अमरावती केमिस्ट मर्डर: एनआईए द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता जताने के बाद विशेष अदालत ने 7 आरोपियों की रिमांड बढ़ाई
Shahadat
16 July 2022 11:18 AM IST
मुंबई की एक विशेष अदालत ने अमरावती के केमिस्ट उमेश कोल्हे (54) की हत्या के मामले में सात लोगों की एनआईए हिरासत 22 जुलाई तक बढ़ा दी। केमिस्टर की हत्या कथित तौर पर निलंबित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हाट्सएप पोस्ट करने के बाद की गई थी।
रिमांड पर सुनवाई के दौरान पत्रकारों को कोर्ट रूम में मौजूद नहीं रहने दिया गया।
सुनवाई के दौरान, एनआईए के वकील ने कहा कि इस मुद्दे के "अंतरराष्ट्रीय प्रभाव" होंगे और यह कृत्य "समाज के एक वर्ग को आतंकित करने" के लिए किया गया है।
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि एजेंसी हत्या के मामले को अलग रंग देने की कोशिश कर रही है।
एनआईए का दावा था कि पीड़ित ने शर्मा का समर्थन करते हुए अपना व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट किया था, जिसने पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। केमिस्ट के व्हाट्सएप ग्रुप में मौजूद आरोपी डॉक्टर युसूफ खान ने उससे अपना स्टेटस हटाने के लिए कहा।
हालांकि, जब कोल्हे ने मना कर दिया तो खान ने लोगों से कोल्हे पर व्यापारिक रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए कहा। 21 जून को बाइक सवार दो हमलावरों ने कोल्हे का गला काट दिया। इस मामले की शुरुआत में स्थानीय पुलिस ने जांच की थी। हालांकि इस महीने की शुरुआत में एनआईए ने जांच अपने हाथ में ले ली थी।
सात आरोपी मुदस्सर अहमद (22), शाहरुख पठान (25), अब्दुल तौफीक (24) शोएब खान (22), आतिब राशिद (22) और यूसुफ खान (32) और कथित मास्टरमाइंड शेख इरफान शेख रहीम हैं। इन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 16,18 और 19 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 120बी और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
बहस
एनआईए के वकील ने कहा कि इस मुद्दे के "अंतरराष्ट्रीय प्रभाव" होंगे और यह कृत्य "समाज के एक वर्ग को आतंकित करने" के लिए किया गया है। विशेष अभियोजक ने आगे दावा किया कि विवादास्पद व्हाट्सएप मैसेज मामले का आधार बना।
उन्होंने यह कहते हुए रिमांड की मांग की कि आरोपी को राजस्थान ले जाने की जरूरत है, सामग्री को एफएसएल भेजने की जरूरत है और आरोपियों से सामग्री की शिनाख्त/पुष्टि करने की जरूरत है।
एजेंसी ने कहा कि वे जांच करना चाहते हैं कि क्या उदयपुर में दर्जी की नृशंस हत्या के साथ इसका कोई संबंध है। वहीं, एक आरोपी शमीम अभी भी फरार है।
एक आरोपी मुद्दसर अहमद के वकील शरीफ शेख ने कहा कि आगे की रिमांड के लिए ठोस आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान घटना उदयपुर की घटना से पहले की है और एनआईए इस घटना को "एक अलग रंग देने की कोशिश कर रही है।"
उन्होंने एनआईए से यह दिखाने के लिए कहा कि बड़े पैमाने पर जनता कैसे प्रभावित हुई और इसे आतंकवादी कृत्य नहीं माना जा सकता।
उन्होंने कहा,
"मामले में जिन धाराओं को लागू किया गया है, वे उचित नहीं हैं और वे घटना को एक अलग रंग दे रहे हैं।"
एनआईए के वकील ने कहा,
"केस डायरी के अवलोकन से पता चलता है कि यह आतंकवादी कृत्य है।"
अधिकांश अभियुक्तों के वकील अली काशिफ खान ने तर्क दिया कि यह केवल दोस्तों के बीच की लड़ाई थी, न कि कोई आतंकवादी कृत्य। उन्होंने दावा किया कि ज्यादा से ज्यादा इसे हत्या का मामला कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीड़ित आरोपी को भड़का रहा था।
अली ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी देखा कि सभी समस्याओं का असली कारण "नूपुर शर्मा" है।
अदालत ने तब आरोपी को 22 जुलाई, 2022 तक एनआईए की और हिरासत में भेज दिया।