इसलिए केवल वे ही कानूनी रूप से लाभ के हकदार हैं।

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